
महाराष्ट्र: शिवसेना के कौन-कौन से नेता आ चुके ED के निशाने पर?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में इस समय महा विकास अघाडी (MVA) गठबंधन सरकार में शामिल शिवसेना जहां अपनों की बगावत से जूझ रही है, वहीं उसके कई नेता प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग के निशाने पर चल रहे हैं।
ED ने सोमवार को ही राज्यसभा सांसद संजय राउत को मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामले में नोटिस भेजकर मंगलवार को पूछताछ के लिए मुंबई कार्यालय में तलब किया है।
यहां जानते हैं कि शिवसेना के किन-किन नेताओं पर ED की कार्रवाई हुई है।
#1
राउत को पात्रा चॉल भूमि घोटाला मामले में मिला है नोटिस
ED ने राउत को मुंबई स्थित पात्रा चॉल में 1,034 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में नोटिस भेजा है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है।
5 अप्रैल को भी उनसे पूछताछ की गई थी और ED उनके अलीबाग स्थित आठ भूखंड और दादर में स्थित एक फ्लैट को अस्थायी रूप से कुर्क किया था।
राउत के खिलाफ यह कार्रवाई मामले के मुख्य आरोपी प्रवीण और सुजीत पाटकर से दोस्ती होने तथा घोटाले में मदद को लेकर की थी।
#2
अनिल परब भी कर रहे हैं ED की कार्रवाई का सामना
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री और शिवसेना के प्रमुख रणनीतिकार अनिल परब दापोली के एक रिसॉर्ट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। उनसे हाल ही में लगातार तीन दिन तक पूछताछ की गई थी।
बता दें कि यह मामला रत्नागिरी के दापोली में रिसॉर्ट निर्माण में अनियमितता से जुड़ा है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण नियमों के उल्लंघन को लेकर परब के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
#3
प्रताप सरनाईक भी झेल रहे हैं ED की कार्रवाई का डंडा
शिवसेना के तीन बार के विधायक प्रताप सरनाईक भी नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) में 5,600 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में ED की कार्रवाई का डंडा झेल रहे हैं।
साल 2013 में मुंबई पुलिस की EOW द्वारा दर्ज FIR के आधार पर ED ने मामले में जांच शुरू की थी।
इस मामले में ED ने 25 मार्च को सरनाईक की 11.35 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की थी। उसके बाद वह लगातार ED के निशाने पर हैं।
जानकारी
सरनाईक ने की थी भाजपा से मतभेद खत्म करने की मांग
बता दें कि सरनाईक ने सबसे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भाजपा के साथ अपने मतभेदों को खत्म करने और शिवसेना नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा परेशान किए जाने से बचाने की अपील की थी, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी।
#4
हवाला मामले में ED के निशाने पर है यशवंत जाधव
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की स्थायी समिति के पूर्व सदस्य और दो बार के नगरसेवक यशवंत जाधव हवाला नेटवर्क के मामले में आयकर और ED की कार्रवाई का सामना कर रहा हैं।
पिछले सप्ताह ही आयकर विभाग द्वारा की गई छापेमारी में उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय हवाला लेनदेन में संलिप्तता और कुछ अन्य देशों में गैरकानूनी ढंग से पैसा भेजने के सबूत मिले थी।
ED इस मामले की विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत जांच कर रही है।
#5
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसी हैं सांसद भावना गवली
शिवसेना सांसद भावना गवली अपने गैर सरकारी संगठन (NGO) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की जांच का सामना कर रही हैं।
उनके करीबी सहयोगी सईद खान को पहले सितंबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था और उनके 3.5 करोड़ रुपये की लागत के कार्यालय को कुर्क किया था।
ED ने गवली और उनके सहयोगियों पर जनवरी 2020 में धोखाधंडी से कंपनी अधिनियम के तहत NGO को कंपनी में बदलने की साजिश का आरोप लगाया है।
#6
अर्जुनराव खोतकर पर हो रही है कार्रवाई
मुख्यमंत्री ठाकरे के करीबी सहयोगी, शिवसेना नेता अर्जुनराव पंडितराव खोतकर महाराष्ट्र बैंक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED के निशाने पर हैं।
एजेंसी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (NSCB) में 25,000 करोड़ रुपये की अनियमितताएं पाई थीं। खोतकर से जुड़ी चीनी फैक्ट्री SSK लिमिटेड NSCB का ऋण चुकाने में विफल रही है।
फर्म की स्थापना 235 एकड़ भूमि पर की गई थी और इसमें से 100 एकड़ बिना मौद्रिक प्रतिफल के अधिग्रहित की गई थी।
जानकारी
ED ने कुर्क की खोतकर की 78 करोड़ रुपये की संपत्ति
ED ने इस मामले में खोतकर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई करते हुए 24 जून को उनकी 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी। इसके अलावा उनके परिचितों से भी लगातार पूछताछ की जा रही है। इससे उनकी परेशानी बढ़ रही है।
आरोप
शिंदे की बगावत में ED की भूमिका होने का आरोप
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे की बगावत का सामना कर रही शिवसेना शुरू से आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार ने ED और CBI जैसी एजेंसियों से दबाव बनाकर इस बगावत को हवा दी है।
जिन मंत्रियों और विधायकों ने बगावत की है, उनमें से कई को हाल ही में ED के नोटिस मिले हैं, वहीं बाकियों के खिलाफ भी मामले चल रहे हैं।
आरोप है कि इन मामलों से बचने के लिए विधायकों ने बगावत की है।