SBI ने अपने ग्राहकों को किया सावधान, ये गलती करने पर खाली हो जाएगा बैंक अकाउंट

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपने ग्राहकों को इनकम टैक्स रिफ़ंड के नाम पर हो रही धोखाधड़ी को लेकर सावधान किया है। इस धोखाधड़ी से बचने के लिए SBI ने ग्राहकों से कहा है कि वो किसी भी ऐसे मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें, जहाँ उन्हें टैक्स रिफ़ंड के बारे में रिक्वेस्ट डालने की बात कही गई हो। ऐसा करते ही आपका अकाउंट खाली हो सकता है। आइए जानें।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कुछ दिनों से कई लोगों को ऐसे मैसेज आ रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि दिए गए लिंक पर क्लिक कर आप अपने इनकम टैक्स रिफ़ंड के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
SBI ने इस धोखाधड़ी से अपने ग्राहकों को ट्वीट के ज़रिए सावधान रहने के लिए कहा है। SBI ने अपने ट्विट में लिखा, 'क्या आपको भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नाम पर रिफ़ंड के लिए फ़ॉर्मल रिक्वेस्ट डालने का मैसेज आ रहा है? यह मैसेज आपको धोखा देने के उद्देश्य से भेजा गया है।' SBI ने आगे अपने ट्वीट में लिखा, 'आप सुनिश्चित कर लें कि इस तरह के मैसेज को अनदेखा करें और तुरंत इस मैसेज को रिपोर्ट करें।'
बता दें कि इस तरह के फ़्रॉड को फ़िशिंग तकनीक की मदद से अंजाम दिया जाता है। इसमें एक फ़ेक वेबसाइट बनाई जाती है, जो कि पूरी तरह से ओरिजिनल वेबसाइट की तरह ही होती है। इस वेबसाइट की मदद से ग्राहकों से उनकी निजी जानकारी जुटाई जाती है। SBI ने कहा है कि ग्राहक किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक न करें और न ही अपने अकाउंट से जुड़ी जानकारी किसी के साथ शेयर करें।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस तरह की एक चेतावनी जारी की है, जिसमें करदाता से कहा गया है वो ऐसे किसी तरह के फ़्रॉड का शिकार न बनें। आप यह जान लें कि जैसे ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रिफ़ंड जारी करत है, वह सीधे ग्राहकों के अकाउंट में भेजा जाता है। कोई भी करदाता अपने इनकम टैक्स ई-फ़ाइलिंग पोर्टल पर लॉग-इन करके टैक्स रिफ़ंड की जानकारी पा सकता है।
फ़र्जी वेबसाइट की जाँच करने के लिए http और https प्रिफ़िक्सेस को ज़रूर देखें। किसी भी व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत जानकारी या बैंक भुगतान की जानकारी नहीं देनी चाहिए। ऐसा करने पर आपके बैंक अकाउंट से पैसे भी कट सकते हैं। इसके अलावा कॉपीराइट की जानकारी, कंपनी का विवरण, वर्तनी की गलतियाँ, टूटे लिंक और डोमेन आदि से भी फ़र्जी वेबसाइट का पता लगा सकते हैं। वहीं, फ़र्जी कॉल की पहचान करने के लिए ट्रूकॉलर का इस्तेमाल करें।