#NewsBytesExplainer: कांग्रेस के समर्थन के बावजूद AAP के लिए राज्यसभा में अध्यादेश रोक पाना क्यों मुश्किल?
क्या है खबर?
दिल्ली के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश पर अब आम आदमी पार्टी (AAP) को कांग्रेस का साथ भी मिल गया है। AAP विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर कोशिश कर रही है कि अध्यादेश को राज्यसभा से पारित न होने दिया जाए।
हालांकि, कांग्रेस के समर्थन के बावजूद AAP के लिए अध्यादेश को पारित होने से रोक पाना आसान नहीं है।
आइए समझते हैं कि राज्यसभा के समीकरण किस पार्टी के पक्ष में हैं।
11
राज्यसभा चुनाव के बाद बदले समीकरण
राज्यसभा के 11 सीटों के लिए 24 जुलाई को मतदान होना था, जिसके लिए आज नामांकन करने की आखिरी तारीख थी।
हालांकि, सभी सीटों पर एक ही उम्मीदवार के नामांकन के बाद अब सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं।
भाजपा के 5 और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 6 सांसदों को निर्विरोध चुनाव हो गया है। इसके बाद राज्यसभा में कांग्रेस की एक सीट कम हो गई, जबकि भाजपा की 1 सीट बढ़ गई है।
स्थिति
राज्यसभा में अब कैसी है पार्टियों की स्थिति?
निर्विरोध निर्वाचन के बाद राज्यसभा में भाजपा के 93 और उसकी सहयोगी पार्टियों के 105 सदस्य हो गए हैं। कांग्रेस के पास 30 सीटें हैं।
अध्यादेश के विरोध में AAP को जिन पार्टियों का समर्थन मिला है, राज्यसभा में उनके कुल सदस्य 105 हैं।
बीजू जनता दल (BJD) और युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के 9-9 सदस्य हैं। इन दोनों पार्टियों ने अध्यादेश को लेकर अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
बहुमत
राज्यसभा में क्या है बहुमत का आंकड़ा?
राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं। इनमें से 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं। वर्तमान में इसमें 245 सदस्य हैं।
24 जुलाई के बाद राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर की 4, नामित सदस्यों की 2 और उत्तर प्रदेश से एक सीट खाली हो जाएगी, यानी संसद के मानसून सत्र तक राज्यसभा में कुल 238 सीटें होंगी और बहुमत का आंकड़ा 120 होगा।
हालांकि, सरकार इससे पहले 2 सदस्यों को नामित भी कर सकती है।
भाजपा
राज्यसभा में भाजपा का पलड़ा कैसे भारी?
अध्यादेश को पारित कराने के लिए भाजपा को 120 सदस्यों का समर्थन चाहिए। भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास 105 सदस्य पहले से हैं। उसे 5 नामित और 2 निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिलना भी तय है। इस तरह 112 सदस्यों का समर्थन सरकार को प्राप्त है।
भाजपा को बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP), जनता दल (सेक्युलर) और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के 1-1 और BJD-YSRCP के सांसदों का समर्थन भी मिल सकता है, जिससे वह बहुमत पार कर जाएगी।
BJD
अध्यादेश को लेकर BJD-YSRCP की भूमिका अहम
अध्यादेश को लेकर राज्यसभा में BJD और YSRCP के 9-9 सांसदों की भूमिका अहम होगी। अगर ये दोनों पार्टियां भाजपा के साथ जाती हैं तो भाजपा आसानी से अध्यादेश को पारित करा लेगी।
अगर दोनों पार्टियों अध्यादेश पर मतदान से दूर रहती हैं तो बहुमत का आंकड़ा 111 पर आ जाएगा, जिसका फायदा भाजपा को ही होगा।
अगर दोनों पार्टियां अध्यादेश के खिलाफ मतदान करती हैं तो ये पारित नहीं हो पाएगा। हालांकि, ऐसा होने के आसार कम हैं।
मामला
क्या है अध्यादेश का मामला?
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 11 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए थे।
इसके बाद मामले में केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश जारी किया था। इसके जरिए दिल्ली सरकार को मिले अधिकार को पलटकर अंतिम फैसले का अधिकार उपराज्यपाल को दे दिया गया।
AAP ने अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और मामले की सुनवाई चल रही है।