IIT मद्रास और ISRO मिलकर बना रहे हैं अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल
क्या है खबर?
IIT मद्रास भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (IHSP) के लिए ऑगमेंटेड रियलिटी (AR), वर्चुअल रियलिटी (VR) और मिक्स्ड रियलिटी (MR) को मिलाकर एक ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाएगा।
इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और IIT मद्रास ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। दोनों संस्थान मिलकर कार्यक्रम के लिए एक्सटेंडेड रियलिटी (XR) और अन्य तकनीकों पर काम करेंगे।
बता दें कि विदेशों में अंतरिक्ष प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ता है।
अतंरिक्ष
IIT मद्रास के XTIC सेंटर का इस्तेमाल करेगा DRDO
एक्सटेंडेड रियलिटी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने के लिए ISRO IIT मद्रास में हाल ही में तैयार की गई ई-एक्सपेरिमेंटल टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर (XTIC) में विकसित अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करेगा।
दोनों संस्थानों के समझौते के तहत भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए XR टेक्नोलॉजी बनाने के अलावा, XTIC संबंधित HSFC इंजीनियरों को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित करेगा और ISRO में एक XR/VR लैब की स्थापना करने में सहायता करेगा।
इसरो
XR टेक्नोलॉजी में है बड़ी क्षमता- IIT मद्रास
इस सहयोग के प्रमुख बिंदुओं को बताते हुए IIT मद्रास के एप्लाइड मैकेनिक्स विभाग के प्रोफेसर और XTIC-IIT मद्रास के प्रिसिंपल इंवेस्टिगेटर एम मणिवन्नन ने कहा कि XR टेक्नोलॉजी में मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम के कई पहलुओं पर वैल्यू जोड़ने की क्षमता है। खासतौर से उसके डिजाइन चक्र को छोटा करने और अंतरिक्ष के वातावरण का अनुकरण करने यानी कि अंतरिक्ष के वातावरण को यहीं तैयार करने की क्षमता है।
उड़ान
उड़ान कार्यक्रम के लिए XTIC के इकोसिस्टम का होगा उपयोग
XTIC, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य, मनोविज्ञान, कला के कई क्षेत्रों को मिलाकर तैयार एक ट्रांसडिसिप्लिनरी सेंटर है। XR और हैप्टिक्स टेक्नोलॉजी के लिए ये भारत का पहला रिसर्च एंड प्रॉडक्ट इनोवेशन सेंटर है। XR बड़ा विषय है और इसमें नवाचार करने के लिए कई क्षेत्रों के विशेषज्ञों के सहयोग की जरूरत होती है।
XTIC ने 'CAVE,' बनाया है जो XR और हेप्टिक्स के क्षेत्र में काम करने वालों का एक समूह है। XTIC के इस इकोसिस्टम का उपयोग कार्यक्रम के लिए होगा।
गगनयान
2024 में लॉन्च हो सकता है भारत का पहला मानवयुक्त गगनयान मिशन
अंतरिक्ष के लिए भारत का पहला मानवयुक्त मिशन गगनयान साल 2024 में लॉन्च होने की उम्मीद है।
इस मिशन को 2022 में लॉन्च के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसको स्थगित करना पड़ा था।
अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने इस मिशन के लिए पहले से ही चालकदल के रूप में भारतीय वायुसेना के चार पायलटों का चयन कर लिया है। इन सभी पायलटों ने रूस में बुनियादी प्रशिक्षण भी लिया है।
खर्च
गगनयान मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान
2024 मिशन में चार में से कम से कम दो पायलट LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) के लिए भेजे जाएंगे। लो अर्थ ऑर्बिट के लिए मानव उड़ानें शुरू करने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन करने के अलावा इस मिशन के अन्य लाभ भी हैं। यह भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों में मदद करेगा।
गगनयान मिशन को भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष मिशन के अगले चरण के रूप में देखा जा रहा है। मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।