चंद्रयान-3 और आदित्य-L1 जुलाई में हो सकते हैं लॉन्च, ये होंगे ISRO के लक्ष्य
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दो अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 और आदित्य-L1 को लॉन्च करने की तरफ बढ़ रहा है। इन दोनों मिशन को जुलाई में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। ISRO के लिए आदित्य-L1 इतिहास बनाने जा रहा है क्योंकि यह सूर्य के लिए भारत का अब तक का पहला वैज्ञानिक मिशन होगा। वहीं चंद्रयान-3 चंद्रमा पर ISRO का तीसरा मिशन है। यह काफी महत्वपूर्ण मिशन भी है। आइये इनका महत्व जानते हैं।
चंद्रयान-3 मिशन का महत्व
चंद्रमा पर उतरना और वहां घूमना ऐसा काम है, जो अब तक कुछ ही देशों ने किया है। भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च कर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास किया था, लेकिन क्रैश लैंडिंग के कारण यह मिशन सफल नहीं हो पाया था। आगामी चंद्रयान-3 आंशिक रूप से सफल चंद्रयान-2 का फॉलो-ऑन-मिशन होगा। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर एक सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना, चंद्रमा पर घूमना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है।
मिशन में होंगे 3 प्रमुख मॉड्यूल
चंद्रयान-3 मिशन में 3 प्रमुख मॉड्यूल होंगे। इसमें एक लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर होगा। इस पूरे सिस्टम का कुल वजन लगभग 3,900 किलोग्राम के करीब होगा। इस मिशन के प्रोपल्शन मॉड्यूल का मुख्य काम लैंडर और रोवर को चांद के ऑर्बिट में 100 किलोमीटर तक ले जाना और लैंडर को प्रोपल्शन से अलग करना है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह मिशन जुलाई के पहले सप्ताह में उड़ान भर सकता है।
लैंडर और रोवर में होंगे कई पेलोड
चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3) रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन की अनुमानित लागत लगभग 613 करोड़ रुपये है। चंद्रमा पर पहुंचने के बाद वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए लैंडर और रोवर में कई वैज्ञानिक पेलोड होंगे। दूसरे मिशन की बात करें तो आदित्य-L1 मिशन में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से 10.5 लाख किलोमीटर दूर रखा जाएगा।
आदित्य-L1 मिशन देगा ये जानकारी
आदित्य-L1 मिशन सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लैग्रैन्जियन प्वाइंट L1 तक जाएगा, जो एक सुविधाजनक बिंदु है। यहां से लंबे समय तक बिना किसी गड़बड़ी के लगातार सूर्य का निरीक्षण किया जा सकता है। आदित्य-L1 मिशन फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और सूर्य की बाहरी परतों का निरीक्षण करने के लिए 7 पेलोड से लैस होगा। यह मिशन कोरोनल मास इजेक्शन (CME), सोलर फ्लेयर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम के बदलावों के बारे में जानकारी देगा।