हिमाचल प्रदेश: कौन हैं कांग्रेस के 6 बागी विधायक, जिन्होंने बढ़ाई सुक्खू की मुश्किलें?
हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। कांग्रेस नेता और लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले राज्यसभा चुनाव के लिए हुए मतदान में कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावत करते हुए भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में मतदान कर दिया। इससे कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी हार गए। आइए जानते हैं कि ये 6 बागी विधायक कौन हैं।
राजिंदर राणा
राजिंदर राणा पहले भाजपा में रहे हैं। वे हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के करीबी माने जाते हैं। वे 2006 से 2012 तक हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी रहे हैं। 2012 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। 2017 में उन्होंने भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार धूमल को हराया था। हालांकि, पिछला चुनाव वे मात्र 399 वोटों से जीते थे। फिलहाल राणा ही बगावती विधायकों का नेतृत्व कर रहे हैं।
सुधीर शर्मा
धर्मशाला से विधायक सुधीर के पिता भी राज्य में मंत्री रह चुके हैं। मात्र 19 साल की उम्र में सुधीर ने राजनीतिक करियर शुरू किया था। वे हिमाचल युवा कांग्रेस में भी रहे हैं और फिलहाल चौथी बार के विधायक हैं। वे वीरभद्र सिंह की सरकार में आवास और शहरी विकास मंत्री रहे हैं। माना जाता है कि सुक्खू सरकार में वे मंत्री पद का दावेदार थे, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।
इंद्रदत्त लखनपाल
पार्षद के चुनाव से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले इंद्रदत्त लखनपाल 3 बार विधायक रह चुके हैं। वे पहली बार 1997 और बाद में 2002 में शिमला नगर निगम से पार्षद चुने गए थे। उन्होंने 2012 और 2017 में हमीरपुर सीट से जीत दर्ज की थी। पिछले विधानसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा की माया शर्मा को 13,792 मतों से हराकर हमीरपुर जिले के बड़सर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की है।
रवि ठाकुर
रवि ठाकुर फिलहाल लाहौल और स्पीति से विधायक हैं। उनके पिता निहाल चंद ठाकुर और माता लता ठाकुर भी विधायक रही हैं। वे 2013-2016 तक कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष थे। पिछले चुनावों में ठाकुर को 1,616 वोटों के मामूली अंतर से जीत मिली थी। वे हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस की समिति के सचिव भी रहे हैं। उन्होंने सुक्खू सरकार की कार्यप्रणाली पर कई बार सवाल उठाए हैं।
चैतन्य शर्मा
उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा के बेटे चैतन्य शर्मा को युवाओं के बीच लोकप्रिय माना जाता है। पिछले चुनावों में उन्होंने गगरेट में भाजपा के मौजूदा विधायक राजेश ठाकुर को 15,685 वोटों से हराया था। विधानसभा चुनावों से पहले ही उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। शर्मा वकील भी हैं और 'युवा शक्ति पराक्रम' नाम से एक स्वयंसेवी संगठन (NGO) भी चलाते हैं, जो रोजगार के मामले में युवाओं को सशक्त बनाने का काम करता है।
देवेंदर कुमार भुट्टो
देवेंदर भुट्टो कुटलेहड़ निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के निवर्तमान विधायक वीरेंद्र कंवर को 7,579 वोटों के अंतर से हराकर पहली बार विधायक बने हैं। कुटलेहड़ को भाजपा का गढ़ माना जाता है और पार्टी यहां 1993 से लगातार चुनाव जीतती आ रही थी। दविंदर 2 दशक से अधिक समय से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं और विधानसभा की सार्वजनिक उपक्रम समिति और लोक प्रशासन समिति के सदस्य भी रहे हैं।