अमेरिका में गांजा रखने के दोषी माफ, बाइडन बोले- इसके लिए जेल नहीं होनी चाहिए
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गांजा रखने के जुर्म में गिरफ्तार किए गए हजारों लोगों को माफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि वो केवल गांजा रखने के जुर्म में जेल काट रहे सभी कैदियों को माफ कर रहे हैं। किसी भी व्यक्ति को केवल गांजा रखने के लिए जेल में नहीं रहना चाहिए। हालांकि, उन्होंने गांजे को पूरी तरह से अपराधमुक्त न करते हुए कहा कि तस्करी, मार्केटिंग और नाबालिग लोगों पर इसे बेचने की रोक जारी रहनी चाहिए।
अमेरिका की 18 फीसदी आबादी करती है गांजे का इस्तेमाल
2019 के एक अनुमान के मुताबिक, अमेरिका की करीब 18 प्रतिशत आबादी गांजे का इस्तेमाल करती है। अमेरिका के कई राज्यों में मेडिकल इस्तेमाल के लिए गांजे पर कोई रोक नहीं है। बाइडन ने गांजा रखने के दोषियों को माफ करने के साथ ही न्याय और स्वास्थ्य विभाग को यह फैसला लेने का आदेश दिया है कि क्या गांजे को कम खतरनाक पदार्थ के तौर पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
बाइडन ने बयान में कही ये बातें
बाइडन ने कहा कि केवल गांजा रखने के लिए लोगों को जेल भेजने से कई जानें चली गई हैं और ऐसे काम के लिए लोगों को कैद किया गया, जो कई राज्यों में गैरकानूनी नहीं है। उन्होंने कहा कि गांजा रखने के लिए ज्यादातर अश्वेत लोगों को निशाना बनाया गया। इसके चलते इन लोगों को सालों जेल में रहना पड़ा, जिससे उन्हें काम और शिक्षा हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
कितने कैदियों को मिलेगा फायदा?
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय कानूनों के तहत दोषी पाए गए 6,500 लोगों पर इसका सीधा असर होगा। इसके अलावा हजारों अन्य कैदियों को भी इसका फायदा मिलेगा। साथ ही राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद राज्यों पर भी यह दबाव बढ़ेगा कि वो भी ऐसे कदम उठाएं। बाइडन ने अपने बयान में गवर्नरों से अपील करते हुए कहा कि वो भी अपने प्रांतों में ऐसे फैसले लें। किसी को महज गांजा रखने के लिए जेल में नहीं रहना चाहिए।
अमेरिका में खतरनाक ड्रग्स के साथ वर्गीकृत किया गया है गांजा
अमेरिका में गांजे को केंद्रीय कानूनों के तहत कंट्रोल्ड सबस्टैंस एक्ट के शेड्यूल 1 में रखा गया है। इसी शेड्यूल में फेंटानाइल, मेथामफेटामाइन, हेरोइन और LSD जैसी ड्रग्स रखी गई हैं। बाइडन के इस फैसले का कानून और राजनीति पर काफी असर होगा। इस कदम के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपना एक वादा पूरा कर दिया है और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की तरफ से चली आ रही मांग को भी पूरा किया है।
भारत में 1985 से प्रतिबंधित है गांजा
गांजे को मैरुआना, पॉट और ग्रास समेत कई नामों से जाना जाता है। हालांकि, इसका वैज्ञानिक नाम कैनेबिस है। कैनेबिस एक पौधा होता है। इसकी दो वेराइटी कैनेबिस सेटाइवा और कैनेबिस इंडिका बहुत मशहूर हैं। भारत की बात करे तो यहां प्राचीन काल से गांजे का सेवन होता आया है। हालांकि, 1985 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने कानून लाकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। दुनिया के कई देशों में इसके मेडिकल इस्तेमाल पर रोक नहीं है।