#NewsBytesExplainer: चंद्रयान-3 के चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग को क्यों नकार रहा चीन?
भारत का चंद्रयान-3 मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था। इसके साथ ही यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत पहला देश बन गया। चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "वैज्ञानिकों की मेहनत और प्रतिभा से भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया, जहां दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है।" अब चीन के लूनर एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के संस्थापक ने भारत के इस दावे का खंडन किया है।
दक्षिणी ध्रुव और उसके पास के क्षेत्र का क्यों है महत्व?
दक्षिणी ध्रुव के कई हिस्सों पर हजारों वर्षों से सूरज की रोशनी नहीं पहुंची है। इस वजह से इन इलाकों में पूरी तरह से अंधेरा होने के साथ ही यहां का तापमान -248 डिग्री सेल्सियस तक नीचे जाता है। इतना कम तापमान होने के चलते यहां पानी के बर्फ की मौजूदगी है। इसी पानी की तलाश चांद के दक्षिणी ध्रुव के महत्व को बढ़ा देती है। विभिन्न देशों के बीच चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की होड़ लगी है।
चीन के वैज्ञानिक ने कही ये बात
चीन के पहले चांद मिशन के मुख्य वैज्ञानिक और ब्रह्मांड विज्ञानी ओयांग जियुआन ने बुधवार को कहा था कि यह कहना गलत था कि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य ओयांग ने चीन के आधिकारिक साइंस टाइम्स अखबार को बताया कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि लैंडिंग दक्षिणी ध्रुव के पास या अंटार्कटिक ध्रुवीय क्षेत्र के पास भी नहीं थी।
इस आधार पर है चीन नकार रहा दावा
चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने 69 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर लैंड किया। इस बारे में ओयांग ने बताया कि यह चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध के भीतर था, लेकिन ध्रुवीय क्षेत्र में नहीं था। उनके मुताबिक, दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र 88.5 और 90 डिग्री अक्षांश के बीच है। पृथ्वी की रोटेशनल एक्सिस सूर्य के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई है। इसी वजह से 66.5 और 90 डिग्री दक्षिण अक्षांश को दक्षिणी ध्रुव माना जाता है।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को नहीं कह सकते दक्षिणी ध्रुव- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को दक्षिणी ध्रुव नहीं कहा जा सकता। उसके मुताबिक, दक्षिणी ध्रुव शेकलटन क्रेटर के किनारे पर स्थित है और इस वजह से वहां पर लैंडिंग कठिन थी। नासा ने 80 से 90 डिग्री दक्षिण अक्षांश को दक्षिणी क्षेत्र माना है। इस हिसाब से चंद्रयान-3 ध्रुवीय क्षेत्र से बाहर लैंड किया, लेकिन पिछले मिशनों की तुलना में दक्षिणी अक्षांश की तरफ लैंड किया है।
नासा प्रमुख ने दक्षिणी ध्रुव की लैंडिंग पर ISRO को दी थी बधाई
हालांकि, नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए एक्स पर पोस्ट कर बधाई दी थी। दूसरी तरफ सिडनी में मैक्वेरी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मैथमेटिकल एंड फिजिकल साइंसेज के प्रोफेसर रिचर्ड डी ग्रिज ने कहा कि भारतीय मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र से परे माने जाने वाले क्षेत्र में उतरा था।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरा चंद्रयान-3- क्वेंटिन पार्कर
खगोल भौतिकविद् और हांगकांग यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला के निदेशक क्वेंटिन पार्कर ने कहा कि अंतरिक्ष यान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरा था। उन्होंने कहा कि रोवर को दक्षिणी ध्रुव के रूप में परिभाषित क्षेत्र या उसके भीतर उतारना एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि किसी के पास ऐसा करने की तकनीकी क्षमता है तो वह करीब जा सकता है। उनके मुताबिक, भारत अब तक किसी भी अन्य की तुलना में अधिक करीब गया है।
चंद्रयान-3 अन्य की तुलना में सबसे अधिक दक्षिणी अक्षांश वाले क्षेत्र में पहुंचा- ली मैन
हांगकांग यूनिवर्सिटी के प्लेनेटरी डायनमिसिस्ट ली मैन होई ने कहा कि चंद्रयान-3 अब तक किसी भी अन्य लैंडर की तुलना में चांद पर सबसे अधिक दक्षिणी अक्षांश वाले क्षेत्र में पहुंचा है। उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों की टीम द्वारा इस स्थल को उच्च अक्षांश वाले स्थान के रूप में वर्णित किए जाने का भी उल्लेख किया। चीन के चांग ई 4 के बारे में उन्होंने कहा कि यह 45.4 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर उतरा था।
23 अगस्त, 2023 को चांद की सतह पर हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग
14 जुलाई को चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था और 23 अगस्त को यह चांद की सतह पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई। इसके साथ ही रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर लैंड करने वाला भारत चौथा देश बन गया।