कोरोना वायरस: इंग्लैंड में मिला डेल्टाक्रॉन, स्वास्थ्य एजेंसी रख रही नजर
इंग्लैंड में मिले कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट ने स्वास्थ्य विशेषज्ञ को चौंकन्ना कर दिया है। इसे डेल्टाक्रॉन नाम से जाना जा रहा है इसमें डेल्टा और ओमिक्रॉन, दोनों के गुण हैं। इंग्लैंड की स्वास्थ्य एजेंसी ने कुछ सैंपलों में डेल्टाक्रॉन मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है। अभी तक पता नहीं चल पाया है कि यह वेरिएंट इंग्लैंड में ही पहली बार मिला है या किसी दूसरे देश से आया है।
अभी तक सामने नहीं आई वेरिएंट से जुड़ी सारी जानकारी
स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि अभी तक इस वेरिएंट की घातकता, इसके लक्षणों की गंभीरता, संक्रामकता और वैक्सीन के खिलाफ इसकी प्रतिक्रिया को लेकर कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी इसके मामले बहुत कम हैं, इसलिए चिंता की बात नहीं है।
पहले साइप्रस में मिला था डेल्टाक्रॉन
डेल्टाक्रॉन सबसे पहले पिछले महीने साइप्रस में सामने आया था। यूनिवर्सिटी ऑफ साइप्रस में काम करने वाले लियोनिडोस कोस्ट्रिकिस ने दावा किया था कि उनकी टीम ने डेल्टाक्रॉन के 25 मामलों का पता लगाया था। इन सैंपलों की सीक्वेसिंग को वायरस में बदलावों पर नजर रखने वाले GISAID को भेजा गया था। कोस्ट्रिकिस ने बताया कि इस हाइब्रिड स्ट्रेन में डेल्टा जिनोम में ओमिक्रॉन जैसे जेनेटिक सिग्नेचर हैं, लेकिन उनके दावे को खारिज कर दिया गया था।
डेल्टा और ओमिक्रॉन से अधिक संक्रामक है डेल्टाक्रॉन- कोस्ट्रिकिस
कोस्ट्रिकिस के इस दावे को दुनिया के कई पब्लिकेशन ने 'लैब एरर' बताकर खारिज किया था। इसके बाद प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि नया वेरिएंट डेल्टा और ओमिक्रॉन का हाइब्रिड वेरिएंट है और इन दोनों की तुलना में तेजी से फैलता है। बता दें कि डेल्टा वेरिएंट के कारण भारत में दूसरी और ओमिक्रॉन के कारण महामारी की तीसरी लहर आई थी। दूसरी लहर के दौरान देश ने भारी तबाही का सामना किया था।
कैसे बनते हैं वायरस के नए वेरिएंट?
कोरोना महामारी फैलाने के पीछे SARS-CoV2 वायरस का हाथ है। वायरस के DNA में बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। ज्यादा म्यूटेशन होने पर वायरस नया रूप ले लेता है, जिसे नया वेरिएंट कहा जाता है। वायरस के नए वेरिएंट के सामने आने के कई कारण हैं, जिसमें एक इसका लगातार प्रसार है। कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होना का मौका देता है। ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।
क्यों होते हैं वायरस में म्यूटेशन?
सरल भाषा में समझें तो SARS-CoV-2 का जेनेटिक कोड लगभग 30,000 अक्षरों के RNA का एक गुच्छा है। जब वायरस इंसानी कोशिकाओं में प्रवेश करता है तो यह वहां अपनी तरह के हजारों वायरस पैदा करने की कोशिश करता है। कई बार इस प्रक्रिया के नए वायरस में पुराने का DNA पूरी तरह 'कॉपी' नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में हर कुछ हफ्तों के बाद वायरस म्यूटेट हो जाता है, मतलब उसका जेनेटिक कोड बदल जाता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक 41.77 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 58.51 लाख लोगों की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 7.82 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 9.28 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है। भारत में अब तक 4.27 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है, जबकि 5.10 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।