
चीन ने लॉन्च किया विश्व का पहला मीथेन रॉकेट, अमेरिका को छोड़ा पीछे
क्या है खबर?
एक चीनी निजी कंपनी ने बुधवार को जिउक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से दुनिया का पहला मीथेन-लिक्विड ऑक्सीजन अंतरिक्ष रॉकेट लॉन्च किया है।
चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक, जुके-2 नामक इस रॉकेट ने तय मानकों के हिसाब से सभी लक्ष्य पूरे किए।
बीजिंग स्थित फर्म लैंडस्पेस की तरफ से जुके-2 को लॉन्च करने का यह दूसरा प्रयास था।
इसकी सफलता ने अगली पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल को विकसित करने में अमेरिकी प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ दिया है।
लैंडस्पेस
स्पेस-X और ब्लू ओरिजिन को छोड़ा पीछे
लैंडस्पेस चीन के कमर्शियल अंतरिक्ष क्षेत्र की शुरुआती कंपनियों में से एक है।
जुके-2 को कम प्रदूषण वाले, सुरक्षित, सस्ते और दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट के तौर पर देखा जा रहा है।
इससे पहले दिसंबर में जुके-2 का पहला लॉन्च प्रयास फेल हो गया था।
लैंडस्पेस ने इसी तरह के स्पेस व्हीकल बनाने की दौड़ में एलन मस्क की स्पेस-X और जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन जैसी प्राइवेट अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है।
मीथेन
मीथेन ईंधन की खासियत
नासा के मुताबिक, मीथेन को रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले तरल हाइड्रोजन से अधिक स्थिर ईंधन माना जाता है। हालांकि, अभी हाइड्रोजन सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला रॉकेट ईंधन है।
मीथेन को अधिक मैनेजेबल तापमान पर भी स्टोर किया जा सकता है और इसे इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन (ISRU) के जरिए स्थानीय संसाधनों से फिर से प्राप्त या तैयार किया जा सकता है।
मीथेन के स्टोरेज टैंकरों को कम इन्सुलेशन की आवश्यकता होती है, जिससे टैंक की लागत कम हो जाएगी।
जानकारी
मीथेन को छोटे टैंक में किया जा सकता है स्टोर
मीथेन ईंधन तरल हाइड्रोजन से अधिक घनत्व वाला है, जिससे इसे छोटे टैंक में भी भरा जा सकता है। हाइड्रोजन रॉकेट के मुकाबले मीथेन रॉकेट जलने पर अवशेष नहीं छोड़ते और कम विषैले भी होते हैं। इससे अंतरिक्ष प्रयोग का भी खर्च कम होगा।
केरोसिन
चीनी कंपनी ने लॉन्च किया था केरोसिन-ऑक्सीजन रॉकेट
लैंडस्पेस कंपनी लिक्विड प्रोपलैंट रॉकेट लॉन्च करने वाली दूसरी प्राइवेट चीनी कंपनी बन गई है।
इससे पहले अप्रैल में बीजिंग तियानबिंग टेक्नोलॉजी ने केरोसिन-ऑक्सीजन रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।
इसके बाद ऐसे रॉकेट बनाने की दिशा में एक और कदम उठाया गया, जिसमें दोबारा ईंधन भरा जा सके और रॉकेट को दोबारा इस्तेमाल भी किया जा सके।
चीनी सरकार की तरफ से अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी निवेश की अनुमति से 2014 से चीनी कॉमर्शियल अंतरिक्ष कंपनियों में तेजी आई।
चीन
चीन की चांद पर 2 राकेट भेजने की योजना
जुके-2 की खबर उस दिन आई है, जब चीन ने 2030 तक चांद पर 2 रॉकेट भेजने की अपनी योजना की जानकारी दी।
चीनी मीडिया के मुताबिक, 2 रॉकेट में से एक अंतरिक्ष यान को ले जाएगा, जो चांद की सतह पर उतरेगा और दूसरा अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाएगा।
दोनों रॉकेट चांद की कक्षा में प्रवेश करेंगे और सफल डॉकिंग के बाद चीनी अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर उतरने के लिए लूनर लैंडर में प्रवेश करेंगे।
रॉकेट
चांद से नमूना लाएंगे चीनी अंतरिक्ष यात्री
2 रॉकेट भेजने की योजना चीन की उस तकनीकी मुश्किल को दूर कर देगी, जिसके तहत देश को अंतरिक्ष यात्रियों और मून लैंडर दोनों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए काफी पॉवरफुल हैवी-ड्यूटी रॉकेट बनाने की जरूरत होती।
चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष के डिप्टी चीफ इंजीनियर झांग हैलियन ने कहा कि चीनी अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा चांद से नमूने लेने के बाद लैंडर अंतरिक्ष यात्रियों को परिक्रमा कर रहे अंतरिक्ष यान में वापस ले जाएगा, जिससे वे पृथ्वी पर लौट आएंगे।
जानकारी
चांद का नूमना लाने वाला तीसरा देश है चीन
वर्ष 2020 में चीन एक मानव रहित मिशन के जरिए चांद से नमूने लाने में सफल रहा था। इससे अमेरिका और रूस के बाद चीन चांद के नमूने पाने वाला तीसरा देश बन गया था।