गगनयान मिशन के लिए रेलवे ट्रैक पर किया पैराशूट का परीक्षण, मिली सफलता
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गगनयान मिशन की सुरक्षा के लिए 1 और 3 मार्च को रेलवे ट्रैक पर पैराशूट का परीक्षण किया था।
यब परीक्षण चंडीगढ़ में टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) में हुआ।
ISRO की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि क्लस्टर कॉन्फिगरेशन में गगनयान पायलट और एपेक्स कवर सेपरेशन (ACS) पैराशूट का रॉकेट स्लेड डिप्लॉयमेंट टेस्ट किया गया।
ISRO के मुताबिक, इन पायलट पैराशूटों का इस्तेमाल गगनयान मिशन में होगा।
पैराशूट
मुख्य पैराशूट के निकलने और तैनाती देखने के लिए होता है टेस्ट
ISRO ने बयान में कहा कि पहले परीक्षण में दो पायलट पैराशूटों की क्लस्टर तैनाती की गई।
परीक्षण के दौरान पैराशूट प्रवाह की स्थिति में न्यूनतम कोण के बारे में जानकारी हासिल की गई। दूसरा पैराशूट प्रवाह के संबंध में अधिकतम कोण के अधीन था।
बता दें, रॉकेट स्लेज एक टेस्ट प्लेटफॉर्म है, जो रॉकेट के जरिए पटरियों पर एक साथ फिसलता है। यह परीक्षण स्वतंत्र रूप से मुख्य पैराशूट निकालने और तैनात करने के लिए है।
परीक्षण
एपेक्स कवर को अलग करने के लिए इस्तेमाल होता है सेपरेशन पैराशूट
परीक्षण के दौरान चालक दल (क्रू) मॉड्यूल के लिए हमले की स्थिति के 90 डिग्री कोण पर क्लस्टर डिप्लॉयमेंट किया गया।
ISRO ने बताया कि एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट का इस्तेमाल गगनयान मिशन में क्रू मॉड्यूल पर लगे एपेक्स कवर को अलग करने के लिए किया जाता है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि दोनों पायलट और ACS पैराशूट एक पायरोटेक्निक मोर्टार डिवाइस का उपयोग कर तैनात किए गए थे।
गगनयान
गगनयान मिशन में होते हैं कुल 10 पैराशूट
गगनयान पैराशूट सिस्टम को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम और एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ADRDI), आगरा की संयुक्त कोशिशों के जरिए तैयार किया गया है।
गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए पैराशूट प्रणाली में कुल 10 पैराशूट होते हैं।
पृथ्वी पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने के लिए दो मुख्य पैराशूट पर्याप्त होते हैं, और तीसरा पैराशूट अतिरिक्त होता है।
इन पैराशूटों का परीक्षण रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) और विमान और हेलीकॉप्टरों का उपयोग कर किया जाता है।
एयरड्रॉप
नवंबर में हुआ था एयरड्रॉप टेस्ट
इससे पहले नवंबर में उत्तर प्रदेश की बबीना फील्ड फायर रेंज में पैराशूट रिकवरी सिस्टम का परीक्षण किया गया था।
ये पैराशूट गगनयान के क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग कराने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
इस टेस्ट का नाम इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (IMAT) था और लैंडिंग के लिए 3 पैराशूट निर्धारित हैं।
IMAT टेस्ट का उद्देश्य था कि यदि एक पैराशूट खराब हो जाता है तो क्या दो पैराशूट मॉड्यूल को उतारने में सक्षम रहेंगे या नहीं।
मिशन
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान को भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष मिशन के अगले चरण के रूप में देखा जा रहा है।
लो अर्थ ऑर्बिट के लिए मानव उड़ानें शुरू करने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन करने के अलावा इस मिशन के कई अन्य लाभ भी हैं।
यह भारत के भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों में भी मदद करेगा, जिसमें अंतरिक्ष से चीजों के नमूने धरती पर लेकर आना और अंतरिक्ष में अन्य ग्रहों की खोज करना शामिल है।
देरी
कोरोना के चलते गगनयान मिशन में हुई देरी
गगनयान मिशन को पहले 2022 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना के चलते इसमें देरी हुई।
इस मिशन के लिए 4 अंतरिक्ष यात्री चुने गए हैं और इन्हें रूस में ट्रेनिंग दी गई है।
ISRO ने देश के पहले मानव मिशन गगनयान के विकास इंजन का टेस्ट 2021 में किया था।
2022 में गगनयान प्रोजेक्ट के क्रू एस्केप सिस्टम से जुड़े लो-ऑल्टिट्यूड एस्केप मोटर (LME) की टेस्ट फायरिंग सफलतापूर्वक पूरी की गई।