हिमाचल प्रदेश: कांग्रेस के विधायकों के बगावत करने का क्या कारण है?
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। उसके 6 विधायकों ने बगावत कर दी है और वे राज्यसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ वोट डालने के बाद भाजपा शासित हरियाणा चले गए हैं। ये बगावत भले ही अभी हुई हो, लेकिन इसकी नींव 2021 में ही पड़ गई थी। आइए जानते हैं हिमाचल में कांग्रेस विधायकों के बगावत के पीछे क्या कारण हैं।
हिमाचल में कांग्रेस के 2 गुटों की खींचतान
2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस 2 गुटों में बंट गई थी। एक गुट वीरभद्र समर्थकों का है, जिसका नेतृत्व हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष और वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह करते हैं। दूसरा गुट मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाला है। मुख्यमंत्री की रेस में प्रतिभा और सुक्खू दोनों थे, लेकिन सुक्खू का नाम तय हुआ। हालांकि, इसके बाद भी प्रतिभा सिंह के गुट को साधने के लिए कुछ नहीं किया गया।
कैबिनेट गठन में अहम क्षेत्रों को किया गया नजरअंदाज
इसके बाद सुक्खू के कैबिनेट गठन में अहम क्षेत्रों को नजरअंदाज करने पर नाराजगी और बढ़ गई। राज्य की कांगड़ा बेल्ट, जिसने कांग्रेस को 10 विधायक दिए थे, उससे केवल 2 मंत्री बनाए गए, जबकि शिमला जिले को अधिक मंत्री मिले। इस पर प्रतिभा सिंह ने नाराजगी भी जाहिर की थी। कांग्रेस सरकार में सब ठीक नहीं है, इसके संकेत तब भी मिले थे जब उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और सुक्खू के बीच तालमेल न बनने की खबरें सामने आईं।
विधायकों में बढ़ते असंतोष को समझने में चूकी कांग्रेस
जब विक्रमादित्य पार्टी लाइन की अवहेलना कर जनवरी में अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए, तब भी कांग्रेस ने इसे अनदेखा किया। इसके अलावा वह अपनी मां प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री न बनाए जाने से भी नाराज चल रहे थे। इसके बाद भी दिवंगत वीरभद्र सिंह के वफादारों को उम्मीद थी कि राज्यसभा चुनाव में 'बाहरी' नहीं बल्कि प्रतिभा सिंह कांग्रेस की उम्मीदवार बनाई जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो उनके समर्थकों में असंतोष भड़क उठा।
विधायकों में सिंघवी को उम्मीदवार बनाए जाने से नाराजगी क्यों भड़की?
दरअसल, पहले खबर थी कि राज्य से प्रियंका गांधी या सोनिया गांधी में से कोई एक राज्यसभा चुनाव लड़ सकता है। खुद प्रतिभा सिंह ऐसा चाहती थीं, लेकिन बाद में अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बनाए जाने पर असंतोष और बढ़ गया। राज्य के नेताओं का मानना था कि सुक्खू गांधी परिवार के सामने खड़े नहीं हो सके और उन्हें किसी बाहरी व्यक्ति को राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में नामित न करने की सलाह नहीं दे सके।
हर्ष महाजन की उम्मीदवारी ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के पूर्व कांग्रेस नेता हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाना भी कांग्रेस के लिए घातक रहा। कांग्रेस के कई नेता उनकी कसमें खाते हैं और कहा जाता है कि वे उनके संपर्क में हैं। बड़ी संख्या में विधायकों का कहना है कि सुक्खू की तुलना में महाजन अधिक मिलनसार हैं। कांग्रेसी विधायक पहले ही सिंघवी की उम्मीदवारी से नाराज थे और हर्ष महाजन की उम्मीदवारी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ने का काम किया।
वीरभद्र सिंह के करीबी थे महाजन, 2022 में थामा था भाजपा का दामन
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हर्ष महाजन को अहसास होने लगा था कि पार्टी में उनकी कोई अहमियत नहीं रह गई है। वीरभद्र उनके न केवल मित्र थे, बल्कि वह उन्हें अपना गुरु भी मानते थे। आखिरकार उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले ही सितंबर, 2022 में भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बावजूद कांग्रेस ने पार्टी के अंदर से मिल रहे संकेतों को अनदेखा किया।
कांग्रेस के पास अब क्या विकल्प?
राज्यसभा चुनाव ने साफ कर दिया है कि विधायक सुक्खू की कार्यशैली से खुश नहीं हैं। ये देखते हुए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सरकार बचाने में जुट गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 6 विधायकों से बातचीत के लिए भूपिंदर सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार को जिम्मेदारी दी है। दोनों ही विधायकों से बातचीत कर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास करेंगे। हालांकि, अगर वे वापस नहीं आए तो सरकार गिरना लगभग तय है।