WHO ने मंकीपॉक्स को 'ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी' घोषित किया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तेजी से बढ़ते मंकीपॉक्स के प्रकोप को देखते हुए इस वायरस को 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल (ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी)' घोषित कर दिया है। इसका मतलब है कि WHO अब इस वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़े खतरे के रूप में देख रहा है और WHO चाहता है कि अब इस वायरस को आगे फैलने और एक महामारी में बदलने से रोकने के लिए सभी देशों को साथ आने की जरुरत है।
WHO ने क्या कहा?
WHO प्रमुख डॉ टेड्रोस अधेनोम गेब्रिएसेस ने कहा कि हमारे सामने एक प्रकोप है जो नए-नए तरीकों से दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है। इसके बारे में हमें बहुत कम पता है। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि मंकीपॉक्स को 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित किया जाए। टड्रोस ने आगे कहा, "WHO का आकलन है कि यूरोपीय क्षेत्र को छोड़कर, मंकीपॉक्स का विश्व स्तर पर सभी क्षेत्रों में मध्यम जोखिम है। यह आगे अंतरराष्ट्रीय प्रसार का एक स्पष्ट जोखिम भी है।"
क्या है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस और क्या हैं इसके लक्षण?
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।
इन देशों में सामने आ चुके हैं मंकीपॉक्स के मामले
WHO के अनुसार, अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इजरायल, स्विट्जरलैंड समेत 75 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर मामले यूरोप में सामने आए हैं। इस साल अब तक पांच लोगों की इस वायरस ने जान ले ली है। ये सभी मौतें अफ्रीका में हुई हैं, अफ्रीका से बाहर अभी तक कोई मौत रिपोर्ट नहीं हुई।
भारत में सामने आ चुके हैं तीन मामले
भारत में अब तक मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आ चुके हैं। ये तीनों ही मामले केरल में मिले हैं। पहला मामला 14 जुलाई को मिला था। तब कोल्लम के रहने वाले 35 वर्षीय शख्स को इस वायरस से संक्रमित पाया गया था। वह UAE से वापस लौटा था। इसके बाद दुबई से कन्नूर लौटे एक शख्स को मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया। फिर 22 जुलाई को UAE से लौटे शख्स को इस वायरस से संक्रमित पाया गया।
सतर्क है भारत सरकार, गाइडलाइंस जारी
पहला मामला सामने आने के बाद से ही केंद्र सरकार सतर्क है और उसने बीमारी से निपटने में राज्य सरकार की मदद करने के लिए एक टीम को केरल भेजा हुआ है। इसके अलावा उसने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए नई गाइडलाइंस भी जारी की हैं जिनमें उन्हें बीमार यात्रियों के संपर्क में न आने की सलाह दी गई है। उन्हें बुशमीट न खाने और अफ्रीका के जंगली जानवरों से बने उत्पादों का इस्तेमाल न करने को भी कहा गया है।