खतरे की घंटी है मंकीपॉक्स, घातक संक्रमणों के लिए तैयार करना होगा- WHO प्रमुख वैज्ञानिक
दुनियाभर के कई देशों में इन दिनों मंकीपॉक्स संक्रमण अपने पैर पसार रहा है। इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित कर दिया है। WHO की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने मंकीपॉक्स को 'खतरे की घंटी' करार देते हुए कहा कि 1979-1980 से स्मॉलपॉक्स वैक्सीनेशन कार्यक्रम बंद है और यह एक वजह हो सकती है कि इस वायरस को फिर से पनपने का मौका मिल गया।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।
खतरनाक वायरसों के लिए तैयार रहना होगा- स्वामीनाथन
NDTV से बातचीत के दौरान स्वामीनाथ ने कहा, "मंकीपॉक्स हम सबके लिए खतरे की घंटी है क्योंकि हमें अपने आप को और भी घातक संक्रमणों के लिए तैयार करना होगा।" जब उनसे पूछा गया कि क्या मंकीपॉक्स कोरोना वायरस के नये वेरिएंट से भी खतरनाक है तो उन्होंने कहा कि इनके बीच सीधी तुलना नहीं हो सकती। हालांकि, अभी पर्याप्त आंकड़े नहीं है, लेकिन यह साफ है कि मंकीपॉक्स कोरोना की तेजी से म्यूटेट नहीं होगा।
"महामारी बनने से रोकना होगा"
स्वामीनाथन ने बताया, "हमें सीक्वेंसिंग और वही सारी चीजें करनी होगी। हमें वैश्विक स्तर पर आंकड़े साझे करने होंगे। हमने इसे जल्दी पकड़ लिया है और फिलहाल इसे महामारी बनने से रोकना होगा।" बता दें कि दुनिया के अलग-अलग देशों में इसके 16,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है। भारत में भी चार लोगों में इसके संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।"
स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन दे सकती है सुरक्षा
मंकीपॉक्स बीमारी मंकीपॉक्स नामक वायरस से फैलती है, जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस का एक मेंबर है। इसकी क्लिनिकल प्रेजेंटेशन काफी हद तक स्मॉलपॉक्स से मिलती है। 1980 में स्मॉलपॉक्स को दुनिया से खत्म घोषित कर दिया गया था। WHO की वेबसाइट पर बताया गया है कि स्मॉलपॉक्स के लिए इस्तेमाल की गई वैक्सीन मंकीपॉक्स से सुरक्षा दे सकती है। हालांकि, इसके बाद नई वैक्सीन भी ईजाद हुई हैं और उनमें से एक को मंजूरी भी मिल गई है।
वैक्सीन को लेकर स्वामीनाथन ने क्या कहा?
WHO की प्रमुख वैज्ञानिक ने कहा, "हमारे पास स्मॉलपॉक्स की दूसरी और तीसरी जनरेशन की वैक्सीन है, लेकिन इनके खुराकें बहुत सीमित हैं। कुछ देशों ने इनका भंडारण किया हुआ है ताकि अगर स्मॉलपॉक्स फिर दस्तक देता है तो काम आ सके।" उन्होंने बताया कि डेनमार्क की एक कंपनी ने मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीन तैयार की है, लेकिन इसकी एफिकेसी को लेकर अभी तक आंकड़े नहीं आए हैं। इन आंकड़ों को तुरंत जुटाए जाने की जरूरत है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।