क्या दुनिया में पैर पसार रहे मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ मौजूद है कोई वैक्सीन?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के बीच अब मंकीपॉक्स वायरस ने दुनिया को चिंतित कर दिया है।
पूर्व में पश्चिम अफ्रीका तक सीमित रहा यह वायरस अब दुनिया के अन्य देशों में भी पहुंच गया है। वर्तमान में इसके 16 देशों में 150 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इससे चिकित्सा विशेषज्ञ भी चिंतित हैं।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
आइये जानते हैं कि क्या मंकीपॉक्स के खिलाफ भी वैक्सीन मौजूद है।
परिचय
क्या है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है।
ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं।
मंकीपॉक्स वायरस का सबसे पहले 1958 में पता चला था। तब रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में इस वायरस के कारण पॉक्स जैसी बीमारी देखी गई थी।
प्रसार और लक्षण
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस और क्या हैं इसके लक्षण?
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है।
यह वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है।
इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।
उपचार
क्या मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ उपलब्ध है वैक्सीन?
मंकीपॉक्स के प्रसार के बीच सभी के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है। इसका जवाब है कि इस वायरस के खिलाफ कोई विशेष वैक्सीन तो नहीं है, लेकिन इसका उपचार संभव है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मंकीपॉक्स से संक्रमितों के चेहरे और हाथों पर दाने तथा घाव हो सकते हैं और यह शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकते हैं। हालांकि, अधिकतर मरीज अस्पताल में भर्ती हुए बिना दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।
उपचार
किस तरह से संभव है मंकीपॉक्स का उपचार?
अमेरिका स्थित रोग नियंत्रण और रोकथाम का केंद्र (CDC) और यूनाइटेड किंगडम (UK) की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) के अनुसार, मंकीपॉक्स के लिए कोई वैक्सीन नहीं है, लेकिन चेचक के खिलाफ काम आने वाली वैक्सीन मंकीपॉक्स से करीब 85 प्रतिशत तक सुरक्षा देती है। इसका कारण है कि दोनों वायरस काफी मिलते-जुलते हैं।
CDC के अनुसार, चेचक की वैक्सीन में जीवित वैक्सीनिया वायरस होता है, जो चेचक से 95 प्रतिशत सुरक्षा देता है।
राहत
पहले भी सामने आते रहे हैं मंकीपॉक्स के मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग एक दर्जन अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के हजारों मामले सामने आते हैं।
इनमें से कांगो में हर साल सबसे ज्यादा 6,000 से अधिक मामले सामने आते हैं। इसी तरह नाइजीरिया में हर साल करीब 3,000 मामले आते हैं।
यही नहीं, अमेरिका और ब्रिटेन सहित अफ्रीका के बाहर भी मंकीपॉक्स के मामले देखे जाते रहे हैं, लेकिन इस बीमारी ने कभी भी बड़ा रूप नहीं लिया है।
जानकारी
मंकीपॉक्स के खिलाफ बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं- WHO
इधर, WHO यूरोप के रिचर्ड पीबॉडी ने कहा कि अफ्रीका के बाहर मंकीपॉक्स के प्रकोप से बचाव के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है। स्वच्छता और सुरक्षित यौन व्यवहार जैसे उपायों से इसके प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है।
संक्रमण
अब तक किन देशों में सामने आ चुके हैं मामले?
WHO के अनुसार, 13 मई के बाद से अफ्रीका के बाहर 16 देशों में मंकीपॉक्स के लगभग 150 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।
बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में पश्चिम अफ्रीका से आई एक महिला में इसकी पुष्टि हुई है और उसे क्वारंटाइन कर दिया गया है।
अब तक अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, पुर्तगाल, इजरायल और स्पेन सहित 16 देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं।
भारत
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला नहीं आया है। स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (DGHS) ने आपात बैठक कर इस पर जानकारों की राय ली और रोकथाम, जांच, इलाज और इससे बचाव के लिए गाइडलाइंस तैयार करने को कहा है।
इसी बीच महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के चिंचपोकली स्थित कस्तूरबा अस्पताल 28 बेड का वॉर्ड मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के लिए रिजर्व कर दिया है।
हवाई अड्डे पर प्रभावित देशों से आने वालों की जांच की जा रही है।