ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शुरू हुआ मंकीपॉक्स की दवा का ट्रायल, दिसंबर तक आएंगे नतीजे
क्या है खबर?
दुनियाभर में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों और वैक्सीन की सीमित आपूर्ति के बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक दवा का क्लिनिकल ट्रायल (इंसानों पर परीक्षण) शुरू हुआ है।
ट्रायल में टेकोविरिमैट (Tecovirimat) की सुरक्षा और प्रभावकारिता को परखा जाएगा।
इस दवा को शुरुआत में स्मॉलपॉक्स से लड़ने और वायरस को कोशिकाओं में फैलने से रोकने के लिए विकसित किया गया था। मंकीपॉक्स के खिलाफ जानवरों में उत्साहवर्धक नतीजे देने के बाद अब इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुआ है।
जानकारी
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। यह बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है।
ये सबसे पहले 1958 में बंदरों की एक बस्ती में मिला था और वहीं से इसे अपना नाम मिला है।
यह धीरे-धीरे म्यूटेट होने वाला DNA वायरस है। इसके लक्षण दिखने में संक्रमित होने के बाद 5 से 21 दिनों तक का समय लग सकता है।
ट्रायल
500 लोगों पर होगा ट्रायल
इस ट्रायल को प्लेटिनम नाम से जाना जा रहा है और इसका नेतृत्व ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमर्जिंग इंफेक्शन एंड ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर सर पीटर हॉर्बी कर रहे हैं।
प्रोफेसर हॉर्बी ने कहा कि मंकीपॉक्स कई बार खतरनाक रूप ले सकता है। मौजूदा मरीजों और भविष्य में संक्रमित होने वाले लोगों की भलाई के लिए टेकोविरिमैट दवा की सुरक्षा के पुख्ता सबूतों की जरूरत है। इस ट्रायल से मिलने वाला आंकड़े मरीजों का इलाज करने का विश्वास देंगे।
जानकारी
अमेरिका भी बना रहा ट्रायल की योजना
ट्रायल के दौरान वैज्ञानिक यह देखेंगे कि यह दवा त्वचा पर हुए घावों को कितना जल्दी ठीक करती है और मरीजों को ठीक होने में कितनी मदद करती है। माना जा रहा है कि दिसंबर के अंत तक इस ट्रायल के नतीजे सामने आ जाएंगे।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के अधिकारियों ने भी बताया था कि वो भी मंकीपॉक्स के इलाज के लिए टेकोविरिमैट का क्लिनिकल ट्रायल करने की योजना बना रहे हैं।
प्रसार
दुनियाभर में मंकीपॉक्स के 40,000 से ज्यादा मामले
दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में अब तक मंकीपॉक्स के 40,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इन मामलों में से 35 प्रतिशत से अधिक अकेले अमेरिका में दर्ज हुए हैं। ब्रिटेन में इसके 3,000 और भारत में 10 मामले सामने आए हैं।
दुनियाभर में इसके मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है।
संक्रमण और लक्षण
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है।
यह वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है।
इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।