मतदाताओं को रिश्वत देने के आरोप में TRS सांसद दोषी करार, छह महीने की सजा
चुनावों के दौरान मतदाताओं को रिश्वत देने के आरोप में तेलंगाना के महबूबाबाद से तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) की लोकसभा सांसद मलोथ कविता को छह महीने की सजा हुई है। नेमपली में सांसदों और विधायकों के लिए बनी विशेष सत्र अदालत ने कविता और उसके सहयोगी को शनिवार को सजा सुनाई। हालांकि, जज ने उन्हें गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत दे दी। कविता ने कहा कि वो इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेगी।
जनप्रतिनिधियों को सजा का तीसरा मामला
यह तीसरा मामला है, जब सांसदों और विधायकों के लिए बनी अदालत ने किसी जनप्रतिनिधि को सजा सुनाई है। हालांकि, यह पहला मामला है, जब किसी मौजूदा सांसद को मतदाओं को रिश्वत देने के आरोप में सजा सुनाई गई है।
क्या था मामला?
TOI के अनुसार, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान निरीक्षण दस्ते में शामिल राजस्व अधिकारियों ने कविता के सहयोगी शौकत अली को मतदाओं को रिश्वत देते रंगे हाथ पकड़ा था। अली बर्गमपहाड़ पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले एक गांव में कविता के पक्ष में वोट डालने के लिए हर व्यक्ति को 500-500 रुपये दे रहा था। सरकारी वकील ने कहा कि ट्रायल के दौरान अली ने यह बात स्वीकार की है कि उसने मतदाताओं को पैसे दिए थे।
अली ने कहा- कविता के दिए पैसे वितरित किए
पुलिस ने राजस्व अधिकारियों और उनकी रिपोर्ट्स को अदालत में बतौर सबूत पेश किया था। सुनवाई के दौरान अली ने कबूल किया कि उसने मतदाताओं को लालच देने के लिए कविता के दिए पैसे वितरित किए थे।
दोनों आरोपियों पर लगा जुर्माना
इस मामले में अली को पहला और कविता को दूसरा आरोपी बनाया गया था। अदालत ने दोनों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 171-E के तहत सजा सुनाई। साथ ही दोनों पर 10,000-10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जब यह फैसला सुनाया जा रहा था, उस समय दोनों आरोपी अदालत में मौजूद थे। फैसले के बाद कविता ने कहा कि उसे जमानत मिल गई है और इस विषय पर उच्च न्यायालय में अपील करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी थीं विशेष अदालतें
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2018 में सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मामलों के जल्द ट्रायल के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने का आदेश दिया था। इस अदालत ने हाल ही में भाजपा विधायक राजा सिंह को पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट के मामले में दोषी ठहाराया था। सिंह से पहले एक TRS विधायक दानम नागेंद्र को दोषी ठहराया गया था। नागेंद्र पर अपने सहयोगी को एक सरकारी अधिकारी से मारपीट के लिए उकसाने का आरोप था।