चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने उठाया बड़ा कदम, लोकसभा चुनाव से पहले दिया पद से इस्तीफा
देश में इस समय लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां चल रही है और सभी को इसकी तारीखें घोषित होने का इंतजार है। इससे पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार को बड़ा कदम उठाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया है। हालांकि, अभी उनके इस्तीफा देने का कारण सामने नहीं आया है, लेकिन इससे चुनाव आयोग का काम जरूर प्रभावित हो सकता है।
चुनाव आयोग में अब CEC पर आई जिम्मेदारी
गोलय के इस्तीफा देने के बाद अब भारतीय चुनाव आयोग (ECI) में केवल एक सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ही रह गए हैं। विशेष रूप से फरवरी में अनूप पांडे की सेवानिवृत्ति के बाद से ECI आयुक्त के एक रिक्त पद के साथ काम कर रहा था। ऐसे में अब गोयल के जाने से आयोग के कामकाज की पूरी जिम्मेदारी CEC पर ही आ गई है। इससे लोकसभा चुनाव का काम प्रभावित होने का खतरा रहेगा।
कैसा रहा है गोयल के करियर?
21 नवंबर, 2022 को चुनाव आयुक्त का पदभार संभालने वाले गोयल का जन्म 7 दिसंबर, 1962 को पटियाला में हुआ था। उन्होंने गणित से Msc की डिग्री ले रखी है। उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय से चांसलर मेडल ऑफ एक्सीलेंस भी मिल चुका है। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के चर्चिल कॉलेज से स्नातकोत्तर की डिग्री भी ले रखी है। वह 37 साल तक भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (IAS) के रूप में कार्य करने के बाद उद्योग मंत्रालय के सचिव भी रह चुके हैं।
गोयल की नियुक्ति को SC में दी गई थी चुनौती
गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना और फिर अगले दिन उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया। उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जहां कोई ने निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्पष्ट जल्दबाजी के बारे में सरकार से जवाब मांगा था। ऐसे में अब उनका इस्तीफा देना आयुक्तों की मौजूदा कमी को देखते हुए आयोग के प्रभावी ढंग से कार्य करने की क्षमता प्रभावित करेगा।
कोर्ट ने मामले में क्या कहा था?
मामले में कोर्ट ने कहा था, "कानून मंत्री ने शॉर्टलिस्ट किए गए नामों की सूची में से चार नाम चुने। फाइल 18 नवंबर को रखी गई थी और उसी दिन आगे बढ़ गई। यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश कर दी। हम कोई टकराव नहीं चाहते, लेकिन यह सबकुछ बहुत जल्दबाजी में किया गया?" हालांकि, 2 न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल याचिका को खारिज कर दिया था।