#NewsBytesExplainer: चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर करेगा लैंड, जानें क्यों महत्वपूर्ण है यह क्षेत्र
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) 14 जुलाई, 2023 को अपना मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च करने को तैयार है। चंद्रयान-3 चांद के दुर्गम माने जाने वाले इलाके दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। वैज्ञानिकों के पास चांद के उत्तरी ध्रुव से जुड़ी काफी जानकारी है, लेकिन भारत सहित अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के पास दक्षिणी ध्रुव से जुड़ी सीमित जानकारी है। आइये जानते हैं कि चंद्रयान-3 के लिए दक्षिणी ध्रुव में उतरना महत्वपूर्ण क्यों है।
दक्षिणी ध्रुव में नहीं पहुंचती रोशनी
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र उत्तरी ध्रुव के मुकाबले ऊबड़-खाबड़, जोखिम भरे और दुर्गम इलाके वाले क्षेत्र हैं। दक्षिणी ध्रुव के कई हिस्सों पर हजारों वर्षों से सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती है और इस वजह से ये इलाके पूरी तरह से अंधेरे में हैं। यहां पर तापमान -248 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है। इतना कम तापमान होने के चलते यहां बर्फ की मौजूदगी है और ये जमा हुआ पानी अरबों वर्ष पुराना हो सकता है।
इस वजह से दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पड़ती रोशनी
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अगर कोई अंतरिक्ष यात्री खड़ा होगा तो उसे सूर्य क्षितिज रेखा पर दिखाई देगा। वह चांद की सतह से लगता हुआ और चमकता नजर आएगा। सूर्य की किरणें दक्षिणी ध्रुव पर तिरछी या बिल्कुल नहीं पड़ती हैं। इस कारण यहां तापमान कम होता है। चांद का जो हिस्सा सूरज के सामने आता है, वहां का तापमान 130 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाता है।
दक्षिणी ध्रुव से मिल सकती है सौरमंडल की उतपत्ति से जुड़ी जानकारी
ISRO की वेबसाइट के मुताबिक, दक्षिणी ध्रुव इसलिए दिलचस्प है क्योंकि छाया में रहने वाला चांद की सतह का क्षेत्र उत्तरी ध्रुव की तुलना में बहुत बड़ा है। इसके आस-पास स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की संभावना हो सकती है। दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ऐसे गड्ढे हैं, जो पूरी तरह से ठंडे हैं और इनसे चांद की उत्पत्ति के साथ ही सौरमंडल के शुरुआती दिनों के जीवाष्म और अन्य सुराग भी मिल सकते हैं।
अंतरिक्ष मिशनों के लिए जरूरी है पानी
नासा की वेबसाइट के मुताबिक, चांद पर ह्यूमन एक्सप्लोरेशन को आगे बढ़ाने के लिए पानी बहुत आवश्यक है। इसका इस्तेमाल पीने से लेकर उपकरणों को ठंडा करने के लिए किया जा सकता है। सौरमंडल में मिशनों के लिए रॉकटे ईंधन बनाने के लिए भी पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। चांद के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिए किया जा सकता है।
दक्षिणी ध्रुव में हैं काफी संभावनाएं
वैज्ञानिक दक्षिणी ध्रुव को भविष्य में मानव लैंडिंग के लिए अच्छा टारगेट मानते हैं, क्योंकि रोबोटिक रूप से यह चांद पर सबसे ज्यादा गहन जांचा गया क्षेत्र है और यहां काफी संभावनाएं हैं। दक्षिणी ध्रुव में मौजूद गड्ढे (क्रेटर) कुछ सेंटीमीटर से लेकर कई हजारों किलोमीटर तक फैले हुए हैं। दक्षिणी ध्रुव से जुड़े शोधों से यह भी पता चलेगा कि वहां की चट्टानें और मिट्टी की बनावट उत्तरी हिस्से जैसी है या नहीं।
रोशनी न पड़ने वाले क्षेत्रों को कहा जाता है PSR
दक्षिणी ध्रुव के जिन हिस्सों या गड्ढों पर सूरज की रोशनी कभी नहीं पड़ती है, उन्हें स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्र या PSR कहा जाता है। 2019 की एक रिपोर्ट में नासा ने कहा था कि PSR में अपना रास्ता खोजने के लिए वहां पर पानी लंबे समय तक रह सकता है। इससे पानी की खोज संभव है। नासा को यह पता चला था कि कुछ सतहें इतनी ठंडी हैं कि सतह पर पानी एकदम स्थिर है।
चंद्रयान-1 से मिले थे चांद पर पानी के संकेत
भारत के 2008 के चंद्रयान -1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति का संकेत दिया था। ISRO के मुताबिक, दक्षिणी ध्रुव के अधिक समय तक छाया में रहने से यहां पानी और खनिज मिलने की संभावना सबसे अधिक है। इस वजह से भारत सहित अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों को भी चांद के इसी इलाके में जीवन की सबसे ज्यादा संभावना है। इससे चांद में मानव बसाने की संभावना का रास्त खुल जाएगा।