पेगासस पर अड़ा विपक्ष, मानसून सत्र की अवधि कम करने का विचार कर रही सरकार
पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर बना हुआ है। उसकी मांग है कि सरकार मानसून सत्र में पेगासस जासूसी कांड पर चर्चा करे, लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है। इस मांग को लेकर विपक्ष सदन नहीं चलने दे रहा है। इसे देखते हुए सरकार मानसून सत्र को बीच में ही खत्म करने का विचार कर रही है। बता दें कि 19 जुलाई को शुरू हुए सत्र की अवधि 13 अगस्त तक है।
विपक्ष को मनाने की कोशिश करेगी सरकार
इंडियन एक्सप्रेस ने मोदी सरकार के एक मंत्री के हवाले से लिखा है, "सरकार लोगों से जुड़े हर मामले पर चर्चा को तैयार है, लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं चाहता। यह पैसे और समय की बर्बादी है। अगर सरकार सत्र को जल्दी खत्म करने का फैसला लेती है तो कई इलाकों में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामले भी इसकी एक वजह होंगे।" हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार सदन चलने देने के लिए विपक्ष को मनाने की कोशिश करेगी।
पेगासस जासूसी कांड पर चर्चा को तैयार नहीं सरकार
मानसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष इस मांग पर अड़ा है कि पेगासस जासूसी कांड को लेकर सदन में विस्तृत बहस होनी चाहिए। दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि वह इस मुद्दे को छोड़कर किसी भी मामले पर चर्चा के लिए तैयार है।
हंगामे के बीच पास हुए हैं कई विधेयक
सदन में हंगामे के बीच सरकार लोकसभा से पांच विधेयक पारित कराने में सफल रही है। शुक्रवार को अध्यादेश के तौर पर लाए गए दो विधेयकों को निचले सदन से पारित करवा लिया गया था। सूत्रों का कहना है कि बचे हुए विधेयक अगले हफ्ते पारित कराने की कोशिश की जाएगी। सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह सत्र सार्थक चर्चा के लिए समर्पित होना चाहिए और सरकार इसके लिए पूरी तरह तैयार है।
पेगासस मामले में एकजुट नजर आ रहा विपक्ष
जासूसी कांड को लेकर विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, "पूरा विपक्ष एक साथ है और हमारी मांग है कि पेगासस मामले को लेकर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। अब इस मांग से पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता।" सत्र की शुरुआत से कांग्रेस और उसके सहयोगी दल, तृणमूल कांग्रे, शिरोमणि अकाली दल और बसपा आदि के सदस्य स्पीकर की कुर्सी के पास जाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
कृषि कानूनों को लेकर भी हो रहा विरोध
लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ती रही है। शुक्रवार को भी कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों के सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। इन नेताओं ने पेगासस जासूसी कांड पर चर्चा के साथ-साथ कृषि कानूनों को भी रद्द करने की मांग की। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा चेयरमैन ने हंगामा कर रहे सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।
क्या कोई बीच का रास्ता है?
गतिरोध का हल निकालने के लिए सरकार पेगासस जासूसी कांड पर IT मंत्री से दोबारा सदन में बयान देने का प्रस्ताव दे सकती है। बयान के बाद सांसद उनसे सफाई मांग सकते हैं, लेकिन विपक्ष इस पर तैयार होता नहीं दिख रहा।