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    #NewsBytesExplainer: चंद्रयान-3 की लैंडिंग में अभी कितने दिन शेष और किस दिन क्या होगा?
    चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चांद की सतह पर पहुंचने का अनुमान है

    #NewsBytesExplainer: चंद्रयान-3 की लैंडिंग में अभी कितने दिन शेष और किस दिन क्या होगा?

    लेखन रजनीश
    Aug 07, 2023
    06:30 pm

    क्या है खबर?

    चंद्रयान-3 फिलहाल चांद के ऑर्बिट में है और बीते दिन इसने चांद की पहली तस्वीर भी भेजी है। इस तस्वीर में चांद पर कई गड्ढे देखे देखे गए हैं।

    अब चंद्रयान-3 चांद के चारों तरफ लगभग 1,900 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से सफर कर रहा है।

    9 अगस्त को इसके ऑर्बिट को बदला जाएगा। इसके बाद चंद्रयान-3 चांद की सतह पर पहुंचने के सफर का एक और पड़ाव पार करेगा।

    मैन्युवर

    23 अगस्त को होगा चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास

    चंद्रयान-3 को 14 अगस्त को 1,000 किलोमीटर वाले ऑर्बिट में डाला जाएगा। पांचवें ऑर्बिट मैन्युवर में इसे 100 किलोमीटर की कक्षा में डाला जाएगा।

    17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे।

    18 और 20 अगस्त को डीऑर्बिटिंग होगी। इस प्रक्रिया में चांद के ऑर्बिट की दूरी को कम किया जाएगा।

    23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग का प्रयास होगा। इस तरह लॉन्चिंग में करीब 15 दिन बाकी है।

    सिस्टम

    चंद्रयान-3 के सभी सिस्टम ठीक तरह से कर रहे हैं काम

    5 अगस्त को जब चंद्रयान-3 चांद की ऑर्बिट में पहुंचा था, तब ISRO ने ट्वीट किया था कि चंद्रयान-3 के सभी सिस्टम ठीक तरह से काम कर रहे हैं।

    ISRO के मुताबिक 'ISRO टेलीमेट्री, ट्रैकिंग कमांड नेटवर्क' (ISTRAC) बेंगलुरू में मौजूद मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) से लगातार निगरानी की जा रही है।

    ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने आज बताया कि अभी तक सब कुछ ठीक चल रहा है और चंद्रयान-2 बिल्कुल ठीक स्थिति में है।

    लैंडिंग

    सॉफ्ट लैंडिंग है सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य

    चांद की सतह पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग इस मिशन का सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है।

    यह चुनौतीपूर्ण इसलिए है क्योंकि इससे पहले भेजे गए चंद्रयान-2 ने सारी प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग में सफल नहीं हो पाया था।

    चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाने के लिए ISRO वैज्ञानिक धीरे-धीरे चांद के चारों तरफ उसके ऑर्बिट की दूरी को कम करके पहले से निर्धारित दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड कराएंगे।

    गति

    लैंडिंग के दौरान गिरने और कंपन की गति को करना होगा कंट्रोल

    एक रिपोर्ट में चंद्रयान-2 का हिस्सा रहे एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के हवाले से बताया गया था कि चांद की तरफ जाने वाला लैंडर जब प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होकर चांद की सतह पर उतरता है तो उसके चांद की सतह पर गिरने और उसके कंपन की गति दोनों को सावधानीपूर्वक नियंत्रित करना होता है।

    सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की गति को सही समय पर 3 मीटर प्रति सेकंड तक कम करने की आवश्यकता होती है।

    मिशन

    लैंडिंग को सफल बनाने के लिए जोड़े गए नए उपकरण

    मिशन की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए चंद्रयान-3 में कई नए उपकरण और सेंसर्स जोड़े गए हैं।

    इस बार लैंडर में लेजर डॉपरल वेलोसिटीमीटर (LDV) और लैंडर हॉरिजोंटल वेलोसिटी कैमरा (LHVC) भी लगाया गया है।

    लैंडिंग के समय लैंडिंग साइट पर कुछ दिक्कत होने पर चंद्रयान-3 का लैंडर वैकल्पिक साइट पर भी जाने में सक्षम है।

    सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर लैंडर से बाहर निकलेगा और तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करेगा।

    उपकरण

    LDV और LHVC करेंगे ये काम

    LDV जमीन पर उतरते समय 3D लेजर फेंकता है। यह लेजर जमीन से टकराकर सतह के बारे में जानकारी देता है कि जमीन ऊबड़-खाबड़ या गड्ढे वाली है। इसके आधार पर लैंडर अपनी लैंडिंग के लिए सही जगह चुनेगा।

    इसमें दिया गया LHVC जमीन के नीचे के हिस्से की तस्वीर लेता है, ताकि लैंडर के उतरने और उसके हवा में तैरते रहने की गति पता चल सके। इससे संभावित खतरे का अंदाजा हो सकेगा।

    भारत

    चंद्रयान-3 के लिए निर्धारित लक्ष्य

    चंद्रयान-3 मिशन के लिए 3 लक्ष्य सॉफ्ट लैंडिंग, चांद पर घूमने की क्षमता और वैज्ञानिक प्रयोग निर्धारित किए गए हैं।

    चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग के साथ ही अमेरिका, चीन और रूस के बाद चांद की सतह पर उतरने की उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश होगा।

    चंद्रयान-3 की लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इस इलाके से वैज्ञानिकों को चांद की सतह पर पानी होने के सबूत मिलने की उम्मीद है।

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