स्पेस-X की स्टारलिंक सेवा अब 32 देशों में उपलब्ध, भारत में जल्द होगी लॉन्च
अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्पेस-X लंबे वक्त से सैटेलाइट आधारित इंटरनेट स्टारलिंक पर काम कर रही है। स्पेस-X ने शुक्रवार को घोषणा की है कि इसकी स्टारलिंक सेवा अब 32 देशों में उपलब्ध है। कंपनी ने इस बारे में ट्विटर पर लिखा और बताया कि इन देशों में स्टारलिंक किट ऑर्डर करने वालों को 'तुरंत' इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा। बता दें, स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट किट की बीटा टेस्टिंग पिछले साल खत्म हो गई है।
ट्विटर पर शेयर किया उपलब्धता से जुड़ा मैप
स्पेस-X ने ट्विटर पर वर्ल्ड मैप की फोटो शेयर की है, जिसमें दिख रहा है कि स्टारलिंक सेवाएं किन देशों में उपलब्ध हो चुकी हैं। मैप में दिख रहा है कि यह सेवा यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लगभग सभी क्षेत्रों में उपलब्ध है। दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड में रहने वाले यूजर्स को भी इसका ऐक्सेस मिलना शुरू हो गया है। वहीं, भारत उन देशों में शामिल है, जिनपर मैप में 'कमिंग सून' लिखा नजर आ रहा है।
देखें कंपनी का ट्वीट
डिलिवरी से जुड़ी दिक्कतों से जूझ रही थी स्टारलिंक
पिछले कुछ महीनों से स्टारलिंक को दुनिया के बड़े हिस्से में अपने सेवाएं डिलीवर करने में दिक्कत आ रही थी। ग्राहक लगातार शिकायत कर रहे थे कि उन्हें शिपमेंट्स वक्त पर नहीं मिल रहे और स्टारलिंक किट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसा लग रहा है कि कंपनी ने इस शिकायतों को गंभीरता से लिया है, जिसके बाद 'तुरंत' स्टारलिंक शिप करने की बात ट्वीट में कही गई है।
सामान्य इंटरनेट कनेक्शन से कैसे अलग है स्टारलिंक?
स्टारलिंक छोटे इंटरनेट सैटेलाइट्स का कलेक्शन है, जो पृथ्वी की नजदीकी कक्षा में (करीब 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर) मौजूद हैं। वहीं, बड़े नेविगेशन और कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स धरती से 2,000 किलोमीटर से 35,000 किलोमीटर दूर कक्षा में मौजूद होते हैं और कई सैटेलाइट्स इससे भी दूर से काम करते हैं। पृथ्वी से पास होने के चलते स्टारलिंक और ऐसे दूसरे सैटेलाइट्स सेल्युलर या ब्रॉडबैंड के मुकाबले बेहतर इंटरनेट सेवाएं दे सकते हैं।
पहले 25 देशों में मिलनी थी स्टारलिंक सेवा
कंपनी ने इससे पहले कहा था कि साल 2022 में स्टारलिंक सेवा 25 देशों में उपलब्ध करवाई जाएगी, जो लिस्ट अब 32 देशों तक पहुंच गई है। साल के आखिर तक यह लिस्ट और लंबी हो सकती है। स्टारलिंक का फायदा सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले उन यूजर्स को मिलेगा, जिनके पास तक केबल आधारित इंटरनेट नहीं पहुंच सकता। आपको बता दें, स्पेस-X अपने स्टारलिंक नेटवर्क को मजबूत करने के लिए सैकड़ों लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुकी है।
भारत में अच्छा नहीं रहा स्टारलिंक का सफर
भारत को स्टारलिंक के बड़े मार्केट्स में से एक माना जा रहा था और कंपनी ने यहां प्री-ऑडर्स लेने भी शुरू कर दिए थे। हालांकि, पिछले साल नवंबर में सरकार की ओर से स्टारलिंक को दी गई चेतावनी के बाद प्री-ऑर्डर्स रोक दिए गए, जिसमें कहा गया कि बुकिंग्स से पहले कंपनी के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है। साथ ही स्टारलिंक से इसकी सेवाएं प्री-ऑर्डर करने वालों के पैसे लौटाने को भी कहा गया।
स्टारलिंक की भारत में जल्द होगी वापसी
स्टारलिंक ने दावा किया था कि भारत में इसकी सेवाओं के लिए 5,000 से ज्यादा प्री-ऑर्डर्स मिले हैं। एलन मस्क की कंपनियां टेस्ला और स्टारलिंक दोनों ही भारतीय मार्केट में अब तक कदम नहीं रख सकी हैं। स्टारलिंक के इंडिया हेड संजय भार्गव भी इस साल जनवरी में कंपनी छोड़ चुके हैं। इसके बावजूद उम्मीद की जा रही है कि स्टारलिंक भारत में लाइसेंस लेकर अगले साल तक अपनी सेवाएं लॉन्च कर सकती है।
दूसरी भारतीय कंपनियां देंगी स्टारलिंक जैसी सेवाएं
भारतीय टेलिकॉम कंपनियां जियो और एयरटेल भी स्टारलिंक जैसी सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाओं पर काम कर रही हैं। जियो ने इसके लिए लग्जमबर्ग की टेलिकम्युनिकेशन कंपनी SES के साथ साझेदारी की है। वहीं, एयरटेल लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट कम्युनिकेशंस कंपनी वनवेब के साथ काम कर रही है। तीसरे विकल्प के तौर पर ह्यूगस नेटवर्क सिस्टम से जुड़ी ह्यूगस इंडिया ने भी ISRO के साथ मिलकर ऐसे ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है।