
चंद्रयान-3: लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग तक का ऐसा रहा सफर
क्या है खबर?
चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंड कर गया है। इसका लैंडर और रोवर दोनों सुरक्षित तरीके से चांद की सतह पर पहुंच गए हैं।
कुछ देर बाद लैंडर के भीतर रखा रोवर बाहर आएगा और लैंडर रोवर की तस्वीर खींचकर धरती पर भेजेगा।
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया था। लगभग 1 महीने 10 दिन बाद यह चांद की सतह पर पहुंचा है।
आइये जानते हैं कि इसका अब तक का सफर कैसा रहा है।
पृथ्वी
25 जुलाई को पृथ्वी के ऑर्बिट का मैन्युवर किया था पूरा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 17 जुलाई, 2023 को जानकारी दी थी कि चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के ऑर्बिट का दूसरा ऑर्बिट-रेजिंग मैन्युवर (अर्थबाउंड फायरिंग-2) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
बता दें, चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के ऑर्बिट के अपने सफर के दौरान कई ऑर्बिट बदले।
चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के ऑर्बिट में 5 मैन्युवर किए और हर मैन्युवर में इसका ऑर्बिट बदल रहा था।
25 जुलाई, 2023 को चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के ऑर्बिट का अपना पांचवा और आखिरी मैन्युवर पूरा किया।
चुनौती
चुनौती भरा था चांद के ऑर्बिट में चंद्रयान-3 को पहुंचाना
पृथ्वी के ऑर्बिट के बाद इसे 1 अगस्त, 2023 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया।
इसके साथ ही चंद्रयान-3 को पृथ्वी के ऑर्बिट से निकलकर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी यानी चांद के ऑर्बिट में ले जाने वाले रास्ते पर भेज दिया गया। इस रास्ते में यान ने 5 दिन यात्रा की।
इसके बाद 5 अगस्त को लूनर ऑर्बिट इंसर्सन (LOI) के जरिए इसे चांद के ऑर्बिट में भेजा गया। यहां पहुंचाना चुनौतीपूर्ण काम था।
डीबूस्टिंग
17 अगस्त को अलग हुए थे लैंडर और प्रोपल्शन
16 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चांद के ऑर्बिट का अपना पांचवा और आखिरी मैन्युवर पूरा किया।
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम को 17 अगस्त को अंतरिक्ष यान के प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर लिया गया।
अलग होने के बाद लैंडर लैंडिंग के लिए बढ़ गया और प्रोपल्शन चांद के चक्कर लगा रहा है।
ISRO ने चंद्रयान-3 को चांद के करीब पहुंचाने के लिए 18 अगस्त को पहला और 20 अगस्त को दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन पूरा किया।
दूरी
जब लैंडर से चांद के सतह की दूरी रह गई मात्र 25 किलोमीटर
अंतिम डीबूस्टिंग के बाद चांद की सतह से चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर थी।
25 किलोमीटर की दूरी तय करने में 3 दिन का समय लगा, क्योंकि लैंडिंग के लिए सुरक्षित जगह तलाशी जा रही थी।
ISRO के अनुसार, चंद्रयान-3 का लैंडर लैंडिंग से पहले तक चांद के 120 चक्कर काट चुका है।
चंद्रमा तक पहुंचने के इस सफर में लैंडर ने पृथ्वी का भी 21 बार चक्कर लगाया है।
लैंडिंग
चुनौती और रोमांच से भरे रहे लैंडिंग के आखिरी 20 मिनट
आज लैंडर पहले से निर्धारित स्थान यानी चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड हुआ। लैंडिंग के आखिरी 20 मिनट काफी चुनौतीपूर्ण और रोमांच से भरे रहे।
बेंगलुरू सेंटर की कमांड पर विक्रम लैंडर ने 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह पर उतरना शुरू किया।
इस दौरान लैंडर रफ ब्रेकिंग चरण में हॉरिजॉन्टल (क्षैतिज) स्थिति से वर्टिकल स्थिति में पहुंचा यहां से फाइन ब्रेकिंग चरण शुरू हुआ। इसी स्थिति में इसकी लैंडिंग हुई।