
#NewsBytesExplainer: पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट क्यों कटा और अब उनके पास क्या विकल्प?
क्या है खबर?
भाजपा ने रविवार को लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पांचवीं सूची जारी की।
इसमें पीलीभीत से 2 बार के सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया गया है और उनकी जगह कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद को यहां से मैदान में उतारा गया है।
वरुण का टिकट कटने की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी।
आइए जानते हैं कि वरुण का टिकट कटने की क्या वजह रहीं और उनके पास आगे क्या विकल्प हैं।
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खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश कर किया पार्टी को नाराज
वरुण का टिकट कटने की मुख्य वजह उनका भाजपा विरोधी रुख रहा। उन्होंने किसान आंदोलन से लेकर बेरोजगारी तक, तमाम मुद्दों पर पार्टी को घेरा।
उन्होंने सबसे पहले 2016 में उत्तर प्रदेश में अपनो पोस्टर लगाकर पार्टी नेतृत्व को नाराज किया था।
उन्होंने प्रयागराज में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने पोस्टर लगाए थे।
इसे उनकी खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने की कोशिश के तौर पर देखा गया था।
#2
कोरोना वायरस महामारी के समय पार्टी की आचोलना की
2020-21 में कोरोना वायरस महामारी के समय वरुण ने कई चीजों को लेकर भाजपा की सरकारों की तीखी आलोचना की थी।
उन्होंने कोरोना को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू लगाने की नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।
उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को केंद्र सरकार का एक नोट भी साझा किया था, जिसमें उसने खुद कहा था कि नाइट कर्फ्यू जैसे कदमों का कोरोना के प्रसार पर सीमित प्रभाव पड़ता है।
इससे पार्टी को शर्मिंदा होना पड़ा था।
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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में भी भाजपा को घेरा
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की गाड़ी के किसानों को कुचलने के मामले में भी वरुण ने भाजपा से तीखे सवाल किए थे।
उन्होंने कई मौकों पर ट्वीट करते हुए मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी और किसानों का साथ दिया था।
इससे भाजपा की तगड़ी फजीहत हुई थी और वरुण को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया था।
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योगी सरकार की आलोचना करना भी पड़ा भारी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खिलाफत करना भी वरुण की टिकट कटने की एक वजह रहा।
दरअसल, योगी सरकार ने अमेठी में संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था। संजय वरुण के पिता थे। सोनिया गांधी इस अस्पताल को चलाने वाले संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की चेयरमैन थीं।
वरुण ने इस कदम को "एक नाम के प्रति द्वेष" के कारण की गई कार्रवाई करार दिया था।
उन्होंने अग्निवीर योजना पर भी पार्टी को घेरा था।
आगे क्या
वरुण के लिए आगे क्या?
भाजपा से टिकट कटने के बाद वरुण के भविष्य को लेकर 2 तरह की अटकलें चल रही हैं।
पहली यह कि वे पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। उनके निजी सचिव ने चुनाव आयोग के कार्यालय से नामांकन के 4 सेट खरीदे थे, तभी से ये अटकलें लग रही हैं।
दूसरी अटकल यह है कि वह अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल होकर पीलीभीत से लड़ सकते हैं। अखिलेश ने उनका पार्टी में स्वागत भी किया है।