रिलायंस जियो भारत में देगी सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं, SES के साथ की साझेदारी
भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने घोषणा की है कि यह भारत में सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं देगी। कंपनी इसके लिए लग्जमबर्ग की टेलिकम्युनिकेशन कंपनी SES के साथ साझेदारी कर रही है। नए जॉइंट वेंचर को जियो स्पेस टेक्नोलॉजी लिमिटेड नाम दिया गया है और यह जियोस्टेशनरी (GEO) और मीडियम अर्थ ऑर्बिट (MEO) सैटेलाइट्स की मदद से ब्रॉडबैंड सेवाएं देगा। जियो के अलावा एयरटेल भी सैटेलाइट इंटरनेट से जुड़ी संभावनाओं पर काम कर रही है।
मिलेगी 100Gbps तक की इंटरनेट स्पीड
रिलायंस जियो का कहना है कि नई सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस के साथ बड़ी कंपनियों, मोबाइल और रीटेल कस्टमर्स को मल्टी-गीगाबाइट्स लिंक्स के साथ 100Gbps तक की अधिकतम इंटरनेट स्पीड का फायदा मिलेगा। जियो की नई सेवा एलन मस्क की स्टारलिंक को टक्कर दे सकती है, जिसके सामने भारत में सेवाएं देने से पहले कई चुनौतियां हैं। स्टारलिंक ने पिछले साल भारत में प्री-ऑर्डर लेने शुरू किए थे लेकिन इन्हें बंद करते हुए अब ग्राहकों को रिफंड दे रही है।
जियो के पास है 51 प्रतिशत इक्विटी शेयर
नई साझेदारी में रिलायंस जियो के पास जॉइंट वेंचर का 51 प्रतिशत इक्विटी शेयर है, वहीं SES के पास 49 प्रतिशत शेयर है। कंपनी ने कहा, "नई निवेश योजना के हिसाब से जॉइंट वेंचर भारत में नया ढांचा तैयार करेगा, जिससे यहां सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं दी जा सकें।" जॉइंट वेंचर से जुड़ते हुए जियो मल्टी-ईयर कैपेसिटी परेचेज एग्रीमेंट का हिस्सा बनी है और इस साझेदारी की कुल वैल्यू 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर के करीब है।
इन सैटेलाइट्स का इस्तेमाल करेगी जियो
जियो स्पेस टेक्नोलॉजी के साथ SES के SES-12 GEO सैटेलाइट और O3b mPOWER MEO का इस्तेमाल भारत में किया जाएगा। इस शुरुआत के साथ कंपनी अपना इंटरनेट नेटवर्क कनेक्टिविटी एरिया बढ़ा पाएगी। नए वेंचर का फोकस वैसे तो सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड पर है, वहीं मौजूदा फाइबर-आधारित कनेक्टिविटी और FTHH बिजनेस को भी इसका फायदा मिलेगा। जियो के डायरेक्टर आकाश अंबानी ने कहा कि कंपनी 5G टेक्नोलॉजी के लिए भी निवेश कर रही है।
वनवेब के साथ काम कर रही है एयरटेल
सैटेलाइट आधारित इंटरनेट से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए भारती एयरटेल लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट कम्युनिकेशंस कंपनी वनवेब के साथ काम कर रही है। वनवेब की योजना स्टारलिंक जैसी सेवा भारत में देने की है और कंपनी अपनी योजना में शामिल किए 648 LEO सैटेलाइट्स में से करीब 60 प्रतिशत लॉन्च कर चुकी है। वनवेब ने बताया है कि इसकी ग्लोबल सेवा इस साल के आखिर तक लॉन्च की जा सकती है।
ह्यूगस इंडिया भी कर चुकी है शुरुआत
ह्यूगस नेटवर्क सिस्टम से जुड़ी ह्यूगस इंडिया ने हाल ही में ISRO के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। इसके तहत लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के सुदूर 5,000 गांवों में सैटेलाइट इंटरनेट पहुंचाया जाएगा। यह सेवा ISRO के GSAT-19 और GSAT-11 सैटेलाइट इस्तेमाल करेगी। यानी कि सैटेलाइट इंटरनेट से जुड़े कई विकल्प भारतीय यूजर्स को इस साल के आखिर में या फिर 2023 की शुरुआत तक मिल सकते हैं।
स्टारलिंक वापस कर रही है प्री-ऑर्डर करने वालों के पैसे
स्पेस-X को भारत में अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं देने से पहले कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने उन यूजर्स के पैसे वापस करने का फैसला किया है, जिन्होंने स्टारलिंक किट प्री-ऑर्डर की थी। दरअसल, स्टारलिंक को भारत में लाइसेंस नहीं मिल सका है और कंपनी करीब एक महीने पहले ही प्री-ऑर्डर्स लेने भी बंद कर चुकी है। बता दें, भारतीय एजेंसियों ने स्टारलिंक को पत्र लिखकर ऐसा करने को कहा था।
न्यूजबाइट्स प्लस
कंपनियां लो-अर्थ ऑर्बिटर (पृथ्वी की निचली कक्षा) में भेजे गए ढेर सारे छोटे सैटेलाइट्स का नेटवर्क तैयार कर रही हैं, जिनकी मदद से सुदूर क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा दी जाएगी। सामान्य सैटेलाइट्स के मुकाबले ये सैटेलाइट्स पृथ्वी की सतह से 60 गुना पास होते हैं।