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    #NewsBytesExplainer: ChatGPT कैसे तय करता है कि उसे क्या जवाब देना है?
    ChatGPT जैसे चैटबॉट कई ट्रेनिंग के आधार पर तय कर पाते हैं अपना अगला जवाब

    #NewsBytesExplainer: ChatGPT कैसे तय करता है कि उसे क्या जवाब देना है?

    लेखन रजनीश
    Jul 10, 2023
    01:42 pm

    क्या है खबर?

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट ChatGPT और गूगल बार्ड सहित अन्य चैटबॉट इंसानी भाषा में धाराप्रवाह और लय के साथ जवाब देने और बोलने में सक्षम हैं। ये व्याकरण के आधार पर भी सही बोलते और जवाब देते हैं।

    ये AI टूल इनपुट का संदर्भ समझने और उसका विश्लेषण करने के साथ ही गणितीय आधार पर गणना करने में भी सक्षम हैं।

    जान लेते हैं कि ChatGPT यह कैसे तय कर पाता है कि आगे क्या बोलना या जवाब देना है।

    चैटबॉट

    क्या है चैटबॉट?

    चैटबॉट की बात करें तो यह चैट और बॉट से मिलकर बना है। चैट का मतलब चैटिंग या कंवर्शेसन/बातचीत है और बॉट इंटरनेट आधारित एक स्वचलित कंप्यूटर प्रोग्राम होता है।

    बॉट को किसी खास उद्देश्य या कार्य के लिए प्रोग्राम किया जाता है और यह अधिकतर बार-बार दोहराए जाने वाले काम करता है।

    ChatGPT जैसे चैटबॉट ट्रेनिंग दिए गए डाटा के अलावा मशीन लर्निंग द्वारा यूजर्स के इनपुट से भी अपने आप सीखते रहते हैं।

    ट्रेनिंग

    ट्रेनिंग पर आधारित जानकारी के आधार पर करता है बातचीत

    विशेषज्ञों के मुताबिक, चैटबॉट को बैकएंड पर बहुत सारी ट्रेनिंग दी जाती हैं। इन्हें बड़े पैमाने पर कंवर्सेशन आधारित ट्रेनिंग के साथ ही मानव एनोटेटर्स द्वारा फीडबैक दिया जाता है। इसी आधार पर चैटबॉट को मानव यूजर्स के साथ बातचीत करना सिखाया जाता है।

    ChatGPT को बनाने वाली कंपनी OpenAI ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि उसके मॉडल्स को यूजर्स और लाइसेंस से प्राप्त कंटेंट सहित कई स्त्रोत पर आधारित जानकारी पर निर्देश दिया जाता है।

    चैटबॉट

    शब्दों के इस्तेमाल की दी जाती है ट्रेनिंग

    OpenAI के ChatGPT जैसे AI चैटबॉट बड़े लैंग्वेज मॉडल (LLM) पर आधारित हैं। ये ऑनलाइन प्रकाशित लेख, किताबों और अन्य स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी पर प्रशिक्षित होते हैं।

    विशेषज्ञों ने बताया कि सिस्टम को शब्दों की सीरीज पर भी प्रशिक्षित किया जाता है और उन सीरीज में चैटबॉट को शब्दों के महत्व को सिखाया जाता है।

    चैटबॉट या AI सिस्टम को भाषणों के पैटर्न और शब्दों को आपस में मिलाकर कैसे इस्तेमाल करना है, इसकी भी ट्रेनिंग दी जाती है।

    उत्तर

    ये है चैटबॉट की मुश्किल

    चैटबॉट, जब किसी पूछे गए प्रश्न का उत्तर नहीं जानते हैं तब सबसे ज्यादा मुश्किल पैदा करते हैं।

    दरअसल, इनकी सबसे बड़ी कमी यह है उन्हें ये नहीं पता कि वे क्या नहीं जानते हैं। ऐसे में चैटबॉट जो जानते हैं, उसी के आधार पर अनुमान लगाते हैं और जवाब देते हैं।

    चैटबॉट यह भी नहीं बताते कि वे अनुमान लगा रहे हैं, लेकिन अनुमान के आधार पर प्राप्त जानकारी को तथ्य के रूप में पेश करते हैं।

    मेटाकॉग्निशन

    मतिभ्रम की स्थिति पैदा कर देते हैं चैटबॉट

    चैटबॉट, जब अनुमान के आधार पर कोई जवाब देता है और उसे यूजर्स के सामने तथ्यात्मक रूप में प्रस्तुत करता है तो इसे 'मतिभ्रम' या भ्रमित करने वाला कहा जाता है।

    कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा में कंप्यूटर साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर विलियम वांग ने कहा, "इसे हम ज्ञान का ज्ञान या मेटाकॉग्निशन कहते हैं।"

    उन्होंने कहा कि AI मॉडल वास्तव में ज्ञात और अज्ञात को बहुत अच्छी तरह से नहीं समझते हैं।

    इंटरनेट

    ChatGPT ने बंद किया इंटरनेट सर्च का फीचर

    ChatGPT को बनाने वाली कंपनी OpenAI ने इसकी लॉन्चिंग के वक्त कहा था कि ये गलत जानकारी दे सकता है और इसे सिर्फ 2021 तक के डाटा की ट्रेनिंग दी गई है।

    कुछ समय पहले ही इसके कुछ वर्जन में इंटरनेट सर्च की सुविधा दी गई थी, जिससे यह इंटरनेट के जरिए भी जानकारी देने में सक्षम था।

    कॉपीराइट से जुड़ी कुछ दिक्कतों के चलते कंपनी ने इंटरनेट सर्च को फिलहाल बंद कर दिया है।

    जानकारी

    कई मॉडल पर काम करता ChatGPT

    ChatGPT की बात करें तो यह GPT-3, GPT-3.4 और GPT-4 मॉडल पर आधारित है। इसका सबसे एडवांस मॉडल GPT-4 है और यह फिलहाल सिर्फ ChatGPT प्लस यूजर्स के लिए ही उपलब्ध है। ChatGPT प्लस एक सब्सक्रिप्शन आधारित सर्विस है।

    इस्तेमाल

    ये हैं चर्चित चैटबॉट

    भारत में वर्तमान में OpenAI का ChatGPT और गूगल का बार्ड लोकप्रिय चैटबॉट हैं। इसके अलावा चीनी कंपनी बायडू का एर्नी चैटबॉट भी चर्चित चैटबॉट है।

    मेडिकल से लेकर खनिज, एविएशन, शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में इन चैटबॉट की क्षमता का इस्तेमाल हो रहा है।

    कई जानकारों और संस्थाओं ने इन चैटबॉट को भविष्य में नौकरियों के लिए खतरा भी माना है।

    हाल ही में OpenAI ने कहा कि AI मानवों के विलुप्त का कारण भी बन सकता है।

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