क्या कोराना वायरस जैसी महामारी का रूप ले सकता है मंकीपॉक्स? जानें विशेषज्ञ की राय

अभी कोरोना वायरस महामारी से राहत मिली नहीं थी कि मंकीपॉक्स वायरस के बढ़ते मामलों ने सबको चिंता में डाल दिया है। पहले अफ्रीका तक सीमित रहा यह वायरस अभी अमेरिका और यूरोप के कई देशों में फैल रहा है। इससे लोगों के मन में सवाल पैदा हुआ है कि क्या मंकीपॉक्स भी कोरोना वायरस की तरह महामारी का रूप ले सकता है। आइए इस पर विशेषज्ञों की राय जानते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड अपर चेसापीक हेल्थ के मुख्य क्वालिटी अधिकारी और उपाध्यक्ष डॉ फहीम यूनुस के अनुसार, मंकीपॉक्स के मामले चिंताजनक हैं, लेकिन इसके कोविड जैसी महामारी बनने का खतरा जीरो प्रतिशत है। इसके कारण गिनाते हुए उन्होंने कहा कि कोविड महामारी का कारण बने SARS-CoV-2 वायरस की तरह मंकीपॉक्स वायरस नॉवेल (नया) नहीं है। उन्होंने कहा कि यह वायरस लगभग पांच दशक से मौजूद हैं। इसका मतलब वैज्ञानिकों के पास इसकी अच्छी-खासी जानकारी मौजूद है।
मंकीपॉक्स के कोविड जैसी महामारी न बनने के अन्य कारण बताते हुए डॉ फहीम ने कहा कि मंकीपॉक्स वायरस आमतौर पर घातक नहीं होता है। इसके साथ ही ये कोविड से कम संक्रामक भी है, इसका मतलब ये कम तेजी और कम आसानी से फैलता है। मंकीपॉक्स को लेकर सबसे ज्यादा आश्वस्त करने वाली बात बताते हुए डॉ फहीम ने कहा कि इसे पहले से मौजूद चेचक की वैक्सीनों की मदद से रोका जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी लोगों की चिंताओं को शांत करते हुए कहा कि मंकीपॉक्स कोविड के स्तर तक नहीं पहुंचेगा। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता ये चिंता के उस स्तर तक पहुंचेगा जैसी कोविड के साथ थी।"
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। मंकीपॉक्स वायरस का सबसे पहले 1958 में पता चला था। तब रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में इस वायरस के कारण पॉक्स जैसी बीमारी देखी गई थी।
मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो सकता है। ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। ये वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में भी फैल सकता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से ये प्रसार होता है। संक्रमित व्यक्ति की किसी चीज से संपर्क में आने पर भी ये वायरस फैल सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 13 मई के बाद से अफ्रीका के बाहर 12 देशों में मंकीपॉक्स के लगभग 100 मामले सामने आ चुके हैं। जिन देशों में मामले पकड़ में आए हैं, उनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन शामिल हैं। ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन इससे सर्वाधिक प्रभावित देश हैं। WHO के एक सलाहकार ने स्पेन और बेल्जियम में हुई रेव पार्टियों से वायरस के यौन प्रसार की बात कही है।