ब्रिटेन: लिज ट्रस को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा क्यों देना पड़ा?
क्या है खबर?
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने देश में उपजे आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य लगातार उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे। वह महज 45 दिन ही इस कुर्सी पर टिक पाई।
इसके साथ ही उनके नाम ब्रिटेन का सबसे कम दिनों तक प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज हो गया है।
ऐसे में आइए जानते हैं कि ट्रस के इस्तीफा देने के कारण कौनसे हैं।
#1
चुनावी अभियान के दौरान लिया गलत फैसला
लिज ट्रस के इस्तीफा देने के पीछे सबसे बड़ा कारण उनके द्वारा बिना सोचे-समझे लिए गए फैसले रहे हैं। इसकी शुरुआत उनके चुनावी अभियान से ही हो गई थी।
उस दौरान उन्होंने टैक्स में कटौती का फैसला कर सबको चौंकाया था। यही फैसला उनके पतन का कारण बन गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी उनके फैसले का मजाक उड़ाया था। उसके बाद से ही पार्टी के भीतर भी उनके खिलाफ आवाज उठने लग गई थी।
#2
जनमत सर्वेक्षण में कंजर्वेटिव पार्टी का विपक्ष से पिछड़ना
टैक्स कटौती के फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के आलोचना करने और अपनी ही पार्टी के सदस्यों के विरोध में आने पर जनमत सर्वेक्षण कराया गया था। इसमें कंजर्वेटिव पार्टी विपक्ष से पिछड़ गई थी।
इस सर्वेक्षण के बाद ट्रस की लीडरशिप पर सवाल उठने लगे और पार्टी में बागियों के सुर बुलंद होने लग गए।
पार्टी के कई नेताओं का मानना था कि ट्रस को पद से हटाकर ही स्थिति में सुधार की कोई उम्मीद की जा सकती है।
#3
मिनी बजट के बाद बढ़ा विरोध
23 सितंबर को तत्कालीन वित्त मंत्री क्वाजी क्वार्टेंग ने मिनी बजट पेश किया था। इसमें 45 अरब डॉलर की टैक्स कटौती की बात कही गई थी।
इससे वित्तीय बाजारों में तूफान आ गया। शेयर बाजार में गिरावट आई और अमीर तबके ने सरकार की आलोचना शुरू कर दी।
26 सितंबर को डॉलर के मुकाबले पाउंड रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। ऐसे में बैंक ऑफ इंग्लैंड को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
उसके बाद ट्रस के खिलाफ विरोध बढ़ गया।
#4
अपने लिए फैसलों को बदलने से नेतृत्व क्षमता पर उठे सवाल
हालातों को सुधारने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ट्रस को नीतियों में बदलाव का सुझाव दिया था। ऐसे में 3 अक्टूबर को उन्होंने टैक्स कटौती का फैसला वापस ले लिया।
इसके बाद भी स्थिति में सुधार न होने पर उन्होंने 14 अक्टूबर को अपने चहते वित्त मंत्री क्वाज़ी क्वार्टेंग को बर्खास्त कर उनकी जगह जेरेमी हंट की नियुक्ति कर दी।
हंट ने उनकी सभी नीतियों को बदलते हुए बिजली बिल बढ़ोतरी पर लगी रोक भी हटा दी।
#5
अपने फैसलों पर माफी मांगने से हावी हुआ विपक्ष
मिनी बजट के दौरान लिए गए अपने फैसलों को वापस लेने के बाद ट्रस ने संसद में माफी भी मांगी थी। इसके साथ ही विपक्ष उन पर हावी हो गया था।
विपक्षी नेताओं का आरोप था कि फैसलों को वापस लेने वाले बेहतर भविष्य की योजना नहीं बना सकते। इसी तरह वह अपने कार्यकाल में जनता के बीच पहचान बनाने और उनका विश्वास जीतने में असफल रही हैं। उनके फैसलों से सुधार की गुंजाइश नहीं नजर आ रही है।
#6
ब्रिटेन की चुनौतियों से निपटने में विफलता
ट्रस के ब्रिटेन की बागडोर संभालने के दौरान देश कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा था। डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश पाउंड लगातार गिरता जा रहा था।
रूस और यूक्रेन की जंग का असर ईधन के दामों पर भी पड़ा था। लगातार हो रही महंगाई के कारण देश का मध्यम वर्ग पहले ही नाराज चल रहा था।
ऐसे तमाम मुद्दों पर वह कोई फैसला नहीं ले पाईं। इससे उनका विरोध बढ़ता गया और आखिरकार ट्रस को इस्तीफा देना पड़ा।
#7
गृह मंत्री के इस्तीफे से बढ़ा दबाव
प्रवासियों से संबंधित एक सीक्रेट ड्राफ्ट बिना मंजूरी के अपने निजी ईमेल से अपने सहयोगी को शेयर करने के मामले में भारतीय मूल की ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने अपनी गलती मानते हुए कहा था कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है।
उन्होंने इस्तीफे में प्रधानमंत्री ट्रस पर हमला बोलते हुए नैतिकता की दुहाई दी थी। इसी के बाद ट्रस पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया था।
बयान
ट्रस ने इस्तीफा देने के बाद क्या कहा?
ट्रस ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा, "वह प्रधानमंत्री मंत्री बनने की दौड़ के दौरान किए वादों को पूरा नहीं कर सकी हैं। उन्होंने अपनी पार्टी का विश्वास खो दिया है।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं मानती हूं कि वर्तमान में मेरे पास वह जनादेश नहीं है, जिसके दम पर मुझे कंजरवेटिव पार्टी ने अपना नेता चुना था। इस कारण मैंने महामहिम राजा को संदेश भिजवाया कि मैं कंजरवेटिव पार्टी के नेता के रूप में इस्तीफा दे रही हूं।"
बयान
अगले सप्ताह तक हो जाएगा नए नेतृत्व का फैसला- ट्रस
ट्रस ने कहा, "मैं 1922 समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी से मिली थी। हम इस पर सहमत हुए कि नेतृत्व का चुनाव अगले सप्ताह पूरा कर लिया जाएगा।" ऐसे में अब प्रधानमंत्री के नए दावरेदारों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है।