महाराष्ट्र सियासी संकट: बागी विधायकों ने अपने गुट का नाम रखा 'शिवसेना बालासाहेब'
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट के बीच राज्य सरकार से बगावत करने वाले नेता एकनाथ शिंदे सहित सभी बागी विधायकों ने शनिवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए बड़ा कदम उठाया है। शिंदे के नेतृत्व में सभी विधायकों ने अहम बैठक करते हुए अपने गुट का नाम 'शिवसेना बालासाहेब' रखने का फैसला किया है। इसके अलावा उन्होंने गुट के किसी अन्य पार्टी में विलय होने की संभावनाओं को भी खारिज कर दिया है।
हमारे गुट को कहा जाएगा 'शिवसेना बालासाहेब'- केसरकर
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर ने कहा, "हमारे समूह को 'शिवसेना बालासाहेब' कहा जाएगा। इसके अलावा यह भी साफ करते हैं कि हम किसी भी पार्टी में विलय नहीं करेंगे।" इससे साफ है कि शिंदे नई पार्टी बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। बता दें कि शिंदे गुट का यह अहम फैसला मुख्यमंत्री ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की कार्यकारी बैठक के बीच आया है, जो अभी भी जारी है।
शिवसेना ने बैठक में पारित किया अहम प्रस्ताव
शिंदे गुट के नया नाम रखने के बाद शिवसेना ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक अहम प्रस्ताव पारित किया है। इसमें कहा गया है कि पार्टी और उसके जुड़े मुद्दों के संबंध में कोई भी निर्णय लेने का एकमात्र अधिकार उद्धव ठाकरे के पास होगा। इसके अलावा, किसी को भी अपनी पार्टी के नाम में शिवसेना और उसके संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी और बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को भेजा नोटिस
इधर, विधायकों की बगावत के बाद शिवसेना ने बागियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कदम उठाया है। पार्टी की ओर से राज्यसभा सांसद अनिल देसाई ने गुरुवार शाम को डिप्टी स्पीकर नरहरि सीताराम जिरवाल के समक्ष याचिका दायर कर 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी। इसके अलावा शुक्रवार को चार और बागियों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी। अब डिप्टी स्पीकर ने बागियों को नोटिस जारी कर सोमवार तक जवाब मांगा है।
डिप्टी स्पीकर ने खारिज किया अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
डिप्टी स्पीकर के शिवसेना की विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग स्वीकार करने के बाद बागी गुट ने कार्यवाहक विधानसभा अध्यक्ष जिरवाल को पत्र भेजकर शिंदे के विधानसभा में निर्वाचित नेता होने की बात कही थी। इसके अलावा उनका समर्थन करने वाले दो निर्दलीय सांसदों ने भी जिरवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस जारी किया था। हालांकि, जिरवाल ने इस प्रस्ताव को विधायकों के मूल हस्ताक्षर न होने का हवाला देकर खारिज कर दिया।
शिवसेना ने शुरू किया बागियों के खिलाफ प्रदर्शन
इधर, विधायकों की बगावत के बाद अब शिवसेना कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है। शनिवार दोपहर खारघर में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय के बाहर बागी विधायकों के खिलाफ जमकर नारे लगाए और उनका पुतला भी फूंका। इसी तरह सुबह पुणे में बागी विधायक तानाजी सावंत के कार्यालय में भी तोड़फोड़ की गई थी। पुणे पुलिस ने अलर्ट जारी कर सभी पुलिस थानों को सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।
मुंबई में धारा 144 लागू, हिंसक बैनर-पोस्टर हटाने के आदेश
इधर, मुंबई में धारा-144 लगाने के साथ सभी हिंसक बैनर-पोस्टर हटाने के आदेश जारी किए गए हैं। इसके अलावा सभी राजनीतिल पार्टियों के कार्यालयों के साथ एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के घर के बाहर भी सुरक्षा बढ़ाई गई है।
शिंदे ने बदले की भावना में सुरक्षा वापस लेने का आरोप लगाया
इससे पहले, शिंदे ने मुख्यमंत्री ठाकरे, गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल और पुलिस महानिदेशक को पत्र भेजकर आरोप लगाया कि बागी विधायकों के आवास और उनके परिजनों को दी गई सुरक्षा बदले की भावना के तहत अवैध तरीके से वापस ले ली गई है। यह इन विधायकों के दृढ़ संकल्प को तोड़ने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि खतरे को देखकर उन्हें सुरक्षा दी गई थी, लेकिन सुरक्षा वापस लिए जाने से अब खतरा और अधिक बढ़ गया है।