प्रशांत किशोर ने बताए दो तरीके, जिनसे रोके जा सकते हैं नागरिकता कानून और NRC
नागरिकता कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के खिलाफ देशभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि मोदी सरकार इन दोनों विवादित कानूनों को वापस ले। इस बीच खुद इन दोनों कानूनों का जबरदस्त विरोध कर रहे जनता दल (यूनाइटेड) नेता प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर इन कानूनों को लागू होने से रोकने के दो तरीके बताएं हैं। ये तरीके क्या हैं, आइए आपको बताते हैं।
क्या है वो दो तरीके?
प्रशांत किशोर ने रविवार सुबह ट्वीट करते हुए लिखा, "CAA और NRC को लागू होने से रोकने के दो प्रभावी तरीके; (1) सभी प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज उठाकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखें। (2) सुनिश्चित करें कि 16 गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों में से सभी नहीं तो अधिकांश अपने राज्य में NRC लागू करने से मना कर दें। बाकी चीजें कितनी भी महत्वपूर्ण हो वो टोकन की तरह हैं।" प्रशांत पार्टी लाइन के खिलाफ नागरिकता कानून का खुलकर विरोध कर चुके हैं।
क्या है नागरिकता कानून?
नागरिकता कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचार के कारण भागकर भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। दिसंबर 2014 से पहले भारत आए इन सभी धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। मुस्लिमों के इससे बाहर रखने जाने के कारण इसे भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ बताया जा रहा है और इसका विरोध हो रहा है।
क्या है NRC?
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानि NRC एक ऐसा रजिस्टर होगा जिसमें देश के सभी नागरिकों की जानकारी होगी। इसके जरिए देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान आसान हो जाएगी। देशव्यापी स्तर पर NRC तैयार करने का प्रावधान 2003 में नागरिकता अधिनियम में संशोधन के जरिए किया गया था। जिस समय NRC लागू होगा, उस समय भारत में रह रहे सभी लोग नागरिकता सिद्ध करने तक देश के नागरिक नहीं माने जाएंगे।
बेहद खतरनाक है NRC और नागरिकता कानून का कॉकटेल
अगर NRC और नागरिकता कानून को मिलाकर देखें तो ये काफी खतरनाक हो जाता है। जो भी लोग NRC से बाहर होंगे उनमें शामिल मुस्लिमों के पास कोई विकल्प नहीं होगा और उन्हें डिटेंशन सेंटर में रहना होगा। वहीं अन्य धर्म के लोगों के पास बचने का फिर भी एक विकल्प होगा और वो खुद को अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से आया हुआ बताकर फिर से नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। इसी भेदभाव के कारण इनका विरोध हो रहा है।
ऐसे NRC को रोक सकते हैं राज्य
यूं तो नागरिकता केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं, फिर भी राज्य सरकार NRC को लागू होने से रोक सकते हैं। दरअसल, NRC करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकारों की पूरी सरकारी मशीनरी की जरूरत होगी और बिना उनकी मदद के वो NRC प्रक्रिया को जमीन पर उतार ही नहीं पाएगी। ऐसे में अगर अधिकांश राज्य NRC को लागू करने से मना कर देते हैं तो केंद्र सरकार को इसे वापस लेना होगा।
अभी तक सात राज्य कर चुके हैं NRC लागू करने से इनकार
अब तक सात राज्यों के मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि वो अपने राज्य में NRC लागू नहीं होने देंगे। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल शामिल हैं। अन्य राज्य भी इस सूची में जल्द शामिल हो सकते हैं।