महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे की बागियों के खिलाफ कार्रवाई, 9 मंत्रियों के विभाग दूसरों को दिए
महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के चलते राज्य में खड़े हुए राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने पार्टी से बगवात करने वाले शिंदे सहित नौ मंत्रियों के पास मौजूद विभागों को वापस लेते हुए अन्य मंत्रियों को आवंटित कर दिया हैं। राजनीतिक गलियारों में मुख्यमंत्री ठाकरे की इस कार्रवाई को बागियों से बदला लेने वाला कदम बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से क्या जारी किया गया बयान?
मुख्यमंत्री ठाकरे द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की ओर से कहा गया है कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया है। यह कदम जनता के हित के कामों को प्रभावित न होने देने के लिए उठाया है। बता दें शिवसेना के नौ मंत्री शिंदे गुट में चले गए हैं। ऐसे में अब उद्धव कैबिनेट में शिवसेना के सिर्फ तीन मंत्री बचे हैं। इनमें आदित्य ठाकरे, सुभाष देसाई और अनिल परब शामिल हैं।
किस मंत्री को क्या दिया गया है?
CMO की ओर से कहा गया है कि शिंदे के पास मौजूद शहरी विकास और लोक निर्माण (सार्वजनिक उद्यम) विभाग उद्योग मंत्री सुभाष देसाई को दिए गए हैं। इसी तरह उदय सामंत का उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, गुलाबराव पाटिल का जलापूर्ति और स्वच्छता विभाग परिवहन मंत्री अनिल परब, दादाजी भूसे का कृषि और भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग और संदीपन भुमारे का रोजगार गारंटी विभाग स्वतंत्र प्रभार मंत्री शंकरराव गडख को दिया गया है।
चार राज्य मंत्रियों के विभाग भी दूसरों को दिए
CMO के अनुसार, राज्य मंत्री (ग्रामीण) शंभूराज देसाई के गृह विभाग का जिम्मा संजय बांसोड़े को सौंपा गया है। इसी तरह राजेंद्र पाटिल, अब्दुल सत्तार और ओमप्रकाश कडू को दिए गए वित्त, नियोजन, कौशल्य विकास और उद्यमिता, राज्य उत्पाद शुल्क, मेडिकल शिक्षा, टेक्सटाइल, सांस्कृतिक कार्य और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कल्याण विभागों को राज्य मंत्री विश्वजीत कदम, सतेज पाटिल, प्रजक्त तानपुरे, अदिति तटकरे और दत्तात्रय भरने को आवंटित किया गया हैं।
रविवार को ही बागी गुट में शामिल हुए थे सामंत
बता दें कि उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री सामंत पहले तो शिवसेना के साथ खड़े थे, लेकिन रविवार को उन्होंने भी बागी गुट का दामन थाम लिया। वह सूरत के रास्ते गुवाहाटी पहुंचे थे। इससे बागी गुट सदस्यों की संख्या बढ़कर 39 हो गई है।
बागी गुट ने सुप्रीम कोर्ट में किया सरकार के बहुमत खोने का दावा
इधर, शिंदे गुट के कुछ बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। इस पर दोपहर में हुई सुनवाई के दौरान बागी गुट के वकील ने कहा कि महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन ने सदन में बहुमत खो दिया है। इसका कारण है कि शिवसेना विधायक दल के 39 सदस्यों ने समर्थन वापस ले लिया है। इस तरह से सरकार सदन में बहुमत खो चुकी है।
बागियों ने क्या बताया हाई कोर्ट नहीं जाने का कारण?
मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के वकील से पूछा कि आखिर इस मामले में पहले हाई कोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। इस पर वकील ने कहा कि यह मामला गंभीर है और विधायकों को मारने तक की धमकियां मिल रही हैं। ऐसे में सीधे शीर्ष अदालत का रुख किया है। वकील ने कहा सरकार के अल्पमत में होने के कारण डिप्टी स्पीकर नोटिस जारी नहीं कर सकते हैं। उन्हें 14 दिनों का समय देना चाहिए।
महाराष्ट्र में क्या चल रहे हैं हालात?
बता दें कि महाराष्ट्र में शिंदे सहित शिवसेना के 39 विधायकों ने बगावत कर रखी है। शनिवार को उन्होंने अपने गुट का नाम 'शिवसेना बालासाहेब' रखने का ऐलान किया था। उसके बाद शिवसेना ने नए गुट में शिवसेना और उसके संस्थापक बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकने सहित छह प्रस्ताव पारित किए थे। इसी तरह शिवसेना की 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग पर डिप्टी स्पीकर ने उन्हें नोटिस जारी कर रखा है।