NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    जम्मू-कश्मीर
    क्राइम समाचार
    कोरोना वायरस
    कोरोना वायरस वैक्सीन
    लखीमपुर रेप-हत्याकांड
    हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH)
    भू-धंसाव
    NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout


    देश राजनीति दुनिया बिज़नेस खेलकूद मनोरंजन टेक्नोलॉजी करियर अजब-गजब लाइफस्टाइल ऑटो एक्सक्लूसिव विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
     
    होम / खबरें / देश की खबरें / क्या है विवादों में रहने वाला राजद्रोह कानून, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई?
    देश

    क्या है विवादों में रहने वाला राजद्रोह कानून, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई?

    क्या है विवादों में रहने वाला राजद्रोह कानून, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई?
    लेखन प्रमोद कुमार
    May 10, 2022, 06:38 pm 1 मिनट में पढ़ें
    क्या है विवादों में रहने वाला राजद्रोह कानून, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई?
    क्या है विवादों में रहने वाला राजद्रोह कानून और इसका इतिहास?

    सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह के कानून यानि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A पर महत्वपूर्ण सुनवाई हो रही है। इसमें इस कानून की संवैधानिकता वैधता की समीक्षा की जाएगी। ये कानून अक्सर विवादों में रहता है। आपके मन में सवाल उठता होगा कि राजद्रोह की धारा 124A क्या है, इसका इतिहास क्या है, इस पर अक्सर विवाद क्यों होता है और आखिर क्यों इसे खत्म करने की मांग उठती है। आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं।

    क्या है राजद्रोह की धारा 124A?

    धारा 124A के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति देश की सरकार के विरोध में कुछ बोलता या लिखता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन करता है या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की गतिविधि में शामिल है तो उसे उम्रकैद की सजा हो सकती है। वहीं देश के सामने संकट पैदा करने वाली गतिविधियों के समर्थन करने, प्रचार-प्रसार करने पर भी राजद्रोह का मामला हो सकता है।

    परिभाषा को लेकर है अस्पष्टता

    राजद्रोह की परिभाषा में यह नहीं बताया गया है कि इन गतिविधियों से होने वाले खतरे को कैसे मापा जाएगा। लंबे समय से इसके अस्पष्ट प्रावधानों को दूर करने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई प्रयास नहीं हुआ है।

    राजद्रोह की धारा का इतिहास

    साल 1837 में लॉर्ड टीबी मैकाले के नेतृत्व वाले पहले विधि आयोग ने IPC तैयार की थी। इसमें राजद्रोह से जुड़ा कोई कानून नहीं था। बाद में 1870 में अंग्रेजी सरकार ने IPC के छठे अध्याय में धारा 124A को शामिल किया। उसके बाद और आजादी से पहले के समय तक भारतीय राष्ट्रवादियों और स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल किया गया। अंग्रेजी सरकार उन्हें चुप कराने के लिए इस कानून के तहत जेल में डाल देती थी।

    बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी पर लगी थी राजद्रोह की धारा

    आजादी से पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपने समाचार पत्र केसरी में 'देश का दुर्भाग्य' शीर्षक से एक लेख लिखा था। इसके लिए 1908 में उन्हें धारा 124A के तहत छह साल की सजा सुनाई गई। 1922 में अंग्रेजी सरकार ने इसी धारा के तहत महात्मा गांधी के खिलाफ केस दर्ज किया था। उन्होंने भी अंग्रेजी सरकार की आलोचना वाले लेख लिखे थे। गांधी ने कहा था कि यह कानून लोगों की स्वतंत्रता को दबाने के लिए बनाया गया है।

    1962 में आया था महत्वपूर्ण फैसला

    1962 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 124A को लेकर बड़ा फैसला दिया था। केदारनाथ सिंह पर बिहार सरकार ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया था, जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने इस पर सुनवाई की थी। बेंच ने अपने आदेश में कहा था, "राजद्रोह भाषणों और अभिव्‍यक्ति को सिर्फ तभी दंडित किया जा सकता है, जब उसकी वजह से किसी तरह की हिंसा, असंतोष या फिर सामाजिक असंतुष्टिकरण बढ़े।"

    इन घटनाओं में दर्ज किए गए राजद्रोह के मामले

    2008 में समाजशास्त्री आशीष नंदी ने गुजरात दंगों पर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए लेख लिखा था, जिस कारण उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए मामले को हास्यास्पद बताया था। एक दूसरे मामले में 2012 में अपनी मांगों को लेकर हरियाणा के हिसार में जिलाधिकारी के दफ्तर के सामने धरने पर बैठे दलितों ने मुख्यमंत्री का पुतला जलाया तो उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा हुआ था।

    अन्य विवादित मामले

    2012 में तमिलनाडु सरकार ने कुडनकुलम परमाणु प्‍लांट का विरोध करने वाले 7,000 ग्रामीणों पर राजद्रोह की धारा लगाई थी। कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी पर कार्टून बनाने के लिए यही धारा लगाई गई थी। हाल ही में सांसद नवनीत राणा पर ये धारा लगाई गई थी।

    क्यों कही जा रही है इस धारा को समाप्त करने की बात?

    जानकारों का कहना है कि संविधान की धारा 19 (1) में पहले से अभिव्यवक्ति की स्वतंत्रता पर सीमित प्रतिबंध लागू है। ऐसे में 124A की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा धार्मिक उन्माद फैलाने, सामाजिक द्वेष पैदा करने और शांति व्यवस्था बिगाड़ने जैसे गलत कामों के लिए कानून बने हुए हैं तो इस धारा की जरूरत ही नहीं है। भारत में यह कानून बनाने वाले अंग्रेज भी अपने देश में भी इसे खत्म कर चुके हैं।

    सरकार की आलोचना राजद्रोह नहीं- विधि आयोग

    2018 में विधि आयोग ने 'राजद्रोह ' विषय पर एक परामर्श पत्र में कहा था कि देश या इसके किसी पहलू की आलोचना को राजद्रोह नहीं माना जा सकता। यह आरोप केवल उन मामलों में लगाया जा सकता है जहां हिंसा और अवैध तरीकों से सरकार को अपदस्थ करने का इरादा हो। पत्र में कहा गया था कि देश या इसके किसी पहलू की आलोचना को राजद्रोह के रूप में नहीं देखा जा सकता और न ही देखा जाना चाहिए।

    कांग्रेस ने किया था राजद्रोह की धारा को खत्म करने का वादा

    2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में राजद्रोह के कानून को खत्म करने का वादा किया था, लेकिन पार्टी चुनावों में बुरी तरह हार गई और उसका वादा घोषणा-पत्र तक सिमट कर रह गया। उसकी सरकारें भी इसका दुरुपयोग करती हैं।

    इस खबर को शेयर करें
    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    ताज़ा खबरें
    सुप्रीम कोर्ट
    धारा 124A
    राजद्रोह का कानून

    ताज़ा खबरें

    जन्मदिन विशेष: शहनाज गिल फिटनेस के लिए फॉलो करती हैं यह डाइट प्लान शहनाज गिल
    जन्मदिन विशेष: 'एनिमल' से लेकर 'हाउसफुल 5' तक, आने वाली हैं बॉबी की ये पांच फिल्में बॉबी देओल
    हुंडई वरना से लेकर टाटा सफारी तक, अगले महीने भारत में लॉन्च होंगी ये गाड़ियां टाटा मोटर्स
    'कांतारा' अभिनेता ऋषभ शेट्टी करेंगे मलयालम डेब्यू? मोहनलाल की इस फिल्म में आएंगे नजर कांतारा फिल्म

    सुप्रीम कोर्ट

    दिल्ली मेयर चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, AAP उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने दायर की याचिका दिल्ली
    लखीमपुर खीरी हादसा: केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को मिली 8 हफ्तों की अंतरिम जमानत लखीमपुर खीरी हिंसा
    सुप्रीम कोर्ट के आपत्तियां सार्वजनिक करने पर रिजिजू का ऐतराज, बोले- उचित समय पर दूंगा जवाब किरेन रिजिजू
    सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच नहीं चल रही महाभारत- कानून मंत्री रिजिजू किरेन रिजिजू

    धारा 124A

    शरजील इमाम को 2019 के देशद्रोह के मामले में मिली जमानत, लेकिन अभी नहीं होंगे रिहा दिल्ली
    महात्मा गांधी से कन्हैया कुमार तक, ये हैं राजद्रोह की धारा 124A के सबसे चर्चित मामले सुप्रीम कोर्ट
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह की धारा 124A के इस्तेमाल पर रोक लगाई केंद्र सरकार
    क्या है अंग्रेजों के जमाने का राजद्रोह कानून जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल? सुप्रीम कोर्ट

    राजद्रोह का कानून

    भाजपा सांसदों के खिलाफ FIR के बाद देवघर के उपायुक्त के खिलाफ राजद्रोह का मामला झारखंड
    क्या राजद्रोह कानून के इस्तेमाल पर लगेगी अस्थायी रोक? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब सुप्रीम कोर्ट
    केंद्र ने दो दिन के अंदर सु्प्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून पर रुख बदला, पुनर्विचार करेगा केंद्र सरकार
    राजद्रोह कानून: बड़ी बेंच के गठन पर 10 मई को फैसला करेगा सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार

    देश की खबरें पसंद हैं?

    नवीनतम खबरों से अपडेटेड रहें।

    India Thumbnail
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स क्रिप्टोकरेंसी भाजपा समाचार कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive कोरोना वायरस वैक्सीन ट्रैवल टिप्स यूक्रेन युद्ध मंकीपॉक्स द्रौपदी मुर्मू
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2023