अगले साल भारत आ सकती है मस्क की स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा

अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्पेस-X अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा स्टारलिंक भारत में अगले साल लॉन्च कर सकती है। ऐरोस्पेस कंपनी स्पेस-X की वेबसाइट पर कई भारतीय लोकेशंस की जानकारी दी गई है, जहां सैटेलाइट इंटरनेट फर्स्ट-कम-फर्स्ट-सर्व बेसिस पर उपलब्ध होगा। स्टारलिंक सेवा के लिए प्री-बुकिंग करवाने का विकल्प भारतीय यूजर्स के लिए वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसके लिए 99 डॉलर (करीब 7,265 रुपये) का रिफंडेबल अमाउंट जमा करना होगा।
स्टारलिंक छोटे इंटरनेट सैटेलाइट्स का कलेक्शन है, जो पृथ्वी की नजदीकी कक्षा में (करीब 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर) मौजूद हैं। वहीं, बड़े नेविगेशन और कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स धरती से 2,000 किलोमीटर से 35,000 किलोमीटर दूर कक्षा में मौजूद होते हैं और कई सैटेलाइट्स इससे भी दूर से काम करते हैं। पृथ्वी से पास होने के चलते स्टारलिंक और ऐसे दूसरे सैटेलाइट्स सेल्युलर या ब्रॉडबैंड के मुकाबले बेहतर इंटरनेट सेवाएं दे सकते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं से 594 से 612ms रेंज की मीडियम लेटेंसी मिलती है। स्पेस-X का दावा है कि स्टारलिंक से लेटेंसी को 20 से 40ms तक कम कर दिया गया है। अमेरिका में शुरू हुई स्टारलिंक इंटरनेट सेवा की बीटा टेस्टिंग से यूजर्स को 150Mbps तक की स्पीड मिल रही है। इसका इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को स्टारलिंक किट सेटअप करनी होती है, जिसें टर्मिनल, राउटर और सैटेलाइट कनेक्शन के लिए ट्राइपॉड शामिल होता है।
दुनियाभर के यूजर्स को सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं देने के लिए स्पेस-X की योजना अंतरिक्ष में 12,000 सैटेलाइट्स स्थापित करने की है। कंपनी 1,000 से ज्यादा छोटे स्टारलिंक सैटेलाइट्स पहले ही भेज चुकी है। सैटेलाइट इंटरनेट के लिए किसी तरह की वायरिंग और केबल की जरूरत नहीं पड़ेगी, यानी कि इससे सुदूर क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुंचाया जा सकता है। यही वजह है कि स्पेस-X भारत में भी अपनी सेवाएं लाना चाहती है।
भारत में अलग-अलग भौगोलिक स्थिति वाले क्षेत्र हैं और सुदूर जगहों पर इंटरनेट सेवाएं मोबाइल टावर ना लग पाने के चलते नहीं पहुंच पाई हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के मुताबिक, पिछले साल अगस्त तक भारत में 50 प्रतिशत लोगों के पास इंटरनेट का ऐक्सेस नहीं है। स्पेस-X की कोशिश ऐसे देशों में यूजर्स तक इंटरनेट पहुंचाने की है और भारत इस सेवा का अच्छा टेस्टिंग ग्राउंड भी बन सकता है।
स्पेस-X की ओर से तैयार किए जा रहे सैटेलाइट इंटरनेट नेटवर्क की कुछ सीमाएं भी हैं और इससे कम आबादी वाले क्षेत्रों में बेहतर सेवाएं मिलेंगी। वहीं, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सेल्युलर नेटवर्क से बेहतर स्पीड और परफॉर्मेंस मिलेगी।
स्पेस-X अकेली कंपनी नहीं है, जो भारतीय मार्केट में सैटेलाइट इंटनेट लाने पर विचार कर रही है। ह्यूगस नेटवर्क सिस्टम से जुड़ी ह्यूगस इंडिया ने हाल ही में ISRO के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। इसके तहत लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के सुदूर 5,000 गांवों में सैटेलाइट इंटरनेट पहुंचाया जाएगा। यह सेवा ISRO के GSAT-19 और GSAT-11 सैटेलाइट इस्तेमाल करेगी। एयरटेल भी 2022 में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा की शुरुआत कर सकती है।