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    मंकीपॉक्स 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित, इसका मतलब क्या हुआ?
    WHO ने मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया

    मंकीपॉक्स 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित, इसका मतलब क्या हुआ?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Jul 24, 2022
    08:19 am

    क्या है खबर?

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को मंकीपॉक्स को 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित कर दिया है।

    इसका ऐलान करते हुए WHO प्रमुख डॉ टेड्रोस अधेनोम गेब्रिएसेस ने कहा, "हमारे सामने एक प्रकोप है जो नए-नए तरीकों से दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है। इसके बारे में हमें बहुत कम पता है। इसलिए हमने फैसला किया है कि मंकीपॉक्स को 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित किया जाए।"

    आइये समझने की कोशिश करते हैं कि इसका मतलब क्या हुआ?

    मंकीपॉक्स

    सबसे पहले मंकीपॉक्स के बारे में जानिये

    मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है।

    ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं।

    साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।

    परिभाषा

    वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल का क्या मतलब हुआ?

    पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (PHEIC) WHO का उच्चतम स्तर का अलर्ट है।

    WHO PHEIC को एक ऐसी असाधारण घटना के तौर पर परिभाषित करता है जो किसी बीमारी के अंतरराष्ट्रीय प्रसार के जरिये अन्य देशों के लिए जन स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है और जिसका सामना करने के लिए एकजुट अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जरूरत होती है।

    इससे पहले कोरोना वायरस, इबोला, स्वाइन फ्लू और जीका वायरस के लिए ऐसा अलर्ट जारी किया गया था।

    जानकारी

    महामारी का रूप लेने से रोकने की कोशिश

    PHIEC की परिभाषा देखें तो समझ आता है कि स्थिति गंभीर, असाधारण, अचानक और अप्रत्याशित है और यह प्रभावित देश की सीमाओं से परे भी जन स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है।

    WHO केवल उन बीमारियों के लिए ही ऐसे अलर्ट जारी करता है, जिसका सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समन्वय की जरूरत पड़ती है ताकि इसे महामारी बनने से रोका जा सके।

    इसके लिए 2005 के इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन (IHR) में शर्तें तय की गई हैं।

    प्रक्रिया

    आपातकाल घोषित करने का फैसला कैसे किया गया?

    WHO की मंकीपॉक्स पर गठित की गई 16 सदस्यों की टीम ने डॉ टेड्रोस को इसके मानव स्वास्थ्य पर जोखिम और अंतरराष्ट्रीय प्रसार के खतरे पर एक समीक्षा रिपोर्ट दी थी।

    आपातकाल का ऐलान करते हुए डॉ टेड्रोस ने कहा, "मैं इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर रहा है, लेकिन फिलहाल यह बीमारी केवल उन पुरुषों में पाई जा रही है, जिन्होंने दूसरे पुरुषों के साथ संबंध बनाए हैं और खासकर एक से अधिक पुरुषों के साथ संबंध बनाए हैं।"

    अंतर

    महामारी से अलग है वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल

    वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल महामारी से अलग है। आसान भाषा में समझें तो महामारी उस बीमारी को कहते हैं, जो एक बड़े क्षेत्र में शुरू होती है और फिर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है। इसके मुकाबले के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जरूरत पड़ती है और इसे रोकना बेहद मुश्किल होता है।

    वहीं वैश्विक आपातकाल का मतलब है कि स्थिति अभी नियंत्रण से बाहर नहीं हुई है, लेकिन आगे चलकर हो सकती है।

    जानकारी

    कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस और क्या हैं इसके लक्षण?

    मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है।

    ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है।

    इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।

    प्रसार

    इन देशों में सामने आ चुके हैं मंकीपॉक्स के मामले

    WHO के अनुसार, अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इजरायल, स्विट्जरलैंड समेत 75 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर मामले यूरोप में सामने आए हैं।

    इस साल अब तक पांच लोगों की इस वायरस ने जान ले ली है। ये सभी मौतें अफ्रीका में हुई हैं, अफ्रीका से बाहर अभी तक कोई मौत रिपोर्ट नहीं हुई।

    मंकीपॉक्स

    भारत में सामने आ चुके हैं तीन मामले

    भारत में अब तक मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आ चुके हैं और ये तीनों ही केरल में मिले हैं।

    पहला मामला 14 जुलाई को मिला था। तब कोल्लम के रहने वाले 35 वर्षीय शख्स को मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया था। वह UAE से वापस लौटा था।

    इसके बाद दुबई से कन्नूर लौटे एक शख्स को मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया।

    फिर 22 जुलाई को UAE से ही लौटे एक और शख्स को इस वायरस से संक्रमित पाया गया।

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