Page Loader
कोरोना वायरस: मामले बढ़ने के बावजूद दूसरी लहर में इन वजहों से कम है मृत्यु दर

कोरोना वायरस: मामले बढ़ने के बावजूद दूसरी लहर में इन वजहों से कम है मृत्यु दर

Oct 28, 2020
06:53 pm

क्या है खबर?

यूरोप इन दिनों कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। कई यूरोपीय देशों में संक्रमण के मामले आसमान छू रहे हैं। सरकारें इससे बचने के लिए लॉकडाउन और दूसरी पाबंदियां लगा रही हैं। इस वजह से अर्थव्यवस्था का पहिया एक बार फिर थमने लगा है। हालांकि, इन सबके बीच एक राहत की खबर यह भी है कि संक्रमण की तेज रफ्तार के बावजूद महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या कम है।

जानकारी

मामलों के अनुरूप में नहीं बढ़ रही मृत्यु दर

यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज प्रीवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) के आंकड़ो के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और दूसरे यूरोपीय देशों में महामारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन मौतों की दर उतनी नहीं है।

महामारी का प्रकोप

"पहले के स्तर से बहुत नीचे है मृत्यु दर"

महामारी से जुड़े आंकड़ों पर नजर रखने वाले जैसन ओक CNN से बात करते हुए कहते हैं कि कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की दर घट रही है। वो कहते हैं, "हमारा मौजूदा अनुमान है कि संक्रमण मृत्यु दर थोड़ी ऊपर जा रही है, लेकिन यह उस स्तर के नजदीक भी नहीं पहुंची है, जहां यह पहले थी। अगर बहुत कुछ अप्रत्याशित नहीं होता है तो यह इसी स्तर पर बनी रहेगी।"

कोरोना वायरस

यूरोप के अलावा दूसरी जगह भी घट रही मृत्यु दर

ओक का शोध बताता है कि जून के अंत में इंग्लैंड में कोरोना वायरस के कारण कुल संक्रमित लोगों में से 3 प्रतिशत की मौत हो रही थी, लेकिन अगस्त में यह गिरकर 0.5 प्रतिशत रह गई। बीते कुछ दिनों में इसमें मामूली बढ़ोतरी हुई है और यह 0.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। हालांकि, केवल यूरोप ही नहीं बल्कि अमेरिका समेत दूसरी जगहों पर भी कोरोना वायरस मृत्यु दर में कमी आ रही है।

कारण

मौतों में गिरावट आने की वजह क्या है?

मौतों की संख्या में कमी आने का सबसे बड़ा कारण उम्र है। यूरोप में महामारी की पहली लहर में बुजुर्ग लोग सबसे ज्यादा चपेट में आए थे। बुजुर्गों को इस वायरस से ज्यादा खतरा है। दूसरी लहर के समय यह स्थिति बदल गई है। अब ज्यादा युवा लोग वायरस की चपेट में आ रहे हैं। जनवरी से मई तक कोरोना संक्रमित होने वाले लोगों की औसत उम्र 54 साल थी, जो जून और जुलाई में 39 साल रह गई।

डर

मृत्यु दर बढ़ने का खतरा बरकरार

अब चूंकि ज्यादा युवा लोग वायरस की चपेट में आ रहे हैं इसलिए मृत्यु दर कम हो रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि वायरस कमजोर हो गया है। अब अगर यह उम्रदराज लोगों के बीच फैलना शुरू हो जाता है तो मृत्यु दर में फिर इजाफा देखा जा सकता है। इंग्लैंड समेत कुछ देशों में ऐसा देखने को भी मिल रहा है, जहां मृत्यु दर में पिछले कुछ दिनों से मामूली बढ़ोतरी देखी जा रही है।

कारण

बेहतर होता इलाज

समय के साथ-साथ कोरोना वायरस महामारी का इलाज भी बेहतर हुआ है। अब स्वास्थ्यकर्मियों को यह अनुभव हो गया है कि किस हालत में आए मरीज को कैसे संभालना है। रिपोर्ट के अनुसार, पहले डॉक्टर मरीजों के लिए वेंटिलेटर का ज्यादा इस्तेमाल करते थे, जिससे फेफड़ो को नुकसान पहुंचने का डर रहता था। अब इसकी जगह मरीजों को पेट के बल लेटाकर सांस लेने में आ रही परेशानियों को दूर किया जा रहा है।

अच्छा संकेत

ICU से स्वस्थ बाहर आने वाले लोगों की दर भी बढ़ी

इसके अलावा अब गंभीर रूप से बीमार मरीजों के स्वस्थ होने की दर में भी सुधार हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में ICU में भर्ती होने वाले मरीजों के ठीक होने की संभावना पहले से ज्यादा थी। महामारी के शुरुआती दौर में जहां ICU में भर्ती होने वाले 39 प्रतिशत मरीजों की मौत हो रही थी, वो सितंबर में घटकर 12 प्रतिशत हो गई है। इसका मतलब है कि इलाज बेहतर हुआ है।

कोरोना वायरस

दुनियाभर में महामारी की क्या स्थिति?

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अब तक लगभग 4.40 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और 11.69 लाख लोगों की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 87.79 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और लगभग 2.27 लाख लोगों की मौत हुई है। दूसरे नंबर पर मौजूदा भारत में 79.90 लाख मामले सामने आए हैं और 1.20 लाख मौतें हुई हैं। तीसरे नंबर पर काबिज ब्राजील में 54.39 लाख संक्रमितों में से लगभग 1.58 लाख मरीजों की मौत हुई है।