#NewsBytesExplainer: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर कब से काम हो रहा और इसका भविष्य क्या है?
अगर आप टेक्नोलॉजी की दुनिया से जरा भी वाकिफ हैं तो आपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) शब्द सुना होगा। यह टेक्नोलॉजी कई साल पुरानी है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में हुए विकास ने इसे सबकी जुबान पर ला दिया है। अब ऑफिस के गलियारों से लेकर सरकारों तक के बीच इसे लेकर चर्चा हो रही है। आइये समझने की कोशिश करते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है, अलग-अलग क्षेत्रों में इसका असर क्या पड़ेगा और इसका भविष्य क्या होने वाला है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की परिभाषा क्या है?
AI की कोई एक परिभाषा नही हैं। आमतौर पर इसे कंप्यूटरों की काम करने की उस क्षमता के साथ जोड़ा जाता है, जो लंबे समय तक केवल इंसानों के पास थी। सबसे पहले 1950 के दशक में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मैक्कार्थी ने 'इंटेलिजेंट मशीनें बनाने की साइंस और इंजीनियरिंग' को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा था। कुछ लोग इंसानी समझ की जरूरत वाले काम करने लायक कंप्यूटर सिस्टम को बनाने को भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहते हैं।
कब से चल रहा है AI पर काम?
पिछले करीब 8 दशकों से AI पर काम चल रहा है। गणितज्ञ एलेन टुरिंग और जॉन वॉन नियूमान को इस क्षेत्र के जनक के रूप में जाना जाता है। उनके दिए बाइनरी कोड के बाद से सॉफ्टवेयर कंपनियां ऑनलाइन ट्रांसलेटर और चेस खेलने वाले कंप्यूटर बनाने के लिए AI का इस्तेमाल करती आ रही हैं। अमेरिका और चीन समेत जिन देशों में AI पर अधिक काम हुआ है, वहां इस क्षेत्र में सरकारी फंडिंग खूब हुई है।
AI का अगला कदम है GAI
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GAI) या 'स्ट्रॉन्ग AI' इस टेक्नोलॉजी का अगला कदम माना जा रहा है। 2022 में आए OpenAI के AI चैटबॉट ChatGPT आने के बाद से यह शब्द ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है। दरअसल, ChatGPT जनरेटिव AI पर ही आधारित है। इसमें किसी प्रॉम्प्ट का जवाब देने के लिए AI मॉडल विशाल ट्रेनिंग डाटा से छांटकर जानकारी मुहैया करवाता है। ये AI मॉडल टेक्स्ट के अलावा तस्वीरें, ऑडियो और दूसरा कंटेट भी जनरेट कर सकते हैं।
AI का भविष्य कैसा होने वाला है?
AI टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है। 2012 के बाद से हर कुछ महीनों में कंप्यूटिंग क्षमता 3-4 गुना बढ़ रही है और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2025 तक इसमें 100 गुना तक का इजाफा हो सकता है। हालांकि, AI के विकास के लिए मजबूत नियम न होने के चलते कुछ लोग इसे लेकर चिंतित भी हैं। एलन मस्क समेत कई बड़ी हस्तियों ने नियमों के आने तक AI के विकास पर रोक लगाने की मांग की थी।
दुनियाभर के देशों में शुरू हुई होड़
अब दुनियाभर के देशों में इस क्षेत्र में एक-दूसरे को पछाड़कर आगे बढ़ने की होड़ शुरू हो गई है। चीन की बात करें तो उसने 2030 तक AI थ्योरीज, टेक्नोलॉजी और ऐप्स के मामले में खुद को सबसे आगे रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है। दूसरी तरफ अमेरिका टेक्नोलॉजी में अपना दबदबा गंवाए बिना AI के विकास के लिए नियम और दिशानिर्देश बनाने में जुटा हुआ है। अन्य देश भी अपने स्तर पर इस होड़ में लगे हुए हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर AI से क्या असर पड़ेगा?
दुनियाभर की कंपनियां अपने उत्पादों में AI का इस्तेमाल करना शुरू कर चुकी हैं। ChatGPT के आने के बाद से ऐसी कंपनियां भी जनरेटिव AI टूल्स का इस्तेमाल करने लगी हैं, जो अभी तक टेक्नोलॉजी के उपयोग से बच रही थीं। पिछले साल अप्रैल में मैकिंजी ने एक सर्वे किया था, जिसमें दुनियाभर की एक तिहाई कंपनियों ने कहा था कि वो किसी न किसी रूप में AI का इस्तेमाल कर रही हैं।
उद्योगों में उछाल आने की उम्मीद
AI का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग तकनीक अविष्कारों को भी तेज कर सकता है। सेमीकंडक्टर उद्योग में इसका एक उदाहरण देखा जा सकता है, जहां AI चिप्स बनाने वाली कंपनी एनवीडिया के शेयरों में पिछले साल 3 गुना उछाल देखा गया। कुछ जानकारों का कहना है कि AI के विकास से वैश्विक अर्थव्यवस्था में उछाल आएगा और अगले कुछ सालों में वैश्विक GDP में 7 ट्रिलियन डॉलर और जुड़ सकते हैं।
AI से नौकरियों पर कितना खतरा?
AI से नौकरियां पर खतरा मंडरा रहा है। हम कई ऐसे उदाहरण देख चुके हैं, जहां कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी कर उनका काम AI से लेना शुरू कर दिया है। भारत में पेटीएम इसका उदाहरण है। ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन एंड डेवलेपमेंट (OECD) के अनुसार, करीब एक चौथाई नौकरियों को AI ऑटोमेशन से बदला जा सकता है। अकाउंटेंट, वेब डेवलपर्स, मार्केटिंग प्रोफेशनल और टेक्निकल राइटर जैसी नौकरियां पर AI का सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है।
जलवायु परिवर्तन पर AI का क्या असर होगा?
कुछ जानकार मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में AI अहम भूमिका निभा सकती है तो कुछ इस टेक्नोलॉजी के कार्बन फुटप्रिंट को लेकर चिंतित हैं। AI के लिए जरूरी डाटा सेंटर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं और इनके लिए उर्जा की जरूरतें भी समय के साथ बढ़ती जाएगी। दूसरी तरफ कुछ देशों ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए इस टेक्नोलॉजी का सहारा लेना भी शुरू कर दिया है।
क्या इंसानी अस्तित्व को AI से खतरा है?
कई लोगों को लगता है कि AI से इंसानी अस्तित्व को खतरा हो सकता है। इसे देखते हुए एंथ्रोपिक, गूगल डीपमाइंड और OpenAI जैसी कंपनियों के एक वाक्य के पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें लिखा था कि परमाणु युद्ध और महामारी जैसे जोखिमों की तरह AI से अस्तित्व को होने वाले खतरे को कम करने को प्राथमिकता पर रखना चाहिए। कुछ लोग इसे दूर का खतरा बताते हुए सर्विलांस जैसे त्वरित चिंताओं पर ध्यान देने की वकालत करते हैं।