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    #NewsBytesExpainer: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर क्या है? जानिये इसका रणनीतिक महत्व
    G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा की गई

    #NewsBytesExpainer: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर क्या है? जानिये इसका रणनीतिक महत्व

    लेखन आबिद खान
    Sep 10, 2023
    11:57 am

    क्या है खबर?

    G-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन एक बड़ी योजना की घोषणा की गई, जिसका नाम है- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC)।

    इसमें भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ (EU) शामिल हैं।

    इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह कॉरिडोर पूरी दुनिया की कनेक्टिविटी और सतत विकास को नई दिशा देगा।

    आइए समझते हैं कि ये कॉरिडोर क्या है और इससे क्या फायदा होगा।

    कॉरिडोर

    क्या है कॉरिडोर?

    इस कॉरिडोर के जरिए रेल और बंदरगाहों का नेटवर्क बनाया जाएगा, जिससे इन देशों के बीच व्यापार सुगम होगा और कनेक्टिविटी बढ़ेगी।

    यह प्रोजेक्ट पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट (PGII) का हिस्सा है।

    दरअसल, PGII G-7 देशों की एक पहल है, जिसके जरिए विकासशील देशों में बुनियादे ढांचा खड़ा करने के लिए राशि दी जाती है। PGII को चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) की काट माना जाता है।

    काम

    किस तरह काम करेगा कॉरिडोर?

    इस कॉरिडोर में 2 अलग-अलग कॉरिडोर होंगे। एक पूर्वी कॉरिडोर होगा, जो भारत को पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व से जोड़ेगा और एक उत्तरी कॉरि़डोर होगा, जो पश्चिम एशिया या मध्य पूर्व को यूरोप से जोड़ेगा।

    इन दोनों को मिलाकर भारत को मध्य पूर्व और अंतत: यूरोप तक की कनेक्टिविटी मिलेगी। इसमें पहले से मौजूद रेलमार्गों को भी जोड़ा जाएगा और नए मार्गों का भी निर्माण किया जाएगा। समुद्री मार्गों का भी प्रभावी इस्तेमाल होगा।

    तत्व

    कॉरिडोर में क्या-क्या होगा?

    यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन द्वारा पेश किए गए दस्तावेज के अनुसार, कॉरिडोर में एक रेल नेटवर्क के साथ-साथ एक बिजली केबल, एक हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डाटा केबल भी शामिल होगी।

    दस्तावेज में इस परियोजना को 'महाद्वीपों और सभ्यताओं के बीच एक हरित और डिजिटल पुल' भी कहा गया है। समय के साथ इस कॉरिडोर में अन्य देशों को शामिल किए जाने की भी योजना है।

    व्यापार

    कॉरिडोर से कैसे होगा व्यापार?

    रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बना सामान पहले समुद्र के रास्ते संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के फुजैराह बंदरगाह जाएगा। फिर यहां से सऊदी अरब और जॉर्डन होते हुए ये रेलमार्ग से इजरायल के हाइफा बंदरगाह तक पहुंचेगा।

    इसके बाद समुद्री मार्ग के जरिए सामान को हाइफा से यूरोप पहुंचाया जाएगा।

    सऊदी अरब और जॉर्डन के बीच 1,850 किलोमीटर लंबा रेलमार्ग पहले से ही है। भारतीय सामान को इजरायल तक पहुंचने में कुल 2,650 किलोमीटर लंबा सफर करना होगा।

    रणनीतिक महत्व

    कॉरिडोर का रणनीतिक महत्व क्या है?

    चीन का OBOR प्रोजेक्ट दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से गुजरता है। भारत इसका हिस्सा नहीं है, बल्कि इसके रूट पर आपत्ति भी जताता आया है।

    IMEC के जरिए भारत को खाड़ी देशों और यूरोप से कनेक्ट होने का सुगम रास्ता मिलेगा।

    हाल ही में खाड़ी देशों की चीन से नजदीकी बढ़ी है। IMEC को अमेरिका की उस कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें वो खाड़ी देशों को साधना चाहता है।

    बयान

    कॉरिडोर को लेकर किसने-क्या कहा?

    कॉरिडोर पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, "ये दुनिया को जोड़ने की शानदार पहल है और गेमचेंजर साबित होने वाला है। अमेरिका अपने साथियों की मदद से इस सपने को साकार करेगा। 10 साल में हम इसे हकीकत साबित कर देंगे।"

    फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, "मैं वादा करता हूं कि फ्रांस इसमें निवेश भी करेगा और शानदार तकनीक भी देगा। इससे कई देशों में विकास होगा, क्योंकि नया इन्फ्रास्ट्रक्चर बनेगा।"

    आपत्ति

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी) 

    भारत चीन के OBOR प्रोजेक्ट का शुरू से विरोध करता रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का भी निर्माण होना है, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है।

    भारत PoK पर पाकिस्तान का गैरकानूनी कब्जा मानता है और इसलिए CPEC पर लगातार विरोध दर्ज कराता रहा है।

    दूसरी ओर विश्लेषक मानते हैं कि OBOR देशों को कर्ज के जाल में फंसाने की चीन की योजना है।

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