
चंद्रयान-3 जुलाई में होगा लॉन्च, जानिये कहां तक पहुंची मिशन की तैयारी
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 को इस साल जुलाई में लॉन्च किया जाएगा। ISRO प्रमुख का यह बयान अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा GSLV-F12/NVS-01 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद आया है।
NVS-01 एक नेविगेशन सैटेलाइट है, जिसे भारत के नेविगेशन सिस्टम नाविक के लिए लॉन्च किया गया है।
अब जब जुलाई में चंद्रयान-3 लॉन्च किए जाने की बात सामने आई है तो जान लेते हैं कि इसकी तैयारी कहां तक पहुंची है।
प्रमुख
ISRO प्रमुख ने कही यह बात
ISRO प्रमुख ने NVS-01 की लॉन्चिंग के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन इससे सीखना और आगे बढ़ना बड़ी बात है। नए काम करने पर सफलता और असफलता लगी रहती है।"
सोमनाथ ने कहा, "हम मिलने वाले सुझावों पर खरा उतरने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह भी सच है कि हर बार सुझाव सही नहीं होते और इसका मतलब ये नहीं की हम प्रयोग करना बंद कर दें।"
लॉन्च
चंद्रयान-3 से ये साबित करेगा भारत
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 के उद्देश्यों को पूरा करेगा। बता दें, चंद्रयान-2 मिशन को वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था, लेकिन यह फेल हो गया था।
चंद्रयान-3 मिशन को जुलाई में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जा सकता है। इस मिशन से भारत साबित करेगा कि देश के पास चांद की सतह पर उतरने और घूमने की क्षमता है।
पहले चंद्रयान-3 मिशन को जून, 2023 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद थी।
मिशन
भारत के सबसे भारी रॉकेट से होगी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग
चंद्रयान-3 मिशन के चांद के उस हिस्से तक जाने की उम्मीद है, जो सूर्य की ब्रह्मांडीय किरणों से दूर काफी अंधेरे में है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ISRO के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मिशन तैयार होने के अंतिम चरण में है। अब यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में पेलोड को इंटीग्रेट किया जा रहा है क्योंकि टीम भारत के सबसे भारी रॉकेट, लॉन्च व्हीकल LMV-3 (मार्क-III) के जरिए जुलाई तक लॉन्चिंग को पूरा करने में लगी है।
परीक्षण
सफल रही ये टेस्टिंग
ISRO अधिकारियों ने पूर्व में बताया था कि 24 फरवरी को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में ISRO प्रोपल्सन कॉम्प्लेक्स की हाई एल्टीट्यूड टेस्ट फैसिलिटी में 25 सेकंड की नियोजित अवधि के लिए टेस्टिंग की गई थी।
अंतरिक्ष एजेंसी ने बयान में कहा था कि परीक्षण के दौरान सभी पैरामीटर संतोषजनक पाए गए।
इसके अलावा चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्च व्हीकल के ऊपरी हिस्से को रफ्तार देने वाले CE-20 क्रायोजेनिक इंजन का उड़ान स्वीकृत ताप की भी फरवरी में सफल टेस्टिंग की गई।
जांच
EMI/EMC टेस्ट भी रहा सफल
इससे पहले साल की शुरुआत में चंद्रयान-3 के लैंडर का तिरुपति स्थित यूआर राव उपग्रह केंद्र में सफल इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक इंटरफेरेंस/इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक कम्पैटिबिलिटी (EMI/EMC) टेस्ट किया गया था। सैटेलाइट बनाए जाने में यह परीक्षण महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।
अंतरिक्ष वातावरण में सैटेलाइट उप-प्रणालियों की कार्य क्षमता और संभावित विद्युत चुंबकीय लेवल से उनकी अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए उपग्रह मिशनों के लिए EMI/EMC टेस्ट किया जाता है।
चंद्रयान-3 के इस टेस्ट में ISRO को सभी सिस्टम सही मिले।
मॉड्यूल
चंद्रयान-3 में हैं ये 3 प्रमुख मॉड्यूल
अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 इंटरप्लेनेटरी मिशन में तीन प्रमुख मॉड्यूल प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर हैं। मिशन की जटिलता के कारण जरूरी है कि मॉड्यूल्स के बीच रेडियो-फ्रीक्वेंसी (RF) संचार लिंक स्थापित किए जाएं।
चंद्रयान-3 लैंडर EMI/EMC टेस्ट के दौरान लॉन्चर कंपैटिबिलिटी, सभी RF सिस्टम के एंटीना पोलराइजेशन, मिशन के ऑर्बिट और पावर्ड डिसेंट चरणों के लिए स्टैंड अलोन ऑटो कंपैटिबिलिटी टेस्ट और मिशन के लैंडिंग पश्चात चरण के लिए लैंडर और रोवर कंपैटिबिलिटी टेस्ट किए गए।
उपकरण
चंद्रयान-3 के निर्धारित किए 3 मुख्य उद्देश्य
अब चंद्रयान-3 मिशन के लिए 3 मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं। इनमें चंद्रमा की सतह पर एक सुरक्षित और आसान लैंडिंग, चंद्रमा पर रोवर की घूमने की क्षमता और डाटा का अवलोकन करना शामिल है।
चंद्रयान-3 में तापीय चालकता और तापमान मापने, आसपास के भूकंप को मापने के लिए और प्लाज्मा घनत्व संबंधी आंकड़े एकत्र करने के लिए विभिन्न उपकरण लगाए गए हैं।