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    तीन दशक बाद रिहा होगा राजीव गांधी का हत्यारा एजी पेरारिवलन, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
    तीन दशक बाद रिहा होगा राजीव गांधी का हत्यारा एजी पेरारिवलन, सुप्रीम कोर्ट का आदेश।

    तीन दशक बाद रिहा होगा राजीव गांधी का हत्यारा एजी पेरारिवलन, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

    लेखन भारत शर्मा
    May 18, 2022
    01:54 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में दोषी और तीन दशक से उम्र कैद की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश अनुच्छेद 142 में मिले विशेषाधिकार के तहत दिया है।

    इससे पहले कोर्ट ने दया याचिका को राष्ट्रपति को भेजने के राज्यपाल के फैसले को खारिज किया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल ने याचिका के निपटारे में ज्यादा वक्त लिया है।

    पृष्ठभूमि

    लंबे समय से राज्यपाल के पास अटकी थी पेरारिवलन की दया याचिका

    बता दें कि मामले में पेरारिवलन ने दिसंबर 2015 में राज्यपाल के पास दया याचिका भेजी थी, लेकिन राज्यपाल ने उस पर कोई निर्णय नहीं किया।

    इसके बाद साल 2018 में तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेरारिवलन सहित सात दोषियों को रिहा करने का निर्णय किया था और राज्यपाल से मंजूरी देने की मांग की थी।

    इसके बाद भी राज्यपाल ने उस पर कोई निर्णय नहीं किया और 25 जनवरी, 2021 को उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया।

    याचिका

    पेरारिवलन ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

    राज्यपाल के दया याचिका को लंबे समय तक अटकाए रखने और बाद साल 2016 में पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में रिहाई के लिए याचिका दायर की थी।

    याचिका में उसने कहा था कि वह 36 साल से जेल में बंद है और उसे रिहा किया जाना चाहिए।

    साल 2018 में तमिलनाडु कैबिनेट ने उसे रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया। तब से उसकी रिहाई का मामला लंबित है।

    जानकारी

    केंद्र सरकार ने किया था राज्यपाल के फैसले का बचाव

    पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने के राज्यपाल के फैसले का बचाव किया था। सरकार ने कहा था कि दोषी की सजा में छूट, माफी और दया याचिका के संबंध में याचिका पर केवल राष्ट्रपति ही फैसला कर सकता है।

    दलील

    पेरारिवलन ने वकील ने दिया था अनुच्छेद 161 का हवाला

    सुनवाई में पेरारिवलन के वकील ने तर्क दिया था कि याचिका संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत थी, जो क्षमादान देने की राज्यपाल की शक्ति से संबंधित है।

    इस पर कोर्ट ने कहा जब कम अवधि की सजा काट चुके लोगों को रिहा किया जा रहा है तो केंद्र पेरारीवलन को रिहा करने पर राजी क्यों नहीं है। यह एक विचित्र तर्क है कि राज्यपाल के पास अनुच्छेद 161 के तहत दया याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।

    सख्ती

    सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया था एक सप्ताह का समय

    मामले में 11 मई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया राज्यपाल का फैसला गलत और संविधान के खिलाफ है। वह राज्य मंत्रिमंडल के परामर्श से बंधे हैं और उनका फैसला संविधान के संघीय ढांचे पर प्रहार करता है।

    कोर्ट ने कहा कि सरकार एक सप्ताह में उचित निर्देश प्राप्त करें, नहीं तो वह पेरारिवलन की दलील स्वीकार कर पूर्व के फैसले के अनुरूप उसे रिहा कर देगी।

    फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने दिए रिहाई के आदेश

    मामले में जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, "जेल में पेरारिवलन के संतोषजनक आचरण, उसके मेडिकल रिकॉर्ड, जेल में उसके द्वारा हासिल की गई शैक्षणिक योग्यता और दिसंबर 2015 से तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष अनुच्छेद 161 के तहत दायर उनकी दया याचिका के लंबित होने के कारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए अनुच्छेद 142 के तहत हम याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश जारी करते हैं।"

    दलील

    सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को लेकर दी यह दलील

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेरारिवलन की दया याचिका को पिछले साल राष्ट्रपति के पास भेजने के राज्यपाल के फैसले का कोई संवैधानिक समर्थन नहीं था। राज्यपाल राज्य मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं।

    कोर्ट ने कहा मारु राम मामले (1980) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राष्ट्रपति को याचिका सौंपने के फैसले का कोई संवैधानिक समर्थन नहीं है। राज्यपाल के निर्णय लेने में सक्षम नहीं होने पर उसे राज्य मंत्रिमंडल की सलाह का पालन करना होगा।

    मामला

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

    बता दें कि 21 मई, 1991 को तमिलनाडु में एक चुनावी रैली में महिला आत्मघाती हमलावर के खुद को विस्फोट से उड़ाने में राजीव गांधी की भी मौत हो गई थी। इसमें पेरारिवलन द्वारा खरीरी गई बैटरी का इस्तेमाल किया गया था।

    मामले में कोर्ट ने पेरारिवलन सहित चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन 18 फरवरी, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी पर उसे उम्रकैद में बदल दिया था।

    जानकारी

    सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च को दी थी पेरारिवलन को जमानत

    पेरारिवलन की दया याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 9 मार्च को उसे जमानत पर रिहा किया था। कोर्ट ने यह आदेश पेरारिवलन के लंबा समय जेल में गुजारने और उसके कई बीमारियों की गिरफ्त में होने को लेकर दिया था।

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