#NewsBytesExplainer: 'गदर 2' को भारतीय सेना से मिली NOC, जानिए फिल्मों के लिए क्यों है जरूरी
क्या है खबर?
सनी देओल की चर्चित फिल्म 'गदर 2' का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। फिल्म का टीजर भी जारी हो चुका है और अब लोग इसके ट्रेलर का इंतजार कर रहे हैं।
इस बीच शनिवार को खबर आई है कि इस फिल्म को भारतीय सेना से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) भी मिल गया है।
ऐसे में यहां आपको बताते हैं कि फिल्म निर्माताओं को रक्षा मंत्रालय से NOC क्यों लेनी पड़ती है और क्या होती है इसकी प्रक्रिया।
जरूरत
बढ़ते कंटेंट के साथ निगरानी की जरूरत
इन दिनों कई फिल्में भारतीय सेना पर केंद्रित बन रही हैं। भारतीय सेना के नायकों पर बायोपिक का चलन बीते कुछ सालों में बढ़ा है।
कुछ फिल्में भारतीय सेना से संबंधित खास घटनाओं पर आधारित होती हैं। काल्पनिक कहानियों में भी सेना के किरदार शामिल किए जाते हैं।
OTT प्लेटफॉर्म की बढ़ती लोकप्रियता के साथ भारतीय सेना को केंद्र में रखकर कई वेब सीरीज भी बनाई जा रही हैं।
ऐसे में गलत तथ्यों और चित्रण पर निगरानी की जरूरत है।
NOC
क्या होती है NOC और क्यों है जरूरी?
फिल्मों में सेना के बारे में गलत तथ्य न हों या किसी भी तरह से उसके सम्मान से समझौता न हो, यह सुनिश्चित करना होता है।
इसके लिए ऐसे कंटेंट, जिसमें सेना का चित्रण हो उसे रिलीज से पहले रक्षा मंत्रालय को दिखाना होता है। कुछ भी आपत्तिजनक न होने पर सेना और मंत्रालय से फिल्म को NOC दी जाती है।
NOC एक तरह का अनुमति पत्र होता है, जो प्रमाणित करता है कि संस्था को कोई आपत्ति नहीं है।
निर्देश
आपत्तिजनक वेब सीरीज के बाद रक्षा मंत्रालय ने दिए थे निर्देश
जुलाई, 2020 में रक्षा मंत्रालय ने सेंसर बोर्ड को एक पत्र लिखा था, जिसमें सेना पर आधारित फिल्मों और वेब सीरीज के निर्माताओं को रिलीज से पहले सेना से NOC लेने के लिए कहा गया था।
ZEE5 का 'कोड M', ऑल्ट बालाजी की 'XXX अनसेंसर्ड' में सेना पर आपत्तिजनक कंटेंट दिखाए जाने के बाद मंत्रालय ने सेंसर बोर्ड को पत्र लिखा था।
मंत्रालय ने बोर्ड से निर्माताओं को ऐसे कंटेंट से बचने का निर्देश देने के लिए भी कहा था।
समिति
कौन करता है स्क्रीनिंग?
फिल्म निर्माता रक्षा मंत्रालय से अपनी फिल्म के लिए NOC लेने के लिए आवेदन करते हैं, जिसके बाद मंत्रालय की एक समिति, 'डिफेंस प्रीव्यू कमिटी' फिल्म को देखती है।
एक तय तारीख पर निर्माताओं को समिति के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग करनी होती है। यदि समिति फिल्म से संतुष्ट होती है, तो उसे NOC दे दी जाती है। फिल्म में कुछ भी आपत्तिनजक होने पर उसे संशोधित करने के निर्देश दिए जाते हैं।
फिल्में
सेना पर आधारित चर्चित फिल्में
शुरू से ही भारतीय सेना की वीरगाथा पर फिल्में बनती रही हैं।
इसी साल 'मिशन मजनू' नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी। जाह्नवी कपूर ने 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' में वायु सेना की पहली महिला पायलट गुंजन सक्सेना का किरदार निभाया था।
'शेरशाह', 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक', 'राजी' जैसी फिल्में भी सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं।
इनके अलावा 'बॉर्डर', 'LOC कारगिल' सेना पर आधारित बीते जमाने की यादगार फिल्मों में शामिल हैं।
गदर 2
'गदर 2' को क्यों लेनी पड़ी NOC?
दरअसल 'गदर 2' 1971 के भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी है। ऐसे में युद्ध और सेना से जुड़ी घटनाएं भी फिल्म का हिस्सा हैं। यही वजह है कि 'गदर 2' के निर्माताओं को फिल्म के लिए रक्षा मंत्रालय से NOC लेनी पड़ी।
यह 2001 में आई फिल्म 'गदर: एक प्रेम कथा' का सीक्वल है। फिल्म में एक बार फिर से सनी देओल और अमीषा पटेल की जोड़ी नजर आएगी।
यह फिल्म 11 अगस्त को सिनेमाघरों में दस्तक देगी।