चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्चिंग के लिए तय की गई तारीख, 14 जुलाई को होगा लॉन्च
भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को 1 दिन आगे बढ़ा दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रयान-3 को अब 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा। पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इसकी लॉन्चिंग के लिए 13 जुलाई की तारीख की घोषणा की थी। चंद्रयान-2 के फेल होने को जोड़कर ये भारत का तीसरा चांद मिशन है। इसकी लॉन्चिंग GSLV मार्क 3 के जरिए भारत के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगी।
चंद्रयान-3 को लॉन्च पैड पर पहुंचाने की तैयारी तेज
आज 6 जुलाई को सुबह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 के साथ लॉन्च व्हीकल LMV3 M4 की लॉन्च पैड पर पहुंचने की आवाजाही शुरू हो गई है। ISRO के मुताबिक, LMV 3 रॉकेट के साथ चंद्रयान-3 कैप्सूल के इंटीग्रेशन का काम भी हो गया है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए इसमें चंद्रयान-2 से सीखे गए सबक का ध्यान रखा गया है और इसके सॉफ्टवेयर से लेकर डिजाइन आदि में कई बदलाव किए गए हैं।
चंद्रयान-3 मिशन के लक्ष्य
इससे पहले ISRO ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था, लेकिन चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग न होने से मिशन फेल हो गया था। चंद्रयान-2 के लिए तय किए गए लक्ष्यों को चंद्रयान-3 से हासिल किया जाएगा। चंद्रयान-3 मिशन के लिए 3 मुख्य लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिनमें चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग, चांद की सतह पर घूमना और इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग करना है।
चंद्रयान-3 को सफल बनाने के लिए किए गए ये बदलाव
ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कुछ समय पहले कहा था कि लॉन्च के दौरान किसी भी मुश्किल से बचने के लिए चंद्रयान-3 के हार्डवेयर, डिजाइन, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और सेंसर को सुधारा गया है। उन्होंने बताया था कि इसके एल्गोरिदम को भी बदला गया है और निर्धारित लैंडिंग स्थान पर कोई दिक्कत होने पर चंद्रयान को दूसरे एरिया में उतरने में मदद करने के लिए नया सॉफ्टवेयर जोड़ा गया है।
चंद्रयान-3 की सफलता से चांद में लैंडिंग और रोविंग वाला चौथा देश होगा भारत
चांद की सतह पर लैंडिंग और रोविंग करने में अब तक सिर्फ 3 देश अमेरिका, रूस और चीन सफल रहे हैं। चंद्रयान-3 मिशन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी सफलता से भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जो चांद की सतह पर लैंडिंग (उतरने) और रोविंग (घूमने) में सफल होगा। चांद मिशन में चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग बड़ी चुनौती है। चांद पर गुरुत्वाकर्ष की कमी और वहां मौजूद क्रेटर, रेजोलिथ सॉफ्ट लैंडिंग को चुनौतीपूर्ण बना देते हैं।