दुनिया में 200 के पार पहुंचा मंकीपॉक्स संक्रमितों का आंकड़ा, WHO ने दी चेतावनी
अब तक पश्चिमी और मध्य अफ्रीकी देशों के लोगों को अपना निशाना बनाने वाले मंकीपॉक्स वायरस ने अपने अनुकूलित क्षेत्र से बाहर कदम रखते हुए लोगों पर हमला शुरू कर दिया है। यही कारण है कि अनुकूलित क्षेत्र से बाहर के 20 देशों में 200 से अधिक लोगों को इससे संक्रमित पाया जा चुका है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आने वाले दिनों में तेजी से इसके मामले बढ़ सकते हैं।
आगामी दिनों में तेजी से बढ़ सकता है मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण- WHO
WHO के महामारी रोक नियंत्रण प्रमुख सिल्वी ब्रायंड ने कहा, "हाल ही के सप्ताह में अपने अनुकूलित क्षेत्र से बाहर के 20 देशों में मिलने वाले मंकीपॉक्स संक्रमण के 200 मामले केवल एक शुरुआत हो सकते हैं। हम जानते हैं कि आगामी दिनों में बहुत तेजी से इसके मामले बढ़ सकते हैं।" उन्होंने कहा, "संक्रमण के अधिकतर मामले गे और बाइसेक्सुअल लोगों में अधिक पाए गए हैं। ऐसे में इससे बचाव के लिए सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है।"
किन-किन देशों में सामने आ चुके हैं मामले?
WHO के अनुसार, अब तक संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्टि्रया, मोरक्को, कनाडा, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, पुर्तगाल, इजरायल, स्लोवेनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, अर्जेंटीना और स्पेन इमें मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित रहे रहे हैं। स्पेन और बेल्जियम में हुई रेव पार्टियों को इस संक्रमण के लिए जिम्मेदार माना गया है। वहां की सरकारों ने समलैंगिकों को सतर्कता बरतने को कहा है।
स्पेन में मिले सबसे अधिक मंकीपॉक्स संक्रमित
दुनियाभर में अब तक सामने आए मंकीपॉक्स संक्रमण के कुल मामलों में से सबसे अधिक 98 स्पेन में मिले हैं। बढ़ते मामलों में वहां की सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसी तरह मई की शुरुआत में अपने पहले मामले की पुष्टि करने वाले युनाइटेड किंगडम में अब तक 90 पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा पुर्तगाल में 47 मामलों की पुष्टि हुई है। इन सभी संक्रमित की उम्र 40 साल के कम हैं।
अफ्रीका के 11 देशों में सामने आते रहे हैं मामले
बता दें पश्चिम और मध्य अफ्रीका के कैमरून, कांगो और नाइजीरिया सहित 11 देशों में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। इस वायरस की खोज 1958 में बंदरों में की गई थी। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में आया था।
क्या है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस और क्या हैं इसके लक्षण?
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।
दो से चार सप्ताह में खत्म हो जाते हैं लक्षण
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स वायरस की तुलना में कम खतरनाक होता है और इसके ज्यादा गंभीर लक्षण नहीं होते हैं। मंकीपॉक्स में शरीर पर दाने होते हैं और उनमें से तरल पदार्थ निकलता है। हालांकि, इनमें कम दर्द होता है, लेकिन उनमें सूजन रहती है। अधिकतर संक्रमितों में इसके लक्षण दो से चार सप्ताह बाद ठीक हो जाते हैं। मंकीपॉक्स संक्रमण में मौत की दर तीन से छह प्रतिशत के बीच होती है।
किस तरह से संभव है मंकीपॉक्स का उपचार?
CDC और यूनाइटेड किंगडम (UK) की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) के अनुसार, वर्तमान में मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ कोई भी वैक्सीन तैयार नहीं हुई है, लेकिन चेचक के खिलाफ काम आने वाली वैक्सीन मंकीपॉक्स से करीब 85 प्रतिशत तक सुरक्षा देती है। इसका कारण है कि दोनों वायरस काफी मिलते-जुलते हैं। CDC के अनुसार, मंकीपॉक्स की वैक्सीन में जीवित वैक्सीनिया वायरस होता है, जो संक्रमितों को उससे 95 प्रतिशत तक सुरक्षा देता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
भारत में अभी तक संक्रमण का कोई मामला नहीं आया है, लेकिन सरकार ने सतर्कता बरतते हुए प्रभावित देशों से आने वालों की जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंकीपॉक्स पर विस्तृत गाइडलाइंस भी जारी की जा रही है।