#NewsBytesExplainer: क्या है 'द रेजिस्टेंस फ्रंट', जिसके आतंकियों ने अनंतनाग में ली 3 जवानों की जान?
बुधवार को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और जम्मू कश्मीर पुलिस के DSP शहीद हो गए। आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ही इस हमले की जिम्मेदारी ली है। ये संगठन पहले भी घाटी में कई आतंकी हमले कर चुका है। आइए आपको सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बन रहे इस आतंकी संगठन के बारे में विस्तार से बताते हैं।
TRF क्या है?
सरकार का कहना है कि TRF वास्तव में पाकिस्तान के खूंखार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की ही एक शाखा है। 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान की मदद से लश्कर ने ही इसे लॉन्च किया था। ये संगठन जम्मू-कश्मीर में तेजी से अपना नेटवर्क बढ़ा रहा है। इसी वर्ष 5 जनवरी को गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत TRF को आतंकी संगठन घोषित किया था।
TRF राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा
केंद्र सरकार ने TRF की गतिविधियों को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बताया था। TRF कमांडर शेख सज्जाद गुल को भी UAPA अधिनियम के तहत केंद्र सरकार ने आतंकवादी घोषित किया था। गृह मंत्रालय के अनुसार, TRF जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों और निर्दोष नागरिकों की हत्या, आतंकियों की भर्ती, अवैध घुसपैठ और सीमा पार से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी की योजनाओं में शामिल रहा है और प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सहायता करता है।
सोशल मीडिया के जरिए नेटवर्क फैला रहा TRF
TRF जम्मू-कश्मीर के लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काकर उन्हें आतंकवादी संगठनों में भर्ती करता है। इसके लिए वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मनोवैज्ञानिक अभियानों का सहारा लेता है और यहां अपना प्रोपेगेंडा फैलाता है। कश्मीरी पंडितों के अलावा TRF जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक सिख समुदाय को भी धमकियां जारी कर चुका है। आम नागरिकों को निशाना बनाने के अलावा ये संगठन सुरक्षाबलों के खिलाफ भीषण गोलीबारी में भी शामिल रहा है।
किन हमलों में शामिल रहा है TRF?
TRF यूं तो कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है, लेकिन हालिया समय में उसने कश्मीर में काम करने वाले बाहरी मजदूरों और कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया है। इसी साल 26 फरवरी को उसने सुरक्षा गार्ड का काम करने वाले कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की भरे बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इससे पहले उसने 2021 में पुलवामा में बढ़ई का काम करने वाले उत्तर प्रदेश के एक प्रवासी मजदूर की हत्या कर दी थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
कश्मीर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (ADGP) विजय कुमार के अनुसार, 2022 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच 93 मुठभेड़ हुईं, जिनमें 42 विदेशी समेत कुल 172 आतंकवादी मारे गए। मुठभेड़ों में लश्कर-ए-तैयबा और TRF के सर्वाधिक 108 आतंकवादी मारे गए थे। इसी तरह जैश-ए-मोहम्मद के 35, हिजबुल मुजाहिदीन के 22, अल-बद्र के 4 और अंसार गजवत उल-हिंद के 3 आतंकियों को ढेर किया गया।