लोकसभा पहुंची शिवसेना की आंतरिक लड़ाई, ठाकरे गुट ने मुख्य व्हिप बदला
शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुटों की लड़ाई अब लोकसभा पहुंच गई है। विधायकों के बाद अब कहीं सांसद भी बगावत न कर दें, इससे बचने के लिए ठाकरे गुट ने लोकसभा में शिवसेना का मुख्य व्हिप बदल दिया है। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बुधवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखते हुए सूचित किया कि भावना गावली की जगह राजन विचारे को शिवसेना का मुख्य व्ह्पि नियुक्त किया गया है।
ठाकरे गुट ने क्यों बदला व्हिप?
18 जुलाई को देश की संसद में अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होगी और शिवसेना को इसमें अपने सांसद टूटने का डर है। अभी शिवसेना के लोकसभा में 19 और राज्यसभा में तीन सांसद हैं। शिंदे गुट ने इनमें से 12 से 14 सांसदों के संपर्क में होने की बात कही है। इसी को देखते हुए मुख्य व्हिप को बदला गया है क्योंकि सांसदों के लिए उसका फैसला मानना अनिवार्य होता है, नहीं तो उनकी सदस्यता चली जाती है।
शिंदे के गढ़ से सांसद हैं राजन विचारे,
लोकसभा में शिवसेना के नए मुख्य व्हिप राजन विचारे ठाणे से सांसद हैं। ठाणे को एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है और विचारे उनके करीबी रहे हैं। ऐसे में उन्हें मुख्य व्हिप बनाने का ठाकरे गुट का फैसला थोड़ा समझ से बाहर है।
विधानसभा में मुख्य व्हिप और विधायक दल के नेता पद पर शिंदे गुट का कब्जा
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के व्हिप और विधायक दल के नेता के पद पर शिंदे गुट ने कब्जा कर लिया है। 3 जुलाई की रात को नवनियुक्त स्पीकर राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे को शिवसेना विधायक दल का नया नेता नियुक्त करने के फैसले को अपनी मंजूरी दी थी। इसके अलावा ठाकरे खेमे के सुनील प्रभु को हटाकर शिंदे गुट के भारत गोगावाले को शिवसेना का प्रमुख व्हिप भी बना दिया गया है।
मुख्य व्हिप बदलने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ठाकरे गुट
ठाकरे गुट ने सुनील प्रभु को हटाकर शिंदे गुट के भारत गोगावाले को शिवसेना का प्रमुख व्हिप घोषित करने के स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट अन्य याचिकाओं के साथ 11 जुलाई को इस याचिका पर भी सुनवाई करेगा। इस बीच नए व्हिप गोगावाले ने 16 शिवसेना विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस स्पीकर को दिया है। ये सभी ठाकरे गुट के विधायक हैं। इन सभी विधायकों को निलंबन का नोटिस भेजा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर उद्धव ठाकरे का भविष्य
अगर सुप्रीम कोर्ट प्रमुख व्हिप बदलने के स्पीकर के फैसले को सही ठहराती है तो सरकार के साथ-साथ शिवसेना पर भी एकनाथ शिंदे का कब्जा हो जाएगा और उद्धव ठाकरे उनके पिता द्वारा बनाई गई पार्टी में बिल्कुल अलग-थलग हो जाएंगे। हालांकि इससे दल-बदल कानून का भी उल्लंघन होगा, जिसके मुताबिक दो-तिहाई से अधिक विधायकों का समर्थन होने पर भी किसी पार्टी को कोई गुट अन्य पार्टी में विलय करके ही अपनी सदस्यता बचा सकता है।
कैसे हुई शिवसेना की आंतरिक लड़ाई की शुरूआत?
शिवसेना की इस आंतरिक लड़ाई की शुरूआत पिछले महीने एकनाथ शिंदे की बगावत के साथ हुई। शिंदे ने शिवसेना के 54 में से 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। इस बगावत से महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार अल्पमत में आ गई और 29 जून को ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। अभी उनके साथ 40 शिवसेना विधायक हैं।