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    अमेरिका: राष्ट्रपति बने रहेंगे ट्रंप, महाभियोग मामले में सभी आरोपों से हुए बरी

    अमेरिका: राष्ट्रपति बने रहेंगे ट्रंप, महाभियोग मामले में सभी आरोपों से हुए बरी

    लेखन मुकुल तोमर
    Feb 06, 2020
    10:44 am

    क्या है खबर?

    बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके खिलाफ महाभियोग के मामले में बड़ी जीत मिली। अमेरिकी सीनेट ने उन्हें महाभियोग के सभी आरोपों से बरी कर दिया।

    इसी के साथ ट्रंप को पद से हटाने की मुहिम भी खत्म हो गई है।

    ट्रंप पर सत्ता के दुरुपयोग और कांग्रेस को अवरुद्ध करने के दो आरोप थे। इन दोनों आरोपों पर पिछले साल दिसंबर में अमेरिकी कांग्रेस ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने की मंजूरी दी थी।

    आरोप

    क्या था ट्रंप पर आरोप?

    ट्रंप पर आरोप था कि उन्होंने 25 जुलाई, 2019 को यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर जेलेंस्की के साथ फोन पर हुई बातचीत में अपने प्रतिद्विंदी जो बाइडेन के खिलाफ जांच शुरू करने का दवाब बनाया था।

    आरोपों के अनुसार, ट्रंप ने ऐसा न करने पर यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता बंद करने की धमकी दी थी।

    डेमोक्रेटिक पार्टी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और उनके बहुमत वाली अमेरिकी कांग्रेस ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने का आदेश दिया।

    बरी

    सीनेट ने किया सभी आरोपों से बरी

    कांग्रेस से महाभियोग चलाने की मंजूरी मिलने के बाद इस पर सीनेट में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स की अध्यक्षता में सुनवाई हुई।

    सुनवाई पूरी होने के बाद बुधवार को मामले में वोटिंग हुई जिसमें ट्रंप को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।

    सत्ता के दुरुपयोग के मामले में उन्हें 48 के मुकाबले 52 और कांग्रेस को अवरुद्ध करने के मामले में 47 के मुकाबले 53 वोटों से बरी कर दिया गया।

    वोटिंग

    पद से हटाने के लिए जरूरी थे दो-तिहाई वोट

    ट्रंप को पद से हटाने के लिए किसी भी एक आरोप के पक्ष में दो-तिहाई वोटों की जरूरत थी।

    चूंकि सीनेट में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है, इसलिए अगर ट्रंप को पद से हटाने के लिए उनकी खुद की पार्टी के कई सांसदों का उनके खिलाफ वोट देना जरूरी थी।

    लेकिन बुधवार को हुई वोटिंग में ऐसा कुछ नहीं हुआ और रिपब्लिकन पार्टी अपने राष्ट्रपति के साथ मजबूती से खड़ी रही।

    वोटिंग

    मिट रोमनी ट्रंप के खिलाफ वोट देने वाले एकमात्र रिपब्लिकन

    मिट रोमनी रिपब्लिकन पार्टी के एकमात्र ऐसे सीनेटर रहे जिन्होंने महाभियोग के पक्ष में मतदान दिया।

    2012 राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा के खिलाफ रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार रह चुके रोमनी ने सत्ता के दुरुपयोग मामले में ट्रंप के खिलाफ मतदान दिया, वहीं कांग्रेस को अवरुद्ध करने के आरोप में उन्होंने ट्रंप के समर्थन में वोट किया।

    इसी के साथ रोमनी अमेरिकी इतिहास में अपनी ही पार्टी के राष्ट्रपति के खिलाफ वोट देने वाले पहले सीनेटर बन गए।

    बयान

    रोमनी बोले, ट्रंप जनता के विश्वास के दुरुपयोग के दोषी

    वोटिंग के दौरान रोमनी ने कहा, "राष्ट्रपति ने जो किया है उसके एक बड़े हिस्से का मैं समर्थन करता हूं। लेकिन भगवान के सामने निष्पक्ष न्याय के मेरे वादे के लिए जरूरी है कि मैं अपनी व्यक्तिगत भावनाओं और राजनीतिक पूर्वाग्रहों को किनारे करूं। राष्ट्रपति जनता के विश्वास का दुरुपयोग करने के दोषी हैं।"

    रिपब्लिकन पार्टी की दो उदारवादी सीनेटरों, सुजैन कोलिंस और मुरकोव्स्की, के भी ट्रंप के खिलाफ वोट देने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

    जांच

    कैसी रही जांच?

    ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोपों में 28,000 से ज्यादा पेजों के सबूत इकट्ठा किए गए और 17 गवाहों के बयान लिए गए।

    इस जांच में ट्रंप के यूक्रेन सरकार पर दबाव डालने के बारे में विस्तार से बताया गया है।

    हालांकि इसमें ये बात ठोस तरीके से साबित नहीं की जा सकी कि राष्ट्रपति कार्यालय से इसके क्या आदेश दिए गए थे। ये साबित करने के लिए गवाह भी नहीं पेश किए जा सके।

    प्रतिक्रिया

    ट्रंप के चुनाव अभियान ने कहा, डेमोक्रेट्स का चुनाव एजेंडा थे आरोप

    ट्रंप के सभी आरोपों से बरी होने के बाद उनके चुनाव अभियान ने बयान जारी करते हुए कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप पूरी तरह से बरी हुए हैं और अब उनके फिर से अमेरिकी लोगों की सेवा में लगने का समय है। डेमोक्रेट्स जानते हैं कि वो उन्हें हरा नहीं सकते, इसलिए वो उन्हें पद से हटाना चाहते हैं।"

    बयान में कहा गया है कि ट्रंप की ये कठोर परीक्षा डेमोक्रेटिक पार्टी का एक चुनावी एजेंडा भर थी।

    जानकारी

    क्या है महाभियोग?

    महाभियोग संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति (इस मामले में राष्ट्रपति) को उसके पद से हटाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया को कहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ देशद्रोह, रिश्वत और दूसरे संगीन अपराधों में महाभियोग लाया जा सकता है।

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