#NewsBytesExplainer: भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बांग्लादेश को इतनी अहमियत क्यों दे रहा है?
क्या है खबर?
भारत ने G-20 शिखर सम्मेलन में बांग्लादेश को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था। बांग्लादेश इकलौता पड़ोसी देश था, जिसे भारत ने G-20 सम्मेलन में इतनी तवज्जो दी।
सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन शीर्ष नेताओं के साथ अपने आवास पर द्विपक्षीय बैठक की, उनमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के अलावा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शामिल रहीं।
आइए जानते हैं कि भारत क्यों बांग्लादेश को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इतनी अहमियत दे रहा है।
बांग्लादेश
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बांग्लादेश की बढ़ी विश्वनीयता
1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था, लेकिन अब कई मामलों में वह पाकिस्तान को पीछे छोड़ चुका है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी विश्वनीयता बढ़ी है और आर्थिक रूप से वह पाकिस्तान से अधिक मजबूत और स्थिर है।
बांग्लादेश को G-20 शिखर सम्मेलन से पहले दक्षिण अफ्रीका में आयोजित BRICS सम्मेलन में भी बुलाया गया था।
वैसे बांग्लादेश दोनों अंतरराष्ट्रीय समूहों का सदस्य नहीं है, लेकिन भारत ने उसे यहां जगह दिलाई।
तवज्जो
भारत के लिए शेख हसीना क्यों अहम?
बांग्लादेश की सत्ता पर पिछले 14 सालों से शेख हसीना की बांग्लादेश अवामी लीग काबिज है। अवामी लीग उदार, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रित मूल्यों पर विश्वास रखती है।
इसके विपरीत विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का झुकाव इस्लामिक कट्टरपंथियों की तरफ रहा है और वो पाकिस्तान और चीन की नीतियों की वकालत करती है।
भारत से बांग्लादेश की सीमा लगी हुई है और वह नहीं चाहेगा कि उसके पड़ोसी देश में दुश्मन देशों का साथ देने वाली सरकार हो।
व्यापार
कैसे हैं भारत और बांग्लादेश के रिश्ते?
दक्षिण एशिया में व्यापार के मामले में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा सहयोगी है। दोनों देशों के बीच सालाना 2,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा का व्यापार होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हुए हैं।
एक तरफ भारत की 'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी के लिए बांग्लादेश अहम है, वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश को भी सीमावर्ती इलाकों में विकास और कनेक्टिविटी के लिए भारत की जरूरत है।
सहयोग
बांग्लादेश को भारत से क्या आर्थिक लाभ मिल रहा?
भारत ने पिछले 8 सालों में बांग्लादेश को सड़क, रेलवे और बंदरगाहों जैसे क्षेत्रों में ढांचागत विकास के लिए करीब 800 करोड़ डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट दिया है। साथ ही भारत-बांग्लादेश के बीच डीजल आपूर्ति के लिए मैत्री पाइपलाइन का कार्य जारी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन प्रोजेक्ट्स से बांग्लादेश को पर्यटन और व्यापार के हिसाब से पूर्वी भारत में पहुंच मिलेगी और यह कर्ज नहीं, बल्कि एक विकासात्मक सहयोग है, जिससे दोनों देशों को लाभ मिलेगा।
सीमा
भारत के लिए क्यों अहम है बांग्लादेश?
बांग्लादेश के साथ भारत की लगभग 4,000 किलोमीटर की सीमा लगती है। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की चुनौतियों को देखते हुए भारत को इलाके में भरोसेमंद सहयोगी की जरूरत है।
उत्तर-पूर्वी भारत में अलगाववादियों को पनाह देने में पूर्ववर्ती बांग्लादेशी सरकार ने अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद कई अलगाववादी नेताओं को बांग्लादेश ने भारत को सौंपा है।
इस क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए भी बांग्लादेश अहम है।
जीत
शेख हसीने से G-20 के शीर्ष नेताओं की मुलाकात के क्या मायने?
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश और अमेरिका के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं, लेकिन G-20 सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और यूरोपीय संघ के अन्य नेताओं से शेख हसीना की मुलाकात अच्छी रही।
उनका कहना है कि भारत द्वारा G-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर बांग्लादेश को तवज्जो दिए जाने से अमेरिका के साथ उसके संबंध सुधरेंगे और कुछ हद बांग्लादेश पर बना दबाव कम होने लगेगा।
उन्होंने कहा कि रणनीतिक तौर पर यह भारत की जीत है।
और
पश्चिमी देशों को क्यों है बांग्लादेश की जरूरत?
भारत और अमेरिका के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में बांग्लादेश का साथ जरूरी है। अमेरिका और यूरोप नहीं चाहेगा कि बांग्लादेश चीन के साथ चला जाए क्योंकि म्यांमार और श्रीलंका का पहले ही चीन की तरफ झुकाव है।
विशेषज्ञों के अनुसार, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल भारत के पड़ोसी देश हैं। इनमें से नेपाल का पश्चिमों देशों के प्रति कोई लगाव नहीं है, इसलिए उनके लिए रणनीतिक तौर पर बांग्लादेश अहम हो जाता है।