शिवसेना छिनने से नाराज उद्धव ठाकरे ने की चुनाव आयोग को भंग करने की मांग
क्या है खबर?
शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह छिन जाने के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग को भंग कर देना चाहिए और जनता द्वारा चुनाव आयुक्तों को चुना जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने के बाद ठाकरे ने कहा, "एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है, जहां पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न सीधे एक गुट को दिया गया हो। इतनी जल्दी में फैसला देने की क्या जरूरत थी?"
बयान
पार्टी और चुनाव चिन्ह पर हमारा अधिकार- ठाकरे
ठाकरे ने कहा, "मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप सब यहां क्यों हैं? मेरे पास कुछ भी नहीं है, सब कुछ चुरा लिया गया है। भले ही दूसरे गुट ने हमारा नाम और प्रतीक ले लिया हो, लेकिन वो जो नहीं ले सकते, वो ये कि मेरा नाम ठाकरे है। बालासाहेब ठाकरे के परिवार में पैदा होना मेरा सौभाग्य था। वो दिल्ली की मदद से भी इसे नहीं छीन सकते हैं। मुझे विपक्षी नेताओं का समर्थन प्राप्त है।"
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"मैंने हिंदुत्व कभी नहीं छोड़ा, जो हिंदू है, उसे अब बोलना चाहिए"
ठाकरे ने आगे कहा, "भाजपा ने आज हमारे साथ जो किया, वह किसी के साथ भी कर सकती है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2024 तक देश में लोकतंत्र नहीं बचेगा या लोकसभा चुनाव नहीं होगा।"
उन्होंने कहा, "2019 में भाजपा के साथ दशकों पुराने गठबंधन को समाप्त करने पर मुझ पर हिंदुत्व की राजनीति छोड़ने के आरोप लगाए गए थे, लेकिन मैंने हिंदुत्व कभी नहीं छोड़ा। जो भी हिंदू है उसे अब बोलना चाहिए।"
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चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए था- ठाकरे
ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग को पार्टी के चिन्ह पर अपना फैसला देने से पहले विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए था।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के दबाव में चुनाव आयोग ने यह फैसला दिया है और यह लोकतंत्र के बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।
बता दें कि ठाकरे ने आज चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
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"एक गुट को सीधा दिया गया लाभ"
ठाकरे ने कहा कि अंधेरी उपचुनाव में वो जीते और शिंदे गुट ने चुनाव लड़ने की हिम्मत तक नहीं दिखाई।
उन्होंने कहा, "इंदिरा गांधी के समय में ऐसा ही एक सिंडिकेट था। उस समय भी उन्हें (कांग्रेस) हाथ का चुनाव चिन्ह मिलने से पहले नए चुनाव चिह्न दिए गए थे। मुलायम सिंह यादव कभी कोर्ट नहीं गए, इसलिए समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के पास गई। ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है, जहां एक गुट को सीधा लाभ दिया गया हो।"
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ठाकरे ने अमित शाह की मौगेंबो से की थी तुलना
कल अंधेरी में हुई बैठक में ठाकरे ने अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा था, "कल पुणे के दौरे पर किसी व्यक्ति (अमित शाह) ने पूछा कि महाराष्ट्र में चीजें कैसे चल रही हैं। उन्हें जवाब मिला कि चुनाव आयोग ने उनके हक में फैसला दिया है। फिर उस व्यक्ति ने कहा कि बहुत अच्छा, मोगैंबो खुश हुआ। ये लोग आज के मोगैंबो हैं और चाहते हैं कि लोग आपस में लड़ें, ताकि वे सत्ता का आनंद उठा सकें।"
मामला
क्या है मामला?
एकनाथ शिंदे और ठाकरे गुट में शिवसेना को लेकर छिड़ी जंग के बीच चुनाव आयोग ने शिंदे गुट के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह दे दिया था।
दरअसल, जून, 2022 में शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना उनके और उद्धव ठाकरे के दो गुटों में बंट गई थी। दोनों ही गुटों ने शिवसेना पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश की थी और मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया था।