#NewsBytesExplainer: सैटेलाइट इंटरनेट क्या है और यह कैसे काम करता है?
रिलायंस जियो ने भारत की पहली सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सर्विस जियोस्पेसफाइबर लॉन्च कर दी। इससे देश के दुर्गम इलाकों में भी ब्रॉडबैंड जैसी इंटरनेट स्पीड मिलेगी। हालांकि, कई अन्य देशों में स्टारलिंक जैसी कंपनियां सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस काफी पहले से दे रही हैं और भारत में अपनी सर्विस शुरू करने के लिए उन्होंने लाइसेंस के लिए आवेदन किया हुआ है। ऐसे में आइए जान लेते हैं सैटेलाइट इंटरनेट और इसके काम के तरीके के बारे में।
पृथ्वी की कक्षा में स्थापित सैटेलाइट के जरिए मिलता है इंटरनेट
सैटेलाइट इंटरनेट पृथ्वी की कक्षा में स्थापित सैटेलाइट के जरिए उपलब्ध होने वाला वायरलेस इंटरनेट है। यह केबल आधारित और अन्य इंटरनेट सेवाओं से बहुत अलग है। यह डिश टीवी की तर्ज पर काम करने वाली इंटरनेट सर्विस है। इससे उन इलाकों में भी तेज स्पीड वाला इंटरनेट पहुंचाना संभव है जहां फाइबर केबल बिछाना कठिन या महंगा है। इसमें यूजर्स के घर या छत के बाहरी हिस्से पर लगे सिस्टम के जरिए उनके घर तक इंटरनेट पहुंचाया जाता है।
ऐसे मिलता है इंटरनेट
सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए कंपनियां ग्राहकों को एक किट देती हैं। इस किट में डिश टीवी की तरह एक छतरी, वाई-फाई राउटर, पावर सप्लाई, केबल और एक माउंटिंग ट्राइपॉड होता है। इसकी छतरी को भी डिश टीवी की छतरी की तरह ही घर की छत या बाहरी हिस्से में लगाना होता है। ये सैटेलाइट से सिग्नल प्राप्त करता है और फिर वाई-फाई राउटर के जरिए इंटरनेट की सर्विस मिलती है।
सैटेलाइट इंटरनेट के फायदे
सैटेलाइट इंटरनेट को इंस्टाल करना काफी आसान है। इसे कनेक्शन लेते ही इस्तेमाल करना शुरू कर सकते हैं। दरअसल, इसके इंस्टालेशन में कोई ज्यादा प्रक्रिया नहीं है। इसके लिए सिर्फ सैटेलाइट इंटरनेट देने वाली कंपनी से बात करना है और उसके द्वारा दिए गए किट को खुद से या फिर कंपनी के कर्मचारी द्वारा इंस्टाल करना है और इस्तेमाल शुरू कर देना है। इसमें किसी भी तरह के तार के कटने और टूटने आदि की समस्या नहीं होती है।
सैटेलाइट इंटरनेट की कमियां
फिलहाल आमतौर पर उपलब्ध इंटरनेट की तुलना में सैटेलाइट इंटरनेट अधिक महंगा है। सैटेलाइट के जरिए मिलने वाले इंटरनेट में लेटेंसी यानी स्पीड में उतार चढ़ाव की समस्या देखने को मिल सकती है। इस तरह के इंटरनेट पर मौसम का असर भी देखने को मिल सकता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे बारिश, ठंड या आसमान साफ न होने पर डिश टीवी के सिग्नल नहीं आते, उसी तरह इन मौसम का असर इंटरनेट पर भी देखने को मिलता है।
आपदा की स्थिति में प्रभावित नहीं होती इंटरनेट सुविधा
सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं युद्ध या बाढ़ जैसी आपदा की स्थितियों में भी प्रभावित नहीं होती हैं और बिना किसी बाधा के इंटरनेट सुविधा मिलती रहती है। दुनिया भर के लगभग 32 से 40 देशों में विभिन्न कंपनियों की सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं वर्तमान में उपलब्ध हैं। यूक्रेन और रूस के युद्ध के दौरान संचार व्यवस्था के पूरी तरह बंद हो जाने और मोबाइल टावरों के ध्वस्त हो जाने की स्थिति में सैटेलाइट इंटरनेट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में आने को तैयार हैं सैटेलाइट इंटरनेट देने वाली ये कंपनियां
विश्वभर में ह्यूसनेट, वायासैट, स्टारलिंक सहित अन्य कंपनियां सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस दे रही हैं। भारत में जियोस्पेसफाइबर की लॉन्चिंग के अलावा एयरटेल और वनवेब मिलकर सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने की तैयारी में हैं। इसके अलावा अमेजन कुइपर प्रोजेक्ट के तहत भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने की तैयारी में है। कुछ साल पहले एलन मस्क की स्टारलिंक ने प्री-बुकिंग शुरू कर दी थी। लाइसेंस न होने के कारण सरकार ने इसे बंद करा दिया था।
महंगी हो सकती है सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस
विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस थोड़ी महंगी हो सकती है। हालांकि, माना जाता है कि भारत में नीलामी प्रक्रिया की वजह से इंटरनेट काफी सस्ती कीमत में उपलब्ध होगा। स्टारलिंक की अमेरिका में कीमत करीब 7,000 रुपये प्रति महीना है। भारत में ये अपनी सर्विस के लिए कितना चार्ज लेगी अभी इसकी कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मोबाइल इंटरनेट और फाइबर इंटरनेट के मुकाबले सैटेलाइट इंटरनेट महंगा हो सकता है।