चीन ने विवादित नक्शे पर भारत की आपत्ति पर दी प्रतिक्रिया, बताया संप्रभुता का मामला
चीन ने उसके द्वारा जारी किए गए विवादित नक्शे पर भारत की कड़ी आपत्ति के बाद प्रतिक्रिया दी है। चीन ने बुधवार को कहा कि नक्शे को जारी करना एक सामान्य अभ्यास है और संबंधित पक्षों को इसे निष्पक्षता से देखना चाहिए। गौरतलब है कि चीन ने 28 अगस्त को देश का आधिकारिक 'मानक मानचित्र' जारी किया था, जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन को अपने क्षेत्र में दिखाया था।
चीनी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "कानून के अनुसार चीन के मानक मानचित्र के 2023 संस्करण को जारी करना देश की संप्रभुता का सामान्य अभ्यास है।" मंत्रालय ने अपने बयान में किसी देश का नाम नहीं लेते हुए कहा, "उम्मीद है कि संबंधित पक्ष इस मानचित्र को निष्पक्षता के साथ लेंगे और इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं करेंगे। चीन का बयान विदेश मंत्री एस जयशंकर की विवादित नक्शे पर टिप्पणी के एक दिन बाद आया है।
जयशंकर ने क्या कहा था?
एस जयशंकर ने चीन के विवादित नक्शे पर कहा था कि बेतुके दावे करने से दूसरों के इलाके किसी के नहीं हो जाते। उन्होंने कहा था कि ऐसा करना उनकी (चीन की) पुरानी आदत है औरअक्साई चीन और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा हैं।
भारत के विदेश मंत्रालय क्या आपत्ति जताई थी?
भारत ने चीन के मानक मानचित्र पर कड़ी आपत्ति जताते हुए एक इसे आधारहीन बताया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, 'हमने चीन के तथाकथित मानक मानचित्र पर चीनी पक्ष के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से कड़ा विरोध दर्ज करवाया है। हम इन दावों को खारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है। चीनी पक्ष के कदम केवल सीमा विवाद के समाधान को जटिल बनाते हैं।"
क्या है मामला?
चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने 28 अगस्त को देश का आधिकारिक मानचित्र जारी किया था, जिसमें चीन ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन को अपने क्षेत्र में दिखाया था। उसने ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को भी अपने क्षेत्र में दिखाया था। दिल्ली में भारत की अध्यक्षता में 9-10 सितंबर को होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन से पहले चीन की इस हरकत को उकसाने वाला कदम माना जा रहा है।
पहले भी कई बार अरुणाचल को अपने नक्शे में दिखा चुका है चीन
चीन पहले भी कई बार अपने मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन और ताइवान को अपना हिस्सा बता चुका है। चीन ने 2017 और 2021 में भी इस तरह के विवादित नक्शे जारी किए थे, जिनका भारत ने कड़ा विरोध किया था। इस साल अप्रैल में चीन की प्रांतीय परिषद ने अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों का नाम बदल दिया था, जिसमें पर्वत चोटियों, नदियों और आवासीय क्षेत्रों के नाम शामिल थे।
न्यूजबाइट्स प्लस
चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है और अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करते हुए इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है। चीन अरुणाचल प्रदेश के 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपना बताता है। दूसरी तरफ भारत का कहना है कि अरुणाचल उसका अभिन्न अंग है और इस पर भारत की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। इसके अलावा चीन ने अक्साई चिन की करीब 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी अवैध कब्जा कर रखा है।