
चांद पर मौजूद हैं नील आर्मस्ट्रॉन्ग के पैरों के निशान, NASA ने शेयर किया वीडियो
क्या है खबर?
मानव सभ्यता के इतिहास की सबसे बड़ी घटना चांद पर किसी इंसान के पहले कदम पड़ना थी, जिसके साक्ष्य आज 50 साल बाद भी बरकरार हैं।
NASA की ओर से एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें दिख रहा है कि चांद पर पहला कदम रखने वाले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग के पैरों के निशान वहां अब भी देखे जा सकते हैं।
अपोलो 11 मिशन के स्पेसक्राफ्ट कमांडर नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने 20 जुलाई, 1961 को चांद पर कदम रखा था।
वीडियो
लूनार रिकॉनेसेंस ऑर्बिटल से लिया गया है वीडियो
एजेंसी की ओर से शेयर किया गया वीडियो लूनार रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर से रिकॉर्ड किया गया है।
NASA ने ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'अपोलो 11 मिशन में पहली बार इंसानों ने किसी दूसरी दुनिया की सतह पर कदम रखा था। लूनार रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर से लिया गया यह वीडियो अंतरिक्ष यात्री के कदमों के निशान दिखाता है, जो इतना वक्त बीतने के बाद भी वहीं हैं।'
वीडियो में चांद पर जूम कर वहां की सतह दिखाई गई है।
ट्विटर पोस्ट
देखें NASA की ओर से शेयर किया गया वीडियो
It’s #InternationalMoonDay! Today marks the anniversary of the Apollo 11 Moon landing – the first time that humans stepped on the surface of another world. This video from the Lunar Reconnaissance Orbiter shows the astronauts' tracks, still there after all this time. pic.twitter.com/LVDkFeEcYP
— NASA Moon (@NASAMoon) July 20, 2022
ऑर्बिटर
साल 2009 से चांद का डाटा जुटा रहा है ऑर्बिटर
वीडियो रिकॉर्ड करने वाले लूनार रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर के बारे में NASA ने बताया कि यह साल 2009 से ही चांद का डाटा जुटा रहा है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, "इस ऑर्बिटर की ओर से धरती पर किसी भी दूसरे प्लैनेटरी मिशन के मुकाबले ज्यादा डाटा- करीब 1.4 पेराबाइट्स जुटाया गया है। तुलना के लिए बता दें, यह डाटा करीब पांच लाख घंटे की फिल्मों जितना डाटा है।"
इस डाटा का इस्तेमाल भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में भी किया जाएगा।
ब्लॉग
NASA ने शेयर किया अपोलो 11 मिशन से जुड़ा अनुभव
50 साल पहले जब किसी इंसान ने चांद पर पहली बार कदम रखा था, उस अनुभव को याद करते हुए NASA ने ब्लॉग शेयर किया है।
एजेंसी ने लिखा, 'ओवरलोडेड कंप्यूटर और थमतीं फ्यूल लाइन्स के बीच अपोलो 11 में प्रोग्राम अलार्म्स नील आर्मस्ट्रॉन्स और बज आल्ड्रिन को उतरने का संकेत दे रहे थे और उन्होंने मेयर ट्रैंक्वैलिटेटिस (सी ऑफ ट्रांक्वैलिटी) में सफलतापूर्वक लैंडिंग की। वे दो घंटे से ज्यादा वक्त तक चांद की सतह पर टहलते रहे।'
जानकारी
इसलिए अब तक नहीं मिटे पैरों के निशान
चांद पर खुद का कोई वायुमंडल ना होने के चलते हलचल नहीं होती है। धरती पर तेज हवाएं और दूसरे वायुमंडलीय बदलाव सतह में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन यह बात चांद के लिए लागू नहीं होती।
मिशन
इसलिए खास था अपोलो 11 मिशन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से अपोलो 11 मिशन 16 जुलाई, 1969 को केप कैनेडी से लॉन्च किया गया था।
इस मिशन के जरिए पहली बार किसी इंसान ने चांद की सतह पर कदम रखा था और लोकप्रिय अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग इसके कमांडर थे।
आठ दिन लंबे इस मिशन के बाद यात्री अपने साथ करीब 47 पाउंड की मून रॉक लेकर आए थे, जिससे चांद की मिट्टी और बनावट से जुड़े प्रयोग किए जा सकें।
वापसी
चांद पर वापसी की तैयारी कर रही है NASA
NASA दशकों बाद फिर से इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी में जुटी है।
इस मिशन को आर्टिमिस मिशन नाम दिया गया है और इसके लिए एजेंसी ने अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट तैयार किया है। इसे स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) नाम से जाना जा रहा है और यह आर्टिमिस मिशन के स्पेसक्राफ्ट पार्ट को चांद पर ले जाएगा।
मिशन में एक महिला और पहले गैर-श्वेत इंसान को चांद पर भेजा जाएगा।
योजना
चांद की कक्षा में स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी
लुनर गेटवे NASA का फ्यूचर प्रोग्राम है, जिसके तहत चांद की कक्षा में एक स्पेस स्टेशन का निर्माण करना शामिल है। चांद और इसके पार के अभियानों में इसका उपयोग किया जाएगा।
इसकी विशेषताओं की बात करें तो इसमें अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट के लिए डॉकिंग पोर्ट बने होंगे। धरती से जाने वाले अंतरिक्ष यात्री वहां रहकर काम कर सकेंगे।
इस मॉड्यूल के लिए लॉन्च सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर स्पेस-X को चुना गया है और यह 2024 में लॉन्च होगा।